Wednesday 24 April 2024

क्रिकेट अगर कोई धर्म तो उसके भगवान हैं सचिन

करुणानयन चतुर्वेदी 

नवंबर की कंपा देनी वाली 1989 की सर्दी में मात्र 16 का बच्चा जब अपने हाथों में बल्ला लिए मैदान पर उतरा तो तत्कालीन पाकिस्तानी खिलाडियों के एक ही शब्द थे; 'अब ये  बच्चा खेलेगा'। सामने के खेमे में एक से एक रफ़्तार के सौदागर मौजूद थे । इमरान ,वाकर और अकरम की गेंदों का तोड़ किसी के पास नहीं था। जब वकार की गेंद ने उस बच्चे के नाक को रक्तरंजित किया और साथी बल्लेबाज़ ने अनुरोध किया कि आप वापस पवेलियन चले जाओ, उस समय दर्द को भूल कर उस बच्चे ने कहा था कि, "मैं खेलेगा..... , .....मैं खेलेगा" । अगली गेंद पर जब उसने तीर के समान सीधे करारा शॉट मारा तो उसने साबित कर दिया था कि 'वाकई वह खेलेगा और लम्बा खेलेगा'।


 उसके बाद उसने कभी यह नहीं देखा या सोचा की सामने कौन है , कितना महान है , मौसम कैसा है, पिच कैसी है, गेंद कैसा है और खेल का प्रारूप कैसा है ।उसने बस खेलना ज़ारी रखा । उसने इतना शानदार खेला की उर्वशी के समान अप्सरा भी उसकी साधना को भंग नहीं कर सकी। उसने उस 22 गज की साधारण सी दिखने वाली पट्टी को क्रिकेट के सबसे बड़े साधक के स्थान के रूप में लोकप्रिय किया। उस 5 फुट 5 इंच के महामानव का नाम था सचिन रमेश तेंदुलकर। 


 उसके समकालीन चाहें वाकर से अकरम, अख्तर से पोलॉक, एम्ब्रोज से मैक्ग्राथ, ब्रेट ली से चमीडा वास, शेन बॉन्ड से गिलिस्पी, मुरलीधरन से शेन वॉर्न, अब्दुल कादिर से मुश्ताक इस खिलाड़ी ने हर गति के गेंदबाजों को अपनी कला के दाम पर नाच नचाया। ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी , अफ्रीका के खूंखार मैदान , इंग्लैंड के स्विंगिंग कंडीशन, न्यूजीलैंड के तेज़ तर्रार पिच से लेकर श्रीलंका की टर्निग ट्रैक , पाकिस्तान के सपाट पिचों में दम नहीं हुआ कि वह साधक को अपने राह से डिगा दें।


 क्रिकेट की दुनिया के बड़े नाम जिनसे खौफ में रहते थे सचिन ने सबकी बारी बारी से बक्खियाँ उधेड़ी। सचिन की बल्लेबाजी में एक लय थी। जिस लय पर सभी पर सभी गेंदबाज थिरकते थे। सचिन को क्रिकेट की किताब के सभी शॉट में महारत हासिल थी। जब सचिन कदमों का इस्तेमाल करके बॉलर के ऊपर से गेंद सीमा रेखा के बाहर मारते थे तो वह उनके जुनून को दिखाता था। खेल के प्रति समर्पण को दिखाता था। फिर शॉट खेलने के बाद की हल्की सी मुस्कान तो मानों गेंदबाज को जले पर नमक के समान लगती थी। विश्व का कोई मैदान सचिन के शानदार बल्लेबाजी के अनुभवों से नहीं बच पाया। किसी ने 98 रनों को अपने जेहन में सजों लिया तो किसी ने 241 को आत्मसार कर लिया। 85 रन ही महान हो गया तो किसी को शतकों का शतक ही भा गया। 


सचिन खेल के संचालक और संघारक दोनो ही भूमिका में रहे । शारजहां ने 1998 में सचिन का रौद्र रूप देखा , तो 2004 में सिडनी ने किसी सन्यासी के त्याग को। यह दोनों ही मौकें तत्कालीन अजेय ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आई थीं। वही टीम जिसके खिलाफ़ टीमें खेलने से घबराती थीं। सिडनी का वह  नाखुश मैदान सचिन के कवर ड्राइव न देखने का मलाल आज भी स्टीव वा के ऊपर फोड़ता है। शारजाह की रेतीले तूफ़ान सचिन के यादगार शॉट को आज भी कान लगाकर सुनते हैं। और सुनते है टोनी गेग्र और रिची बेनो की उस अमर आवाज़ को जो आज भी श्रोताओं के कानों को अमृत का पान करती हैं। 


