Thursday, 13 November 2025

Kripalani Memorial Lecture -2025 organized


New Delhi. The Acharya Kripalani Memorial Lecture 2025 was held at the local Hindi Bhavan. Former Member of Parliament, Shri K.C. Tyagi, was the chief guest to deliver a lecture on Acharya J.B. Kripalani during the Emergency, while senior journalist and President of the Indira Gandhi National Centre for the Arts, Shri Ram Bahadur Rai, presided over the event.

Speaking as the chief guest at the memorial lecture organized on the 137th birth anniversary of Acharya Kripalani, K.C. Tyagi said that Jai Prakash Narayan considered the government that imposed the Emergency illegal. The socialist had been associated with the Congress under Gandhi's leadership, but later left the Congress party, not without reason. The Emergency was not imposed for any system, but to serve the mutual interests of one family. JP, Lohia, and Gandhi were all strongly against the monarchy in Nepal. Nehru did the exact opposite of what Gandhiji said. Nehru was a Gandhian by name, but he did not follow even a single principle of his. During the Congress rule, there was severe famine in the country. Agricultural production in the country had started to stagnate.

In his presidential address at the event, organized by the Acharya Kripalani Memorial Trust, Ram Bahadur Rai said that Kripalani had written his memoirs in his final days, titled "My Times." The Acharya Kripalani Memorial Trust has published this memoir in three volumes in Hindi. However, the book doesn't clearly describe his role during the Emergency. If anyone was caught engaging in Satyagraha during the Emergency, it was Acharya Kripalani.

A large number of intellectuals and social activists, including the founder of ITM University (Gwalior), Shri Ramashankar Singh, senior author Virendra Mishra, Director of the World Youth Center, Uday Shankar Singh, Sandeep Joshi, Mahesh Bhai, Sudip Sahu, Prof. Dr. Rajiv Ranjan Giri, Rajesh Kumar Jha, Jitendra Narayan Singh, Advocate Jagdish Singh, Shyam Sundar, Sunil Kumar, Dr. Shashikant Rai, Manish Chandra Shukla, Manoj Rai, Prabhat Ojha, Prem Prakash, Janardan Yadav, Sanjeev Kumar, Gunjan Kumar, Brajesh Kumar Jha, Sushmita Singh, Vandana Jha, Subhash Gautam, and others, were present at the event. The event began with the lighting of a lamp before Goddess Saraswati and the singing of hymns. Trustee Sandeep Joshi welcomed the chief guest. Managing Trustee Abhay Pratap conducted the program, while Surendra Kumar expressed his gratitude to all the guests.

मानेसर में एमसीएम की 'ग्रीन वॉल' पहल से बढ़ेगी हरियाली, घटेगा प्रदूषण


अंशु कुमार/आरती जोशी 

गुरुग्राम, 13 नवम्बर। मानेसर नगर निगम (एमसीएम) ने शहर में प्रदूषण को कम करने और हरित क्षेत्र को बढ़ाने के उद्देश्य से ‘ग्रीन वॉल इनिशिएटिव’ की शुरुआत की है। इस पहल की शुरुआत बुधवार को सेक्टर-86 स्थित नवादा क्रिकेट ग्राउंड में बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान के साथ हुई। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय निवासियों, सामाजिक संगठनों और कॉर्पोरेट स्वयंसेवकों ने मिलकर करीब 500 पौधे लगाए। इनमें नीम (अज़ादिराच्टा इंडिका) जैसी देशी और प्रदूषण-प्रतिरोधी प्रजातियों को प्राथमिकता दी गई।एमसीएम अधिकारियों के अनुसार, ‘ग्रीन वॉल’ पहल का मुख्य उद्देश्य कम उपयोग वाली जगहों को हरित बफर ज़ोन में बदलना है, जो धूल सोखने, कार्बन उत्सर्जन घटाने और स्थानीय वायु गुणवत्ता सुधारने में मदद करेंगे। ग्रीन पेंसिल फ़ाउंडेशन के संस्थापक सैंडी खंडा, जो इस परियोजना में एमसीएम के साथ साझेदार हैं, ने कहा कि यह अभियान केवल प्रतीकात्मक वृक्षारोपण नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रतिबद्धता है।

