Tuesday, 19 January 2016

प्राकृतिक आपदाएं : जिम्मेदार कौन ?

 अभय पांडेय

विश्व में बढ़ रहे प्राकृतिक आपदाओं का जिम्मेदार कौन? वैसे कहने को प्रकृति ही इसकी जिम्मेदार है लेकिन इसके मूल में क्या है? इसका असली जिम्मेदार कौन है? जिस प्रकार से अनियमित तरीके से अतिक्रमण के माध्यम से शहरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह इन प्राकृतिक आपदाओं के लिए एक बहुत बड़ा कारक है। हाल ही में चेन्नई में आया बाढ़ इसका एक बड़ा उदाहरण है। बाढ़ का मूल कारण अडयार नदी पर वेसिन के  नए हवाई अड्डे के लिए किया गया अतिक्रमण है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथरिटी (NDMA) के अनुसार देश का करीब 58.6% भू-भाग अधिक तीव्रता वाले भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील है। देश का लगभग 12% हिस्सा बाढ़ भूमि कटाव से प्रभावित है। ऐसे में यहाँ निर्माण करना कितना जोखिम भरा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। फिर भी लगातार शहरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। चाहे नदियों का विस्तार क्षेत्र हो या मैदानी भाग, लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है, शहर बसाये जा रहे हैं। जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और दिन प्रतिदिन ऐसी आपदाओंं की संख्या बढती जा रही है। NDMA के अनुसार भारत के 7516 किमी तटीय क्षेत्र का तक़रीबन 75% हिस्सा लगभग 5700 किमी का इलाका सुनामी और समुद्री तूफान के लिहाज से से बेहद संवेदनशील है। फिर भी इस तरह के इलाकों में निरंतर निर्माण किया जा रहा है। बढ़ती मानवीय आकांक्षाओं ने आज भारत ही नहीं अपितु पुरे विश्व को खतरे में डाल दिया है। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट के आकड़ों के अनुसार अकेले भारत में 50 लाख लोग प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इस बाढ़ प्रभावित इलाके में मेट्रो पॉलीटन सिटी भी शामिल है। यहाँ तक कामनवेल्थ गेम में खेलगाँव के लिए यमुना पर किये गए अतिक्रमण के बाद से दिल्ली भी बाढ़ से सुरक्षित नहीं रह गई है। भारतीय आकड़ों की अनदेखी भी कर दिया जाये तो भी वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट के अनुसार बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में भारत का 153वां स्थान है। इस प्रकार यदि प्राकृतिक आपदाओं के कहर से बचना है तो हमे ही आगे आना होगा और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने लिए इसके  हो रहे अत्यधिक दोहन को रोकना होगा क्योंकि प्रकृति को बचाने मात्र यहीं एक तरीका बचा है और कोई दूसरा नहीं।  



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