Friday, 21 November 2025

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन


नई दिल्ली, 21 नवम्बर। विश्व हिंदी परिषद और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद  के संयुक्त तत्वावधान में पं. दीनदयाल उपाध्याय की 110वीं जयंती के अवसर पर 'राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक : पं. दीनदयाल उपाध्याय' विषय पर दो-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन का आरंभ किया गया। विज्ञान भवन में आयोजित सम्मलेन में देश - विदेश से हिंदी और पं. दीनदयाल उपाध्याय को समर्पित प्रबुद्धजनों, भाषाविदों, प्रशासकों और राजनेताओं ने विषय पर अपना मत प्रस्तुत किया। पूर्वपीठिका और उद्घाटन सत्र से अलग तीन अन्य सत्रों में सम्मेलन का प्रथम दिवस आयोजित हुआ। प्रथम सत्र में 'पं. दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानववाद', द्वितीय सत्र में 'पं. दीनदयाल उपाध्याय : रामराज्य बनाम धर्मराज्य' विषयों पर वक्तव्य रखे गए। तृतीय सत्र में विभिन्न कलाकारों और कवियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं काव्यपाठ प्रस्तुत किया गया। सम्मेलन में पुस्तकों का विमोचन और फिल्म 'नालंदा विश्वविद्यालय : एक झलक' का प्रदर्शन भी शामिल रहा। 

दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथियों द्वारा सम्मेलन का आधिकारिक उद्घाटन भव्यता से किया गया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अभ्यागत के रूप में  लद्दाख के उपराज्यपाल कवींद्र गुप्ता, निवर्तमान केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्र उपस्थित रहे और अपने मत को प्रस्तुत किया। लद्दाख के उपराज्यपाल कवींद्र गुप्ता ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म दर्शन को ध्येय सूत्र बनाकर भारत की वर्तमान सरकार देश में मानवता और राष्ट्रीयता की सेवा में रत है। अजय मिश्र टेनी ने पं. दीनदयाल के विषय में कहा कि पंडित जी को राजनीतिज्ञ से अधिक दार्शनिक के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी का मानना था कि मन, क्रम और वचन में शुद्धता से राजनीति में शुचिता आती है। टेनी ने बताया कि सरकार ने गृहमंत्रालय में भारतीय भाषा विभाग की स्थापना की है जिससे भारत की सभी मातृभाषाओं का सम्मान बढ़ाया जा सके। 

सम्मेलन में प्रो. सच्चिदानंद मिश्र ने कहा कि हमारी जो परंपरा है वह पूरे विश्व को परिवार के रूप में देखती है। यही भारत की समता और समरसता को दिखाता है। विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने सम्मेलन का विवरण और परिषद परिचय रखा। सत्र का विषय प्रवर्तन सम्मेलन संयोजक प्रो. रामनारायण पटेल ने किया। सम्मेलन पूर्वपीठिका में 'राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक : पं. दीनदयाल उपाध्याय' विषय पर एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवम् विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेशचंद्र शर्मा, 'कमल संदेश' के संपादक डॉ. शिवशक्ति नाथ बख्शी, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव बलदेव पुरुषार्थ और दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. हेमचंद्र जैन ने वक्तव रखा। 

डॉ. महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि दीनदयाल जी का मानना था कि राष्ट्र निर्माण नहीं किया जाता है अपितु वह स्वयं उत्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी होने के लिए मानवता विरोधी होना जरूरी नहीं है। डॉ. शिवशक्ति नाथ बख़्शी ने कहा कि पंडित जी के व्यक्तित्व ने आधुनिक राजनीति के नये प्रतिमान गढ़े। दीनदयाल जी का व्यक्तित्व राष्ट्र के प्रति समर्पित रहा और इनके दो मूल सिद्धांत एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय विचार भारतीय मानवता के प्रतीक बनें। पंडित जी का मानना था कि व्यक्ति और समाज के बीच कोई बंधन नहीं होना चाहिए और उनका पूरा जीवन आध्यात्मिकता को बढ़ाने, धर्म एवं संस्कृति के प्रति केंद्रित रहा।  बलदेव पुरुषार्थ ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंडित जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। पंडित जी का विचार संकीर्ण नहीं बल्कि समावेशी था। उन्होंने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी कहते थे कि यदि उन्हें दो दीनदयाल मिल जाए तो वे राजनीति पलट देंगे। उपाध्याय जी ने राष्ट्रवाद की संकीर्ण भावना को राष्ट्र के खिलाफ मानते थे।  

प्राचार्य प्रो. हेमचंद्र जैन ने वक्तव्य में कहा की भारत के इतिहास को शुद्ध करने की आवश्यकता है। 80 करोड़ देशवासियों को निः शुल्क भोजन की व्यवस्था दीनदयाल के अंत्योदय का ही फल है। पं. दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानववाद विषय पर बोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो. बलराम पाणी ने कहा कि राष्ट्र के लिए अपने शरीर का समर्पण ही सच्ची राष्ट्रीयता है।दो दिवसीय सम्मेलन के प्रथम दिवस का समापन अंतरराष्ट्रीय कथक नर्तक राहुल कुमार रजक द्वारा संगीत-नृत्य प्रस्तुति व अन्य कवियों के काव्य पाठ से हुआ। शनिवार को सम्मेलन के दूसरे दिवस में पत्रकारिता जगत, राजनीति और प्रशासन आदि क्षेत्रों से संबंधित वक्ता अपनी बात रखेंगे साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी से संबंधित 100 से अधिक शोध पत्र पढ़े जायेंगे।

No comments:

Post a Comment