रंजन सिंह 'बेतुका'
दिल्ली देश की राजधानी है साथ सत्ता का केंद्र भी यहाँ हर चीज खास होती है. यह हर संस्कृति का रंग आप को देखने को मिल जाते है साथ में उनका जयका भी. इसे दिलवालों का शहर कहा जाता है. दिल्ली अपनी जिह्वास्वाद के लिए भी जानी जाती है. देश के हर कोने का ज़ायका यहां सुलभ है. दक्षिणी भारत का डोसा हो या गुजराती ढोकला, राजस्थानी दाल.बाटी हो या पूर्वोत्तरी मोमोस. दिल्लीवासियों ने हर स्वाद को अपनाया है. कुछ ज़ाएके ऐसे भी हैं जिनका असली स्वाद आपको दिल्ली में ही मिल सकता है.
राजेन्द्रनगर की चाटए चांदनी चौक के परांठे और जलेबी-दूध, पुरानी दिल्ली की बिरयानी इन चीजों के बिना तो
दिल्ली बेस्वाद है. यूँ तो यहाँ केऍफ़सी. मैकडी, केऍफ़सी, डोमिनो, पिज़ाहाट, करीम जैसे अंतरराष्ट्रिय रेस्तरा की भरमार है लेकिन सड़क किनारे खड़े होकर रेहड़ी पर दिल्ली का असली स्वाद मिलता है. जिह्वा को असल तृप्ति यहीं मिलती है.जो आज चर्चा का विषय है सुदूर पहाड़ों से आया संगमरमर के टुकड़ों सा दिखने वाला मोमोस. दिल्ली के किसी भी कोने में यह आपको आसानी से मिल जाएगा. ठिगना कद चपटी नाक वाला नेपाली जिसको हम बस एक ही नाम से जानते हैं. बहादुर. अपनी छोटी.सी दुकान लगाए खड़ा होता है. चार-पांच मंजिला एक बड़ा.सा टिफीन बॉक्स जो अपने गर्भ में सैकड़ों मोमोस धरे होता है. अनवरत सिगड़ी पर चढ़ा ही रहता है. इस टिफीन बॉक्स से आपको वेज मोमोस, नॉनवेज मोमोस, सोयाबिन मोमोस, पनीर मोमोस सब मिल जाएंगे. इनकी आकृति थोड़ी बहुत गुझिया की याद दिला जाएगी. बहादुर बड़ी चतुराई से हर किसी के मांग को पूरा करता बड़ा व्यस्त दिखेगा. वाष्प के द्वारा पकाए ये लिजलिजे मोमोस आपके सामने जब लाल मिर्च और टमाटर की चटनी के साथ परोसा जाता है. अगर आप उसके बगल से गुजरे तो इसे देख कर मुंह में अपने आप पानी आ जाएगा. साथ ही बहादुर की मीठी बोली आपके ज़ाएके को दुगुना कर देगी. इसका स्वाद लेने के लिए आपको अपनी जेब ज्यादा हल्की भी नहीं करनी पड़ती है. मोमोस का रेट मात्र 20 से 30 रुपए प्लेट होता है. तो आईए जनाब घूमते.फिरते कभी इस स्टॉल पर और एक और अनोखे लज़ीज व्यंजन का मजा लिया जाए.
दिल्ली बेस्वाद है. यूँ तो यहाँ केऍफ़सी. मैकडी, केऍफ़सी, डोमिनो, पिज़ाहाट, करीम जैसे अंतरराष्ट्रिय रेस्तरा की भरमार है लेकिन सड़क किनारे खड़े होकर रेहड़ी पर दिल्ली का असली स्वाद मिलता है. जिह्वा को असल तृप्ति यहीं मिलती है.जो आज चर्चा का विषय है सुदूर पहाड़ों से आया संगमरमर के टुकड़ों सा दिखने वाला मोमोस. दिल्ली के किसी भी कोने में यह आपको आसानी से मिल जाएगा. ठिगना कद चपटी नाक वाला नेपाली जिसको हम बस एक ही नाम से जानते हैं. बहादुर. अपनी छोटी.सी दुकान लगाए खड़ा होता है. चार-पांच मंजिला एक बड़ा.सा टिफीन बॉक्स जो अपने गर्भ में सैकड़ों मोमोस धरे होता है. अनवरत सिगड़ी पर चढ़ा ही रहता है. इस टिफीन बॉक्स से आपको वेज मोमोस, नॉनवेज मोमोस, सोयाबिन मोमोस, पनीर मोमोस सब मिल जाएंगे. इनकी आकृति थोड़ी बहुत गुझिया की याद दिला जाएगी. बहादुर बड़ी चतुराई से हर किसी के मांग को पूरा करता बड़ा व्यस्त दिखेगा. वाष्प के द्वारा पकाए ये लिजलिजे मोमोस आपके सामने जब लाल मिर्च और टमाटर की चटनी के साथ परोसा जाता है. अगर आप उसके बगल से गुजरे तो इसे देख कर मुंह में अपने आप पानी आ जाएगा. साथ ही बहादुर की मीठी बोली आपके ज़ाएके को दुगुना कर देगी. इसका स्वाद लेने के लिए आपको अपनी जेब ज्यादा हल्की भी नहीं करनी पड़ती है. मोमोस का रेट मात्र 20 से 30 रुपए प्लेट होता है. तो आईए जनाब घूमते.फिरते कभी इस स्टॉल पर और एक और अनोखे लज़ीज व्यंजन का मजा लिया जाए.
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