Tuesday 8 October 2019

त्यौहारों पर भी दिखा मंदी का असर


अमन वर्मा

वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था खराब स्थिति से गुज़र रही है। अर्थशास्त्री इसके पीछे नोटबन्दी और जीएसटी जैसे कारण को बता रहे हैं। सरकार पर कर्ज़ का दबाव 53 लाख करोड़ रुपए से बढ़ कर 88 लाख करोड़ रुपए पर जा पहुँचा है। इस वर्ष देश ने एक साल में 4 'मिनी बजट' भी देखे, जो काफी हद तक अर्थव्यवस्था को पर नियंत्रण पाने के मद्दे नज़र किए गए। मंदी की मार झेल रहे ऑटोमोबाइल उद्योग में भारी गिरावट देखने को मिली, जिस पर काफी सवाल भी उठे और सरकार की आलोचना भी हुई लेकिन इसे समझना इतना आसान भी नहीं, क्योंकि इसी क्षेत्र में उतरी कुछ नए विदेशी कंपनियों की गाड़ियाँ साल भर के लिए प्री-बूक हैं। अगर एफएमसीजी (FMCG) की बात करें तो यह सबसे बुरे वक्त से गुज़र रहा है। मगर अगर आकड़ो को देखा जाये तो पता चलता है कि बुरे दौर में पिछले तिमाही में ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी सेक्टर ने 25% तक कि वृद्धि पायी है। 

कॉर्पोरेट टैक्स में पहले बढ़ोतरी, फिर नौकरी गवाने का दौर और बेरोजगारी की आशंका को देखते हुए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गयी है। इसके बाद सरकार का आरबीआई के रिस्क बफर से ली गयी लाख 76 हज़ार करोड़ की राशि अर्थव्यवस्था की गाड़ी को कितना धक्का दे सकती है यह आने वाला समय बताएगा। त्यौहारों का महीना अक्टूबर आगया है पर बाज़ार में कोई रौनक नहीं देखने को मिल रही है। इसकी शुरुआत फीकी नवरात्रि और दशहरे से हुई है। पिछले 21 सितंबर को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स स्लैब को कम किया, तो मंच पे बैठे कई उद्योगपतियों ने कहा कि इससे भरतीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और त्योहारों में बाजार में रौनक भी लौटेगी। मगर इसके बावजूद बाजार में कुछ खास असर देखने को नहीं मिला है।मंदी का असर दिल्ली की प्रसिद्ध राम-लीला पर देखने को मिली लोगों का कहना है कि इस वर्ष हर साल की अपेक्षा राम-लीला धूमिल रही। वहीं मंदी का असर दुर्गा-पूजा में बने पंडालो में भी दिखा।जहाँ पंडालों कि  साज-सज्जा में सूनापन देखने को मिला। बात कि जाए छोटे दुकानदारों की तो इस त्योहार के महीने में उन्हें मंदी से उबरने की आशा थी पर कुछ खास चमत्कार नहीं दिखा। 

दिल्ली के कपड़ा व्यापारी ने बताया कि अक्टूबर के महीने से बिक्री में तेजी की उम्मीद थी लेकिन कोई असर नवरात्रि में देखने को नहीं मिला। एक दूसरे खिलौने बेचने वाले व्यापारी ने बताया कि मंदी की मार ने बच्चों की ज़िद को भी मात दे दिया है नवरात्रि के अंतिम दिनों में भी कोई खास बिक्री नहीं हुई। मंदी के हालातों को समझने के लिए इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविन्द्र नाथ जी से हमने बात की तो उन्होंने बताया कि "तरलता संकट को कम करने के लिए सरकार को अपने ऊपर बकाया राशि को तुरंत चुकाना होगा" साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशको पर लगाई गई पाबंदी को भी कम करना होगा। यह सब जब होगा तभी सुधार की उम्मीद लगाई जा सकती है। जिसके आसार अभी आने वाले दिनों में कम हैं। त्यौहारों में मंदी की वजह से लोगों में उत्साह की भी कमी है।

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