डॉन ब्रैडमैन के नाम के खूब कसीदें पढ़े जाते हैं। विव रिचर्ड्स के एटीट्यूड के दीवानों लाखों होंगे तो हों। परंतु जब यह पंच फुटिया बल्लेबाज मैदान पर उतरा था तो भारत की सड़कें रुक जाती थीं। लोग रेडियो और टीवी पर ठहर जाते थे। उसके साथ भारतीयों की उम्मीदें सफ़ेद और नीली जर्सी में मैदान पर उतरती थी। 10 नंबर पर उन्हें भरोसा होता था। भरोसा इतना की उसके आउट होते ही रेडियो , टीवी तक बंद हो जाते थे। उसने भारतीय क्रिकेट में क्रांति लाई। शेन वॉर्न को जब वह निकल कर मारता था, तो उसकी मार शेन वॉर्न की नींद तक उड़ा देती थी । जिन मैकग्राथ, गिलस्पी और अख्तर से बल्लेबाजों की रूहें तक कांप उठती थी उनको वह डाउन द ग्राउंड मारता था। उसने 24 वर्षों तक देश की उम्मीदों को अपने कंधों पर उठाए रखा। वास्तव में अगर क्रिकेट कोई धर्म है ,तो सचिन उसके भगवान । 


तमाम क्रिकेट प्रेमियों के लिए सचिन भगवान हैं। खिलाडियों के वह प्रेरणास्रोत हैं। पीढ़ियों ने उनसे सीखकर क्रिकेट खेलना शुरू किया। ऐसे महान मां भारती के लाल सचिन रमेश तेंदुलकर को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं एवं बधाई!

Tuesday 16 April 2024

बाबा साहेबभीमराव अम्बेडकर केवल दलितों के नेता नहीं, बल्कि वैश्विक नेता हैं : डॉ फलवारिया

करूणा नयन चतुर्वेदी 

 नई दिल्ली, 16 अप्रैल। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज में बाबा साहेब आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में 18 वां अम्बेडकर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। व्याख्यान का विषय राष्ट्र निर्माण में बाबा साहेब आंबेडकर का योगदान था। 

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन किया गया। मुख्य अतिथि व वक्ताओं का स्वागत प्रो अरविंद कुमार यादव ने मोमेंटो व अंगवस्त्र देकर किया। 

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आर एन दुबे ने इस मौके पर कहा कि महिलाओं को मातृत्व अवकाश देने की संकल्पना भी डॉ भीमराव अंबेडकर कि ही देन है। उनके के एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) पर उनके दूरगामी सोच को दिखाती है। मुख्य वक्ता जगदीश यादव ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अम्बेडकर जी देशभक्ति की मिसाल हैं। उनके अनुसार देशभक्ति सर्वोपरि है। उनके के ही योगदान से हमें देश की सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ है। 

विशिष्ट अतिथि डॉ राजकुमार फलवारिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि बाबा साहेब का जीवन अपने आप में विराट दर्शन का विषय है। अम्बेडकर  की वज़ह से ही मजदूरों को 14 घंटे के बदले 8 घंटे मजदूरी का प्रावधान ब्रिटिश सरकार ने लागू किया था। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का ही विचार था कि जिस देश का अपना बैंक न हो उसका आर्थिक विकास नहीं हो सकता। 

विशिष्ट वक्ता प्रो पंकज त्यागी ने बाबा साहेब के पंच-प्रण को उल्लेखित करते हुआ कहा कि शिक्षित बनो, सही कार्य करो, सभी का आदर करो, हमेशा कानून का पालन करो और अपने कार्यक्षेत्र में तब तक लगे रहो जब तक तुम्हें सफलता प्राप्त नहीं हो जाए।

मंच संचालन का कार्य प्रो संगीता शर्मा ने किया। अतिथियों व श्रोताओं का आभार डॉ रविंद्र सिंह ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ। 

कार्यक्रम में प्रो बिजेंदर कुमार, प्रो विनीत कुमार, डॉ तारशंकर, प्रो राजवीर वत्स, प्रो चित्रा , प्रो जया वर्मा आदि शिक्षक और सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। 

सब की मनोकामना पूरी करनेवाली माँ महागौरी की पूजा-अर्चना

चिराग जैन 


नई दिल्ली, 16 अप्रैल। प्राचीन ऐतिहासिक झण्डेवाला देवी मंदिर में आज वासंतिक नवरात्र के आठवें दिन माँ के आठवें स्वरूप माँ महागौरी का श्रृंगार व पूजा अर्चना पूर्ण विधि-विधान के साथ की गई। इनके गौरवर्ण की उपमा शंख चंद्र और कुंद के फूल से की जाती है,  इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गयी है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएँ है तथा वाहन वृषभ है।   

