Sunday 12 February 2023

स्वाध्याय व सहयोग से होगा चरित्र निर्माण


दिल्ली, 11 फरवरी शनिवार, विवेकानंद महाविद्यालय व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में "पंचकोश की अवधारणा : चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि न्यास के राष्ट्रीय संयोजक (पर्यावरण शिक्षा) श्री संजय स्वामी ने कहा की स्वाध्याय व सहयोग से होगा चरित्र निर्माण और पंचकोष को आत्मसात् कर व्यक्तित्व विकास को संभव किया जा सकता है। 


इस कार्यशाला के सफल आयोजन की संकल्पना का निर्धारण महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ हिना नंदराजोग व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की दिल्ली प्रान्त संयोजिका श्रीमती उपासना अग्रवाल के द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक (पर्यावरण शिक्षा) श्री संजय स्वामी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। सरस्वती वंदना व गायत्री मंत्रोचार के उपरांत डॉ महेश कौशिक, प्रचार प्रमुख ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के उद्देश्यों व राष्ट्र हित में किए जा रहे शैक्षणिक कार्यों पर प्रकाश डाला। दिल्ली प्रांत के विषय संयोजक डॉ इन्द्रजीत सिंह ने उपस्थित छात्राओं का सुन्दर पथ-प्रदर्शन किया। साथ ही साथ कार्यशाला को सुव्यवस्थित गति प्रदान करने के उद्देश्य से तथा लाभदायक बनाने को आधार बनाकर कार्यक्रम की संयोजिका डॉ कामिनी तनेजा एवं सह-संयोजिका डॉ मीना पाण्डेय के द्वारा बहुविध प्रशंसनीय संयोजन किया गया।


कार्यशाला का मूल्यांकन उपस्थित प्रखर वक्ताओं के अद्भुत व्यक्तित्व, स्फूर्तिदायक वक्तव्य से, जीवन के बहुमूल्य अनुभवों के उदाहरणों से किया जा सकता है। छात्राओं के तन-मन में नवचेतना एवं नवोत्साह का संचार करने में यह कार्यशाला पूर्णरूप से सफल रही। मुख्य वक्ताओं में सर्वप्रथम डॉ कामिनी तनेजा ने अन्नमय कोश, डॉ चन्डी प्रसन्न नायक ने प्राणमय कोश, डॉ इन्द्रजीत सिंह ने मनोमय कोश, श्रीमती ममता नागपाल ने विज्ञानमय कोश तथा अन्तिम पड़ाव आनन्दमय कोश पर श्रीमती सीमा सिंह ने प्रकाश डाला और क्रियात्मक ढंग से उपस्थित प्रतिभागियों को जोड़ते हुए कार्यशाला को जीवंत बनाये रखा। भोजन के महत्व, संतुलित भोजन, योगाभ्यास, हास परिहास, ध्यान व चिंतन, स्व-अवलोकन, सतत अध्ययन, वैज्ञानिक दृष्टि, आनंद की अनुभूति आदि बिंदुओं पर छात्राओं ने मार्गदर्शन प्राप्त किया। 


गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रष्थ विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय से पधारें डॉ विनोद शनवाल नें व्यक्तित्व विकास के विभिन्न पक्षों को समझाया और शिक्षा की इसमें निहित प्रखर भूमिका व प्रभावों की चर्चा की।  सभी  ओजस्वी वक्ताओं से प्रभावित होकर उपस्थित छात्राओं ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी और उनका निदान प्राप्त किया। मुक्त संवाद में छात्राओं ने बताया कि उनके व्यक्तित्व और आत्मविश्वास पर इस कार्यशाला में गहरी छाप पड़ी है। कार्यशाला में आयी सौ से अधिक छात्राओं द्वारा यह संकल्प लिया गया कि वे ज्ञान अर्जित करने के साथ-साथ अपने चरित्र और अपने व्यक्तित्व का इस प्रकार से विकास करेंगे जो कि समाज के लिए व राष्ट्र के लिए एक आदर्श बने। अतः यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के साथ जिस उद्देश्य को लेकर इस आयोजन को किया गया था उसने प्रत्येक आयाम से इस कार्यशाला ने अपनी सार्थकता को सिद्ध किया। विवेकानंद महाविद्यालय द्वारा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विजय गोस्वामी, सभी संकाय सदस्य, विषय विशेषज्ञों और विशेष रूप से उपस्थित सभी छात्र प्रतिभागियों धन्यवाद देते हुए कल्याण मंत्र के साथ कार्यशाला संपन्न हुई। 

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