Monday, 21 September 2015

लगन

श्याम मोहन
दीप नहीं बन चुके हवन हैं 
लगन लगी है मिलने की,
आहुति सावन जी सुलगाये
इक भी ना माने मन की !
बहक रहे हैं ख्वाब निरंतर
नहीं नियंत्रण रह पाता,
करे कोई अब नेह निमंत्रण
शक्ति नहीं है सहने की !!

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