खंडा ने बताया, हम कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रमों के तहत एमसीएम और विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि हर पौधा जीवित रहे और पेड़ के रूप में विकसित हो। उन्होंने बताया कि अरावली पहाड़ियों के पास इस पहल के तहत पौधारोपण किया गया है और जल्द ही इसे अन्य औद्योगिक व आवासीय क्षेत्रों तक विस्तारित करने की योजना है। उन्होंने कहा गुरुग्राम और मानेसर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। हरित दीवार का उद्देश्य एक प्राकृतिक अवरोध बनाना है जो हवा में मौजूद कणिका तत्वों को कम करे।

कार्यक्रम में उपस्थित मानेसर की उप-महापौर रीमा चौहान ने इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि नगर निगम पर्यावरण समूहों और स्थानीय निवासियों के सहयोग से शहरभर में 1,00,000 से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखता है। रीमा चौहान ने कहा अब कार्रवाई करने का समय है। सीमित हरियाली वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर उन्हें स्थायी हरित क्षेत्रों में बदलना जरूरी है। यह अभियान कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत टास्कअस कंपनी के सहयोग से आयोजित किया गया।

अधिकारियों का कहना है कि यह पहल भविष्य में गुरुग्राम के अन्य इलाकों में भी प्रदूषण नियंत्रण और हरित विकास का मॉडल बन सकती है। इससे न केवल पर्यावरण संतुलन मजबूत होगा बल्कि स्थानीय समुदाय को भी हरियाली के प्रति जागरूक करने में मदद मिलेगी।

Wednesday, 12 November 2025

आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान 2025 का आयोजन


प्रेम कुमार

नई दिल्ली, 12 नवम्बर। हिंदी भवन नई दिल्ली में आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान -2025 का आयोजन किया गया। आपातकाल में आचार्य जे बी कृपलानी विषय पर व्याख्यान देने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व संसद श्री के. सी त्यागी मौजुद रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मभूषण श्री रामबहादुर राय ने की। 

बतौर मुख्य अतिथि के. सी. त्यागी ने कहा कि आपातकाल लगाने वाली सरकार को जय प्रकाश नारायण अवैधानिक मानते थे । समाजवादी गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस से जुड़े रहे थे, लेकिन बाद में अकारण ही कांग्रेस पार्टी से निकल गए। आपातकाल किसी तंत्र के लिए नहीं लगाया गया, बल्कि एक परिवार का आपसी हित साधने के लिए लगाया गया। जेपी, लोहिया और गांधीजी ये तीनों नेपाल के राजशाही के सख़्त खिलाफ थे।  गांधीजी कहते थे नेहरू ठीक उसके उल्टा ठीक उसका उल्टा करते थे. नेहरू कहने को तो गांधीवादी थे लेकिन उनके एक भी वजोसूल को नहीं मानते थे। कांग्रेस के शासनकाल में देश में प्रचंड भूखमारी थी। देश में कृषि उत्पादन ठप्प पड़ने लगे थे। 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में रामबहादुर राय ने कहा कि कृपलानी जी ने आखिरी समय में माई टाइम्स नाम से अपनी स्मृति लिखवाई। जिसका प्रकाशन आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट ने हिंदी में तीन खंडों में प्रकाशित किया है, लेकिन आपातकाल के समय उनकी भूमिका क्या थी यह पूरे पुस्तक में ठीक से.उपलब्ध  नहीं है। आपातकाल के दौरान यदि कोई सत्याग्रह करता पकड़ा गया तो वे इकलौते व्यक्ति आचार्य कृपलानी थे। 

कार्यक्रम में आईटीएम यूनिवर्सिटी (ग्वालियर) के संस्थापक श्री रमाशंकर सिंह व बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके भजनों के साथ किया गया। मुखिया मुख्य अतिथि अतिथि का स्वागत ट्रस्टी संदीप जोशी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रबंध न्यासी अभय प्रताप ने किया जब कि सभी आये हुए अतिथियों के प्रति आभार सुरेंद्र कुमार ने प्रकट किया।

