अमन आकाश
14 साल के बच्चों का मस्तिष्क अपरिपक्व होता है. सोशल मीडिया की असामाजिकता तो अब जगजाहिर हो चुकी है. ऐसे में बालमन पर सोशल साइट्स का बुरा असर पड़ेगा और इसका परिणाम मनोविकृति के रूप में समाज को बुरी तरह प्रभावित करेगा.
"महाशय मैं आपकी बात से बिलकुल असहमत हूँ. जब से नयी सरकार आई है, प्रतिबंधों का सिलसिला आम हो गया है. मैगी बैन, बीफ बैन, पोर्न साइट्स बैन, पता नहीं और क्या-क्या बैन होगा. चूंकि हम लोकतान्त्रिक देश में हैं और यहाँ सबको बराबर बोलने का अधिकार है. सोशल साइट्स ने अगर आम आदमी के बोलने का एक मंच तैयार किया है तो इसको उम्र की सीमा में नहीं बांधना चाहिए."
तर्कों-दलीलों के दौर इसी तरह चलते रहे और हर नए तर्क पर तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंजता रहा. मौका था श्री गुरु नानकदेव खालसा कालेज के "हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार" विभाग द्वारा आयोजित सामूहिक परिचर्चा का, जिसका विषय था- "14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल साइट्स पर प्रतिबंध" 23 सितंबर 2015 को श्री गुरु नानकदेव खालसा कॉलेज के सभागार में आयोजित इस परिचर्चा में पत्रकारिता के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. अंत में कुछ चयनित छात्र/छात्राओं को स्टेज पर बुलाकर मुद्दे को स्पष्ट करने को कहा गया और दोनों ही पक्षों ने अपनी बात रखी. इस बहस के दौरान कई नयी जानकारियाँ भी सामने उभर कर आयीं.. परिचर्चा को अपनी जानकारी,शब्द चयन और वाक् कला से सफल बनाने वालों में आएशा, मीनू, शिवानी, अतीश, संदीप, रामनरेश, हिमांशु, विकास आदि शामिल थे. गौरतलब है कि प्रथम वर्ष के इन छात्र/छात्राओं ने अपनी जानकारियों से जज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया. प्रथम पुरस्कार से अतीश और द्वितीय पुरस्कार से आएशा को नवाज़ा गया.
इस परिचर्चा के तुरंत बाद द्वितीय एवं अंतिम वर्ष के छात्रों ने पत्रकारिता के नवागंतुकों के लिए स्वागत समारोह आयोजित किया.
वाईस प्रिंसिपल डॉ. दविंदर कौर चावला के आशीर्वचन के बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गयी. संचालन द्वितीय वर्ष के छात्र कृष्णा और अभिषेक कर रहे थे. पहला चरण इंट्रोडक्शन से शुरू हुआ. सभी प्रतिभागियों ने बारी-बारी से अलग-अलग अंदाज में अपना परिचय दिया. किसी का लहजा शायराना था तो किसी ने हास्य का दामन थामा. किसी ने सुरीली तान छेड़ी तो किसी ने कविताई अंदाज में महफ़िल लूट लिया. सारे प्रतिभागी आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज थे. इंट्रोडक्शन राउंड से 16 प्रतिभागी अगले राउंड के लिए चुनकर आए. फैसला लेना बड़ा चुनौती भरा रहा. दूसरा चरण था "शो योर टैलेंट" इस राउंड में चयनित प्रतिभागियों को अपनी प्रतिभा से जज और दर्शकों को लुभाना था. इसमें भी कला के कई रंग सामने उभर कर आए. महफ़िल जमती रही और रंग चढ़ता रहा. जज ने इस राउंड से 8 प्रतिभागी को चुना, जोकि दूध से मक्खन निकालने के समान रहा. इस राउंड के संचालक थे साक्षी और रंजय. रंजय ने अपने चुटकुलों से दर्शकों को लोटपोट कर दिया. अगला और आखिरी चरण था "सिचुएशन ऑन दी स्पॉट" दूसरे राउंड से चयनित 4 जोड़ों को बारी-बारी से स्टेज पर बुलाकर एक-एक कठिन टास्क दिया गया, जिसे समयसीमा के अन्दर पूरा करना था. ये राउंड बड़ा मजेदार रहा. राजा और अमन आकाश इस राउंड में मंच संचालित कर रहे थे. अब समय था निर्णय का, दिल की धड़कनें अपनी रफ़्तार पर थीं और साँसे तो मानो थम-सी गयी थी. काफी जद्दोजहद और निर्णय की लम्बी चली प्रक्रिया के बाद सर्वसम्मति से तालियों की गूँज के साथ अतीश पाठक और विनीता सामंत को क्रमशः मि. फ्रेशर एवं मिस फ्रेशर चुना गया. हिंदी विभाग के बहुचर्चित प्रोफ़ेसर डॉ. हरनेक सिंह गिल ने विजेताओं को मोमेंटो एवं टी-शर्ट प्रदान किए. मौके पर हिंदी पत्रकारिता विभाग की अध्यक्षा डॉ. बलबीर कुंदरा, डॉ. सुभाष गौतम, डॉ. सविलता यादव, महेंद्र प्रताप सिंह तथा हिंदी विभाग से डॉ. भूपिंदर कौर, डॉ. शैलजा, डॉ. अन्जूबाला ने पधारकर छात्रपौध को अपने आशीर्वचनों से सींचा. कार्यक्रम के सफल आयोजन में द्वितीय वर्ष के छात्र मानव, अनुपमा, दीपक झा एवं रंजय ने महती भूमिका निभायी. कार्यक्रम का मूल उद्देश्य "सद्भाव और सौहार्द के साथ आपसी सामंजस्य बनाते हुए भविष्य की योजनाओं को मूर्त्त रूप प्रदान करना" था.
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