आज मंदिर में सेवादारो द्वारा कन्या पूजन बड़ी धूमधाम और विधि पूर्वक  किया गया। सभी कन्याओ को पूजन के बाद भेंट और नकद राशि दी गई। आज दिनभर मंदिर में


अपार भीड़ रही। भक्तों के लिये मंदिर सारी रात खुला रहेगा।  अष्टमी होने के कारण अष्टमी जागरण ज्योत प्रचंड रात्रि 9 बजे की जायेगी, जिस का सीधा प्रसारण झण्डेवाला देवी मंदिर यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा। जागरण समाप्ति के पश्चात आरती व कन्या पूजन किया जायेगा।  भक्तों का ऐसा विश्वास है कि आज के दिन माँ झण्डेवाली से सच्चे ह्रदय से मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है। 

Monday 15 April 2024

राजनीति का खिलौना बनाता वोटर

संकल्प मिश्र 

इस समय पूरे देश में लोकसभा चुनाव का माहौल चल रहा है। चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टी अपने वोटर का इस्तेमाल राजनीति के खेल में खिलौने की तरह करते हैं। जिस प्रकार मदारी अपने बंदरों को भोजन का लालच देकर अपने रोजीरोटी लिए उनको तरह तरह का करतब करवाता है, ठीक उसी प्रकार यह नेताओं का समूह पूरी जनता को तरह तरह के लोक लुभावन वादों, पैसे-रुपए के लालच और अन्य बहुत प्रकार के झूठे वादों से इनको गुमराह करते हैं। जनता के वोट का प्रयोग अपनी सत्ता के भोग के लिए करते हैं। यह भारतीय लोकतंत्र में लोक लुभावन वादे पहले से एक प्रकार की समस्या रही है। समाज का एक बड़ा वर्ग इस लोकतंत्र के इस पर्व में भागीदारी नहीं लेता है। चुनाव में मध्यवर्ग का एक बड़ा हिस्सा है जो अपने मत का उपयोग नहीं करता या कहें की वोट नहीं देता है। 



शहरी समाज में वोट नहीं देने का चलन बहुत सुनने और देखने में आता है, लोग वोट देने के वजाय अपने घरों में बैठे रहना पसंद करते है। वहीं एक ऐसा भी मध्यवर्ग है जो वोट देने को लोकतंत्र के पर्व के रूप में देखते है और अपने मताधिकार का सच्चे अर्थों में प्रयोग करते हैं। वहीं शहरों में बड़े-बड़े मकानों में रहने वाले लोगों को इस लोकतंत्र में विश्वास नहीं है या कहें की कोई और  कारण है। 


आज के समय में चुनाव के दौरान कुछ कथित नेताओं द्वारा शराब-मुर्गा, पैसों के बल पर वोट खरीदने का प्रयास करते और सफल भी होते है। इस प्रकार देखा जाए तो कुछ प्रतिशत लोगो के कारण जो अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करते या कहें कि वोट नहीं देते उनके कारण कथित नेता भोली-भाली  जनता का वोट खरीद कर व बहला फुसला कर चुनाव जीत जाते हैं। शराब-मुर्गा और पैसे के लालच में  जनता इन भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलौना बनने को तैयार हो जाते हैं। जिसके कारण देश में भ्रष्ट नेताओं का राजनीतिक खेल चलता रहता है। आज के समय में वोट राष्ट्र के हित में और  समाज के हित में होना चाहिए। जिसका सही इस्तेमाल कर आप एक अच्छे नेता को चुन कर स्वस्थ लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। आप इस चुनाव में अपने वोट का इस्तेमाल जरूर करें है अच्छे नेता को चुन कर संसद में भेजे जो आपका नेतृत्व सही अर्थो में करे। 


युवाओं को अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होने की जरूरत : डॉ चतुर्वेदी

करूणा नयन चतुर्वेदी 

नई दिल्ली, 15 अप्रैल।  दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग एवं संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान ( केंद्र सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में 'युवाओं को संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के प्रति सशक्त बनाने' विषय पर  कार्यशाला का आयोजन किया गया। 


आईपीसीएस की निदेशक डॉ सीमा कौल सिंह ने संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान के कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के सभी आयामों पर छात्र छात्राओं को जागरूक किया। 


मुख्य वक्ता के रूप में लोकसभा की संयुक्त निदेशक डॉ बबिता परसाईं ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही संवैधानिक मूल्यों का समावेश रहा है। प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी सभा और समिति का उल्लेख मिलता है। ऐसे में हमें अपने पुराने ग्रंथों से सीख लेते हुए संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। 