पीआईओसीसीआई (PIOCCI) की नई शाखा वैश्विक उपस्थिति करेगी सशक्त


नई दिल्ली, 12 नवम्बर। पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PIOCCI) ने अपने नए कार्यालय के उद्घाटन की घोषणा की है। यह कदम भारतीय प्रवासी समुदाय के बीच व्यापारिक सहयोग और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के अपने मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

पीआईओसीसीआई का उद्देश्य भारत और विश्वभर में बसे भारतीय मूल के उद्यमियों, निवेशकों और पेशेवरों के बीच व्यापार, निवेश और साझेदारी के अवसरों को बढ़ावा देना है। यह संगठन एक सेतु के रूप में कार्य करता है, जो वैश्विक भारतीय व्यावसायिक समुदायों को जोड़ता है और भारत में प्रवासी निवेश को प्रोत्साहित करता है।

महासचिव कीर्ति शर्मा ने बताया कि पीआईओसीसीआई के अब 25 से अधिक देशों में सक्रिय चैप्टर हैं, जो इसके तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को दर्शाते हैं। संगठन ने कई भारतीय और विदेशी व्यावसायिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि व्यापारिक सहयोग, ज्ञान-विनिमय और द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ाया जा सके।

नए कार्यालय की स्थापना पीआईओसीसीआई की आर्थिक कूटनीति और भारत की वैश्विक व्यावसायिक उपस्थिति को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कार्यालय भारतीय मूल के व्यावसायिक नेताओं और नवप्रवर्तकों के बीच संपर्क, उद्यमिता को बढ़ावा देने और भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने वाले स्थायी साझेदारी नेटवर्क को मजबूत करेगा।

पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PIOCCI) एक वैश्विक संगठन है जो भारतीय मूल के उद्यमियों, निवेशकों और पेशेवरों को जोड़ने के लिए समर्पित है। अपने व्यापक अंतरराष्ट्रीय चैप्टर नेटवर्क के माध्यम से, पीआईओसीसीआई भारत और भारतीय प्रवासी समुदायों के बीच सहयोग, निवेश और व्यापार को प्रोत्साहित करता है, जिससे समावेशी आर्थिक विकास और वैश्विक साझेदारी को बल मिलता है।

Sunday, 26 October 2025

दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज की छात्रा पर तेज़ाब हमला दुर्भाग्यपूर्ण, दोषियों पर सख़्त कार्रवाई करे प्रशासन : अभाविप

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद रविवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई महाविद्यालय की छात्रा पर महाविद्यालय के बाहर हुए तेज़ाब हमले को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय मानती है तथा प्रशासन से इस हमले को अंजाम देने वाले दोषियों पर सख़्त कार्रवाई की मांग करती है।

अभाविप का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर एवं उसके आसपास इस प्रकार की घटनाएँ छात्राओं की सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय हैं। अभाविप ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए परिसर के आसपास सुरक्षा प्रबंधों को सख़्ती से लागू किया जाए, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए तथा पुलिस गश्त को और सक्रिय किया जाए।

अभाविप दिल्ली के प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा  कि दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा पर लक्ष्मीबाई महाविद्यालय के बाहर हुआ एसिड अटैक बेहद भयावह और निंदनीय घटना है। विश्वविद्यालय परिसर, जहाँ महिला सशक्तिकरण की बातें की जाती हैं, वहीं ऐसी घटनाएँ समाज और विश्वविद्यालय दोनों को शर्मसार करने वाली हैं। महाविद्यालय परिसरों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था में लगातार लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। हम पुलिस से मांग करते हैं कि दोषियों को जल्द गिरफ्तार कर, कठोर कार्रवाई की जाए और पीड़ित छात्रा को शीघ्र न्याय मिले। अभाविप छात्रा को न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।

इस संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष आर्यन मान ने पीड़िता से अस्पताल में मुलाकात की और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। उन्होंने कहा  कि यह घटना पूरे छात्र समुदाय को झकझोर देने वाली है। हम दिल्ली पुलिस से मांग करते हैं कि परिसर एवं कॉलेजों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए और नियमित पुलिस गश्त सुनिश्चित की जाए ताकि छात्राएँ सुरक्षित महसूस कर सकें

