दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब दिल्ली फिर से उठ खड़ी हुई है. दिल्ली की जनता अब जागरूक हो चुकी है वह किसी भी पार्टी की वादा खिलाफी बर्दाश्त नहीं कर सकती. केंद्र में 9 महीने से बीजेपी की सरकार होने के बावजूद बेरोजगार, महंगाई और बिजली पानी की समस्याओं से जूझ रहे आम आदमी को कोई राहत नहीं मिली और यही कारण हैं की इस विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का नामो निशान मिट गया और बीजेपी भी मात्र तीन सीटों पर सिमट कर रह गई. जबकि हाल ही में उभर कर आई आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत ही नहीं ऐतिहासिक जीत हासिल हुई.
इस बार के चुनाव नतीजों पर पूरे देश की नजर थी क्योंकि दिल्ली की राजनीति अब एक राष्ट्रीय राजनीति का रूप ले चुकी है. यह एक नेशनल ङीबेट का विषय बन चुका है. दिल्ली की राजनीति अब दिल्ली की राजनीति नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति बन चुकी हैं यानि कि अब दिल्ली का मतलब देश. तो फिर अरविंद केजरीवाल दिल्ली का मुख्यमंत्री ना होकर पूरे देश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. 14 फरवरी 2015 को जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के ऐतिहासिक राम लीला मैदान में अपने पद और गोपनीयता की शपथ उप-राज्यपाल नजीब जंग के द्वारा ली, तब से ही यह मसला तेज हो उठा कि अब दिल्ली के आने वाले 5 साल, दिल्ली के साथ-साथ देश का भविष्य तय करेंगे. अगले 5 साल मे केवल आम आदमी पार्टी का नही बल्कि और भाजपा, कांग्रेस का भी भविष्य तय करेंगे. आम आदमी पार्टी का वर्चस्व एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है, पार्टी संयोजक एंव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बात को बखूबी जानते हैं कि जनता को उनसे बहुत सी अपेक्षाएं है, उन पर काफी जिम्मेदारी है तो वह अब पुरानी गलतियों को कभी नही दोहराएंगे.
शपथ ग्रहण के बाद हुए अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में कहा वह दिल्ली को भारत का पहला भष्टाचार मुक्त भारत बनायेंगे. साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के मंञीयो, विधायकों और समर्थकों को कहा कि इतने भारी बहुमत के बावजूद हमें अहंकार नहीं पालना है. देश भर में आम आदमी पार्टी के समर्थक इस ऐतिहासिक जीत के बाद बहुत उत्साहित हैं. शायद इसी उत्साह के साथ अब अरविंद केजरीवाल आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी करेंगे. ये देखना बहुत ही दिलचस्प होगा कि अगले 5 साल देश और दिल्ली की राजनीतिक हालातों में क्या बदलाव आता है.
इस बार के चुनाव नतीजों पर पूरे देश की नजर थी क्योंकि दिल्ली की राजनीति अब एक राष्ट्रीय राजनीति का रूप ले चुकी है. यह एक नेशनल ङीबेट का विषय बन चुका है. दिल्ली की राजनीति अब दिल्ली की राजनीति नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति बन चुकी हैं यानि कि अब दिल्ली का मतलब देश. तो फिर अरविंद केजरीवाल दिल्ली का मुख्यमंत्री ना होकर पूरे देश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. 14 फरवरी 2015 को जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के ऐतिहासिक राम लीला मैदान में अपने पद और गोपनीयता की शपथ उप-राज्यपाल नजीब जंग के द्वारा ली, तब से ही यह मसला तेज हो उठा कि अब दिल्ली के आने वाले 5 साल, दिल्ली के साथ-साथ देश का भविष्य तय करेंगे. अगले 5 साल मे केवल आम आदमी पार्टी का नही बल्कि और भाजपा, कांग्रेस का भी भविष्य तय करेंगे. आम आदमी पार्टी का वर्चस्व एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है, पार्टी संयोजक एंव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बात को बखूबी जानते हैं कि जनता को उनसे बहुत सी अपेक्षाएं है, उन पर काफी जिम्मेदारी है तो वह अब पुरानी गलतियों को कभी नही दोहराएंगे.
शपथ ग्रहण के बाद हुए अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में कहा वह दिल्ली को भारत का पहला भष्टाचार मुक्त भारत बनायेंगे. साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के मंञीयो, विधायकों और समर्थकों को कहा कि इतने भारी बहुमत के बावजूद हमें अहंकार नहीं पालना है. देश भर में आम आदमी पार्टी के समर्थक इस ऐतिहासिक जीत के बाद बहुत उत्साहित हैं. शायद इसी उत्साह के साथ अब अरविंद केजरीवाल आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी करेंगे. ये देखना बहुत ही दिलचस्प होगा कि अगले 5 साल देश और दिल्ली की राजनीतिक हालातों में क्या बदलाव आता है.
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