पूर्व राज्यसभा संयुक्त सचिव डॉ प्रदीप चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मौलिक अधिकारों के बिना मौलिक कर्तव्यों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ये दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू के समान हैं। उन्होंने कहा कि जितना हम अपने अधिकारों पर बल देते हैं। उतना ही हमें कर्त्तव्यों का भी निर्वाहन करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने अतिथि वक्ताओं से सवाल-जवाब किया।


कार्यक्रम के संयोजक प्रो राजेश उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो अरविंद कुमार ने आभार ज्ञापन किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। इस मौके पर प्रो बिजेंदर, प्रो राकेश यादव, डॉ सुचित, प्रो चित्रा तथा डॉ नरेंद्र ठाकुरआदि शिक्षकों के साथ सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

Friday 12 April 2024

डूटा ने अग्रसेन कॉलेज गेट पर दिल्ली सरकार के खिलाफ़ किया विशाल धरना प्रदर्शन


नई दिल्ली, 12 अप्रैल। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने दिल्ली सरकार के बारह वित पोषित कॉलेजों में पिछले कई वर्षों से चली आ रहे वित्तीय संकट को हल कराने, मंत्री आतिशी के पत्र को वापस लेने और नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर एवं कर्मचारियों की भर्ती शुरू करने की मांग को लेकर महाराजा अग्रसेन कॉलेज गेट पर धरना दिया जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी की। गौरतलब है डूटा कई वर्षों से लगातार इन मांगों को लेकर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल से गुहार लगा रहा है लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है। डूटा का यह चौथा क्लस्टर धरना था जिसमें डा भीमराव अम्बेडकर, महाराजा अग्रसेन, शहीद राजगुरु महर्षि वाल्मीकि, आचार्य नरेद्र देव, पी जी डी ए वी, रामानुजन, देशबंधु ,श्यामलाल कॉलेज , एल आई सी, एम एस सी और विवेकानंद कॉलेज के शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। 



धरने पर मौजूद शिक्षकों ने दिल्ली सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की  । सैंकड़ों शिक्षक सड़क पर उतरे और जनता और छात्रों को दिल्ली सरकार वित पोषित बारह कॉलेजों में चल रहे वित्तीय संकट और अन्य समस्याओं की जानकारी दी और दिल्ली सरकार द्वारा इन कॉलेजों के अधिग्रहण करने ,स्व वित पोषित करने और अंबेडकर यूनिवर्सिटी में लेने की मंशा से अवगत कराया । शिक्षकों ने बताया कि दिल्ली सरकार इन बारह कॉलेजों की फंडिंग को रोक कर समस्या पैदा कर रही है।


डूटा अध्यक्ष प्री अजय कुमार भागी ने धरने पर बैठे शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार में आने के बाद  से इन कॉलेजों का संकट शुरू हो गया था ।दिल्ली सरकार की नीयत इन कॉलेजों को अपने नियंत्रण में लेकर इनको स्व वित पोषित मॉडल में बदलना  है। इसीलिए दिल्ली सरकार इनको दिल्ली यूनिवर्सिटी से डी एफिलिएट करना चाहती है। इसी लिए आतिशी ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था 



डूटा अध्यक्ष ने कहा कि डूटा दिल्ली सरकार के निजीकरण और शिक्षा विरोधी नीतियों का लगातार विरोध करता आ रहा है और आगे भी करेगा। डूटा ने बारह कॉलेजों की फंडिंग और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से भी गुहार को लगाई है। उपराज्यपाल ने इस मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी उपराज्यपाल से मिलकर इस संकट के समाधान की मांग की। जिसके बाद शिक्षा सचिव ने तमाम जानकारी मांगी । वित्त सचिव ने भी आश्वासन दिया कि डी यू और यू जी सी के नियमानुसार शिक्षक पदों की संस्तुति दी जाएगी। यद्धपि कई कॉलेजों में मार्च का वेतन और अन्य भत्ते का फंड जारी नहीं किया गया है।


अप्रैल के पहले सप्ताह में उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में छात्र फीस से वेतन देने की संभावना तलाश करने की बात कही गई थी जो इस बात का प्रमाण है कि स्व वित पोषण का प्रस्तावित पैटर्न ऑफ एसिस्टेंस दिल्ली सरकार बारह कॉलेजों पर लागू करना चाहती है।