Saturday, 25 October 2025

पर्यावरण संकट का समाधान हमारी जिम्मेदारी : श्री ओम बिरला


नई दिल्ली, 25 अक्टूबर। सोहन सिंह जी की जन्म तिथी के उपलक्ष्य में सोहन सिंह सेवा न्यास द्वारा कॉन्स्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में पाँचवा वार्षिक व्याख्यान आयोजित किया गया। आयोजन का विषय "पर्यावरण : संकट और समाधान" था। आयोजन के अवसर पर मुख्य अतिथि, लोकसभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला जी ने कहा कि सोहन सिंह जी का जीवन हम सबको को प्रेरणा देता है। उनके द्वारा किए गए कार्य की समाज मे चर्चा होती है और यह समाज को प्रेरणा देता है। वह महान कर्मयोगी थे। सादगी व कठोर अनुशासन वाले व्यक्ति थे। उनका लम्बा समय राजस्थान में बीता। उनकी जरूरतें बहुत सीमित थी पर विचार बहुत बड़े थे। 16 साल की उम्र मे उन्होंने देश सेवा को चुना और आज एक प्रचारक के रूप में उनसे लोग प्रेरणा लेते हैं। जलवायु परिवर्तन का संकट आज सभी देशों के लिए संकट है। पर्यावरणीय संकट एक मानवीय संकट है। मनुष्य ही इसका समाधान निकाल सकता है। पर्यावरण संकट के समाधान के लिए जन आंदोलन खड़ा करना होगा। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उत्तर क्षेत्र  सेवा प्रमुख, श्री कृष्ण कुमार ने कहा कि स्वयं को राष्ट्र सेवा के लिए प्रस्तुत करें। इस परिवर्तन शील समाज के लिए हमें ईश्वर भजन करते रहना चाहिए। निस्वार्थ भाव से किया गया कार्य सेवा कार्य है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पर्यावरण गतिविधि संयोजक, श्री गोपाल आर्य जी ने कहा कि मैं दसवीं कक्षा में था जिस समय सोहन जी की उंगली पकड़ी थी। जिस देश में प्रकृति की पूजा होती थी उस देश में आज सांस लेना भी एक संकट है। आज नदियां व जल दूषित हैं। उन्होंने दिल्ली वायु गुणवत्ता की समस्या पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सोहन सिंह जी दो कपड़ों में रहते थे और कम से कम वस्तुएँ उपयोग करते थे। पर्यावरण समाधान के लिए जन जागरूकता लाना होगा।  गांधी प्रकृति ने हमे सब कुछ दिया पर हमने प्रकृति को क्या दिया? आज देश भक्ति की परिभाषा बदलनी होगी। इस अवसर पर पंचपरिवर्तन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर भी चर्चा की गई। 

प्रो राजकुमार भाटिया जी ने सोहन सिंह न्यास के प्रसंग व स्मृति की विस्तार से चर्चा की। सोहन सिंह जी के गांव हरचना में सेवा कार्य की चर्चा की। सोहन जी के विषय में बोलते हुए कहा कि वह श्रेष्ठ प्रचारक थे, साथ ही कहा कि वह एक महापुरुष थे। उनके बारे में समाज को बताया जाना चाहिए।  उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक लाख बाइस हजार सेवा कार्य कर रहा है। 

श्री विनोद गोयल जी ने न्यास की गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन श्री अनूप गुप्ता जी ने किया। श्री राम कुमार मित्तल जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर सोहन सिंह न्यास के न्यासी प्रो राज कुमार भाटिया जी, श्री संतोष तनेजा जी, श्री विनोद गोयल जी, श्री अनूप गुप्ता जी, श्री राम कुमार मित्तल जी, श्री दीन दयाल अग्रवाल जी आदि उपस्थित थे।

Saturday, 18 October 2025

जनसत्ता के प्रभाष जोशी पुस्तक पर विचार मंथन


नई दिल्ली, 16 अक्तूबर। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में प्रख्यात पत्रकार एवं विद्वान पद्मभूषण रामबहादुर राय व मनोज मिश्रा द्वारा संपादित पुस्तक जनसत्ता के प्रभाष जोशी का लोकार्पण एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सचिदानन्द जोशी जी ने अपने स्वागत वक्तय में कहा कि प्रभाष जोशी हिंदी के विरले पत्रकार थे। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता का एक नया कीर्तिमान खड़ा किया।

