Monday 4 July 2022

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन से बदलेगी देश की दिशा और दशा: डॉ. अतुल कोठारी


नई दिल्ली, दौलत राम कालेज के सभागार में विद्यार्थी अपनी जिज्ञासा अनुरूप क्रियाओं  को कर आत्मनिर्भर बनें. शिक्षा मात्र डिग्री प्राप्ति हेतु न होकर कौशल विकास की यात्रा बनें.  ‘देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा’, किन्तु इसके लिए आवश्यक है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सफल क्रियान्वयन सम्पूर्ण राष्ट्र में हो. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस का शुभारम्भ प्रो. नागेश्वर राव नें ओम शर्मा जी आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया. सामाजिक विकास में शिक्षा और शैक्षणिक संस्थानों की महती भूमिका और आत्मनिर्भरता युक्त शिक्षा के साथ भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने का समय अब आ गया है. प्रो. नागेशियर राव जी ने बताया की माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश को २५० से अधिक स्वयंप्रभा के टीवी चैनल देकर देसज में एक क्रांति का सूत्रपात किया है.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली के पूर्व कुलपति, डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास जैसे संगठनों ने देश की शिक्षण व्यवस्था को मैकाले की कु-नीतियों से निकालते हुए स्वावलंबन के बोध से सिंचित किया है. भारत में शिक्षा में मौन क्रांति के जनक है आदरणीय दीनानाथ बत्रा जी.  राष्ट्रव्यापी इस न्यास ने भारत के विविध समाज की शैक्षणिक आवश्यकताओं के मर्म को समझा और समय-समय पर क्रान्तिकारी निदान सरकार और शैक्षणिक निकायों को सुझाए हैं. शब्दों का सही चयन सकारात्मकता विकसित करता है. शिक्षण में मौलिक कार्य उस भाषा में ही सकते हैं जिसमें हम स्वप्न देखते हैं. रचनात्मकता केवल मातृभाषा में ही संभव है. पर्यावरण में साफ़ सफाई जैसे विषय हों ऐसा उच्चतम न्यायालय नें भी माना है .  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सफल क्रियान्वयन हम सभी का समेकित दायित्व है. शिक्षक का सशक्तिकरण होना चाहिए और पाठ्यचर्या विद्यार्थी की अभिरुचि के अनुरूप होनी चाहिए.   

निमित्त्मातम भवः के सूत्र के साथ इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री श्री चम्मू शास्त्री जी ने कहा कि भाषा से महत्त्वपूर्ण है भाषा के माध्यम से विषयों को पढाना. भारतीय भाषाएँ आकांक्षाओ की भाषाएं है. भारतीय भाषा परिवार को आगे बढ़ाना है जिससे कि भारत का पुनुरुथान हो सके .         


शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, शिक्षा एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने वाला एक अग्रणी संगठन है। शिक्षा में मातृभाषा के महत्व को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य से इस न्यास की स्थापना वर्ष 2007 में समाजसेवी शिक्षाविद दीनानाथ बत्रा द्वारा की गयी थी। न्यास सदैव शिक्षा में पाठ्यक्रम, प्रणाली और नीति को सकारात्मक व प्रभावी करने के साथ शिक्षा में भारतीयकरण का पक्षधर रहा है। चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का समग्र विकास जैसे मूल विषय के साथ पर्यावरण शिक्षा, वैदिक गणित, भारतीय भाषा मंच,  शिक्षा में  स्वायत्तता, शोध प्रकल्प, शिक्षक शिक्षा, प्रबंध एवं तकनीकी शिक्षा, भारतीय भाषा मंच, शिक्षा स्वास्थ्य आदि इसके मुख्य विषय है। ‘मातृभाषा में शिक्षा’ और ‘माँ, मातृभूमि और मात्र भाषा का कोई विकल्प नहीं’ के नारों के साथ न्यास सतत आगे बढ़ते हुए भारत की शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक सुधार, आत्मनिर्भर भारत जैसे आयामों को विकसित करते हुए न्यास विद्यार्थियों व शिक्षकों के हित में अनेक प्रयास कर रहा है. 

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रो. सविता रॉय, डॉ. प्रत्युष वत्सला, श्री राजेश सिंह (भाप्रसे)  न्यास के दिल्ली प्रान्त संयोजक उपासना अग्रवाल, पर्यावरण शिक्षा के राष्ट्रीय संयोजक संजय स्वामी, शोध प्रकल्प के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार, प्रतियोगी परीक्षा के राष्ट्रीय संयोजक देवेन्द्र कुमार, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. इन्द्रजीत सिंह, डॉ. शीतल, डॉ. दर्शन सिंह  आदि उपस्थित रहे.

No comments:

Post a Comment