Saturday 13 May 2023

सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिकता के मुददे पर बहस चिंताजनक : रामबहादुर राय


नई दिल्ली, 13 मई। जिज्ञासा न्यास के स्थापना दिवस के मौके पर दिल्ली के कन्स्टिटूसन क्लब ऑफ इंडिया में व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस मौके पर  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री रामबहादुर राय ने 'भारत का संविधान, संसद और सर्वोच्च न्यायालय' विषय पर बोलते हुए कहा कि सुप्रीमकोर्ट अपनी ही बनाई हुई लक्ष्मण रेखा को तोड़ रही है। भारतीय संविधान के तीन अंग हैं संसद, सरकार और सर्वोच्च न्यायालय। संविधान निर्माता ने संविधान को भगवान  विष्णु का रूप बताया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संविधान दिवस के माध्यम से संविधान का आम जनमानस से परिचय कराया है। पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिकता के मुददे पर बहस चिंताजनक है।  समलैंगिकता पर सर्वोच्च न्यायालय अगर फैसला सुनाता है तो इससे सामाजिक व सांस्कृतिक भूकम्प आएगा। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट संविधान के आधारभूत ढांचे की अवहेलना कर रहा है। संविधान क्या सुप्रीम कोर्ट को ये इजाजत देता है? समलैंगिकता के विषय को लेकर उन्होने के कहा कि इसपर आने वाला फैसला एक तरह से शिव तांडव होगा। आगे केरल राज्य के केशवानंद भारती के फैसले की चर्चा करते हुये कहा कि इस फ़ैसले से हर गली में दंगल खड़े हो गए। पुस्तक  'सुप्रिम विस्पर'  की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इस पुस्तक से पता चलता है कि राजेन्द्र बाबु और जवाहरलाल नेहरू सुप्रीम कोर्ट के जजों को बुला कर कहते थे कि यह फैसला करो! फिर उन्होंने इंदिरा गांधी के समय की एक घटना का जिक्र करते हुये कहा की उस समय भी सुप्रीम कोर्ट को सरकार के अधीन काम करने केलिए बाध्य थी।सुप्रीम कोर्ट के जज निरंकुस हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट अपनी मर्यादा तोड़ रही है और सरकार अपनी मर्यादा में है।  संसद और सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर जनता पर मेहरबान होती है। सुप्रीम कोर्ट का इंटरपिटेसन जर्मनी से मिलता है। संविधान संसोधन जैसे गंभीर विषय पर भी उन्होने चर्चा की। संसद संविधान सभा के कन्ट्रोल में है तो कोई भी परिवर्तन कर सकता है। 


संविधान निर्माता ने संविधान की व्यख्या का धिकार सुप्रीम कोर्ट को दिया था पर अनर्थ हो गया, आज उसकी परिणीति दिखाई दे रही है। नाज़ फाउंडेशन (NGO) जो काम बन्द करमे में करता था वो काम आज सुप्रीम कोर्ट कर रही है। सुप्रीम कोर्ट जब अपनी सीमा लांघती है तो अनिर्वाचित सत्ता स्थापित करना चाहती है, सुप्रीम कोर्ट जनमत की सत्ता को भी ख़ारिज करती है। कोलेजियम व्यवस्था के विषय में उन्होने  कहा कि भारती जनता पार्टी ने जो अपने घोषणापत्र में कहा था उसको अपने वादे पूरे करने चाहिए। उन्होंने ने कहा कि कोलेजियम व्यवस्था की वर्तमान उपराष्ट्रपति भी आलोचना करते हैं।संविधान निर्माता डॉ भीम राव अंबेडकर ने भी कोलेजियम व्यवस्था की लोचना की थी। आज कोलेजियम व्यवस्था कुंडली मार कर बैठ गया है। थ्री जजेज़ केस से कोलेजियम व्यवस्था आयी, जो संसद और सरकार से अलग है। इस प्रकार संविधान को बिना बदले हुए जाजोने संविधान बदल दिया। कोलेजियम व्यवस्था के कारण समाजिक व न्यायिक विविधता लाने की मांग खत्म हो गयी। 2018 में समलैंगकता को क्राइम से निकाल दिया गया। इस संदर्भ में वर्तमान जीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने ब्रिटिश हाईकमान में समलैंगकता के पक्ष में भाषण दिया था। इस देश मे न्यायिक व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। आज भारत चाहता है कि कोर्ट का फ़ैसला भारतीय भाषाओं  व हिंदी में हो। 


संविधान में जो मूल व्यवस्था है को लागू किया जाने की जरूरत है। इस मौके पर जिज्ञासा न्यास के मुख्य न्यासी माननीय प्रो राजकुमार भाटिया जी ने जिज्ञासा न्यास के स्थापना दिवस पर न्यास के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह फोरम पिछले  छः सालों से चल रहा है। जिज्ञासा देश, समाज और विश्व में क्या चल रहा है, इन विषयों पर चर्चा व गहन विचार-मंथन करती है। उन्होंने कहा कि रामबहादुर राय संविधान विषय के गंभीर अध्येता है, उनकी  इस विषय में अच्छी जानकारी है। सर्वोच्च न्यायालय में जो चल रहा है वर्तमान समय में उसकी चर्चा होनी चाहिए। उन्होने रामबहादुर राय जी का परिचय कराया और कहा कि बहुत तैयारी के साथ किसी भी विषय पर बोलते हैं। इस मौके पर माननीय देवरत्न शर्मा  जी ने कार्यक्रम संचालन किया। मुनीश गौड़ जी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुये सभी का आभार प्रकट किया। आयोजन में दिल्ली विश्विद्यालय, जामिया और  जवाहर लाला नेहरू विश्विद्यालय से सौकणों प्रोफेसर, शोधार्थी और पत्रकार उपस्थित थे। 

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