इस अवसर पर राज्य सभा के सदस्य अशोक बजेपी ने कहा कि प्रभाष जोशी ने हिंदी पत्रकारिता को उचाईं तक पहुंचाया। उन्होंने विनोवा के भूदान आंदोलन की पत्रकारिता को आगे बढ़ाया। 1953 में जनसत्ता शुरू हुआ और 1955 में बंद हुआ। 1983 में जनसत्ता हिंदी का लोकप्रिय अख़बार बन गया। जनसत्ता की खबरों पर जनता का विश्वास बढ़ा, गांधी की सादगी, विनोवा की करुणा, रामनाथ गोयनका की निर्भीकता की झलक उसमें साफ दिखाई देती थी।  

पत्रकार राहुल देव ने कहा कि देश को आज प्रभाष जोशी जैसे पत्रकारों की जरूरत है। राय साहब ने प्रभाष प्रसंग को एक महत्वपूर्ण आयोजन बनाया है जिसका सबको इंतजार रहता है ऐसा कोई आयोजन अंग्रेजी में नहीं है। प्रभाष जी ने जनसत्ता की प्रसार संख्या पर रोक लगाई थी और कहा था कि पाठक अखबार को बांट कर पढ़े, हम और अखबार नहीं छाप सकते। इस तथ्य की जांच होनी चाहिए। बाबरी विध्वंस के बाद उनकी पत्रकारिता की उन्होंने चर्चा की। 

वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार बनवारी जी ने कहा कि प्रभाष जी एक विलक्षण व्यक्ति थे। यह पुस्तक न उनके सम्मान में है नाहीं उनकी याद में है। इस पुस्तक में जनसत्ता से जुडे बहुतायत प्रसंगों पर लिखा गया है। यह पुस्तक बहु रुचिकर व बहु पठनीय है। उनमें कुछ अच्छा करने की ललक व अच्छा जीने की ललक थी । होली की दिन हम सब को इकठ्ठा कर रज्जू भैया के यहाँ ले जाते थे और होली खेलते थे। एक बार श्रद्धा में वो जनसत्ता के 5 लोगों को बुलाए और भोजन कराया और सबके पैर छुए मैंने भी लपक के पैर छुए और कहा कि मैं ब्राह्मण नहीं हूं तो उन्होंने कहा कि तुम नॉमिनेटेड ब्राह्मण हो। 

प्रख्यात पत्रकार एवं इन्दिरा गांधी राष्ट्री कला केन्द्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय जी ने बताया कि जनसत्ता के प्रभाष जोशी पुस्तक की योजना उनके रहते हुए ही बनाई गई थी। मैं उनसे कभी पालम एयरपोर्ट, कभी नई दिल्ली, कभी सराय रोहिल्ला स्टेशन छोड़ने जाता था उस समय उनसे जो बातचीत होती थी उसके आधार पर मैंने प्रभाष जी पर संस्मरण लिखा। इस पुस्तक के माध्यम से प्रभाष जी को नई पीढ़ी जाने यह प्रयास है । प्रथम प्रवक्ता का एक अंक प्रभाष जोशी पर निकला था उसका संपादन पुण्य प्रसून बाजपेई जी ने किया था। वह अंक महत्वपूर्ण था। प्रभाष जी पहले ऐसे संपादक थे जिन्हें अंग्रेजी और हिंदी अखबार दोनों का अनुभव था। प्रभाष जी में बहुत बड़प्पन था। उनके कहने के वावजूद मैं चंडीगढ़ नहीं गया लेकिन उन्होंने इस बात का बुरा नहीं माना। अपने सहयोगी के प्रति कोई रंज नहीं था। उन्होंने अपने जीवम में ईमानदारी, व पद के लिए कोई लालसा नहीं रखी। प्रभाष जोशी जी का अटलबिहारी बाजपेयी का बड़ा सम्मान करते थे । प्रभाष जी ने जो लिखा वो पूरे विश्वास के साथ लिखा। प्रभाष जी को स्मरण करते हुए पत्रकारिता करनी चाहिए। प्रभाष जी ने सार्थक पत्रकारिता की।