डूटा अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक संघ दिल्ली सरकार की शिक्षा विरोधी और निजीकरण की नीतियों का पुरजोर विरोध करेगा और उन्हें लागू नहीं होने देगा। डूटा अध्यक्ष प्रो भागी ने मांग की है कि दिल्ली सरकार बिना शर्त इन कॉलेजों को पूर्ण और नियमित अनुदान जारी करे और इन कॉलेजों में शिक्षक और कर्मचारियों की स्थाई भर्ती की प्रक्रिया जल्द आरंभ करे। स्व वित पोषण के पैटर्न ऑफ एसिस्टेंस  को वापस लिया जाए। आतिशी के वितीय अनियमितता और डीएफिलिएशन वाले पत्रों को तुरंत वापस लिया जाए।



अग्रसेन कॉलेज में डूटा धरने को कई शिक्षक नेताओं ने संबोधित किया और एक स्वर से दिल्ली सरकार की आलोचना की ।डूटा अध्यक्ष ने बताया कि जब तक शिक्षकों की मांग नहीं मानी जाती है तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। डूटा अध्यक्ष ने आतिशी के पत्रों की निंदा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों को स्व वित पोषित संस्थानों में बदलना चाहती है जिसे डूटा कभी नहीं होने देगा। दिल्ली सरकार के छात्रों की फीस से शिक्षकों कर्मचारियों का वेतन देने के प्रयासों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। दिल्ली सरकार की मंत्री ने अपने पत्र में 939 शिक्षक पदों को अवैध रूप से सृजित करने की बात की थी जिसके उत्तर में डूटा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा कहना न केवल निराधार है बल्कि इन कॉलेजों के कर्मचारियों और छात्रों की बांह मरोड़ने की कोशिश है।


डूटा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को डिग्री देने वाले स्वायत कॉलेजों में बदलने की मंशा रखती है जिसे डूटा किसी भी सूरत में पूरा नहीं होने देगा। धरने के बाद सैंकड़ों शिक्षकों ने महाराजा अग्रसेन कॉलेज के आसपास स्थानीय इलाके में सड़क पर  मार्च किया और दिल्ली सरकार के निजीकरण के प्रयास का विरोध करते हुए बारह कॉलेजों के लिए पूर्ण और नियमित अनुदान जारी करने और शिक्षक पदों की संस्तुति तथा तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की।

Thursday 11 April 2024

एबीवीपी ने डीयू में इस सत्र से कट ऑफ मार्क्स सार्वजनिक करने की मॉंग की।

नई दिल्ली, 10 अप्रैल। शैक्षणिक सत्र 2023-24 की नामांकन प्रक्रिया में आई पारदर्शिता में कमी और निष्पक्षता के अभाव को देखते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिल्ली विश्वविद्यालय इकाई के प्रतिनिधिमंडल ने  दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति से मिलकर निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया हो, इसके लिए ज्ञापन सौंपा। साथ ही पात्रता के मानकों के साथ प्रवेश की प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मॉंग की है।


विदित हो कि पिछले सत्र की नामांकन प्रक्रिया में बहुत से विद्यार्थियों को कतिपय समस्या झेलनी पड़ी थी। एबीवीपी का मानना है कि अकादमिक क्षेत्र में निष्पक्षता और पारदर्शिता एक सशक्त और न्यायसंगत शैक्षिक परिवेश की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


एबीवीपी डीयू इकाई अध्यक्ष नवनीत ने कहा कि विगत शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों को आई समस्या को देखते हुए हमने प्रवेश समिति दिल्ली विश्वविद्यालय को पारदर्शी और निष्पक्ष प्रवेश प्रक्रिया हो इसके लिए ज्ञापन सौंपा है। एबीवीपी का हमेशा से यह मानना रहा है कि विश्वविद्यालय अपने नामांकन प्रक्रिया को जितना अधिक ट्रांसपेरेंट बनायेगा उतना ही छात्रों के हित में होगा।


एबीवीपी डीयू इकाई मंत्री सौम्या वर्मा ने कहा कि एबीवीपी प्रतिवर्ष नामांकन प्रक्रिया के दौरान हेल्प डेस्क लगाती है जिससे विद्यार्थियों को उनके नामांकन संबंधी जानकारी सरलता से प्राप्त हो जाती है। हम इस वर्ष भी हेल्प डेस्क लगायेंगे जिससे विद्यार्थियों को कोई असुविधा न हों। एबीवीपी प्रवेश, परीक्षा और परिणाम में पारदर्शिता को लेकर सदैव से प्रयास करती आई है। डीयू में कट ऑफ मार्क्स जारी होने चाहिए, जिससे स्टूडेंट्स को पता हो कि कितने नंबर तक एडमिशन हुए हैं