Tuesday, 21 October 2014

गांधी बीसवीं सदी के सबसे बड़े शिक्षक : अशोक वाजपेयी

बिपिन बिहारी दुबे....
2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के अवसर पर गांधी शांति प्रतिष्ठान के तत्त्वाधान में वार्षिक  व्याख्यान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ कवि एवं आलोचक अशोक वाजपेयी थे. कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ पर्यावरणविद् एवं गांधी मार्ग के संपादक अनुपम मिश्र ने श्री वाजपेयी के परिचय से की. उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन से सालाना व्याख्यान के मकसद को भी उजागर किया.
मुख्य वक्ता अशोक वाजपेयी ने अपने व्याख्यान की शुरुआत गांधी के पूर्वग्रहों को याद करते हुए की. वाजपेयी ने कहा कि गांधी के कई पूर्वग्रह थे, पर उनका कोई भी पूर्वग्रह अटल नहीं रहा. सत्य के प्रति गांधी के पूर्वग्रह को बताते हुए उन्होंने कहा कि गांधीजी पहले कहा करते थे कि ईश्वर सत्य है लेकिन बाद में उनकी नयी धारणा बनी सत्य ही ईश्वर है. उन्होंने गांधी जयंती के अवसर पर देश भर में चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान का भी जिक्र किया.
वाजपेयी ने गांधी को बीसवीं सदी का सबसे बड़ा शिक्षक बताया। मौजूदा दौर में गांधी ही सबसे सशक्त प्रतिरोध है
पर यह प्रतिरोध केंद्रित नहीं है. यह बिखरी हुई रोशनी की तरह है, जिसे अखंड बनाने की जरूरत है. वाजपेयी ने कहा गांधी ऐसे थे कि आने वाली पीढ़ियां यह मानेंगी ही नहीं कि सचमुच हाड़-मांस का कोई ऐसा आदमी था.
उन्होंने बताया कि गांधी ने सत्य, अहिंसा और प्रेम-भाईचारे सरीखे मानवीय धर्म को राजनीति से जोड़कर देशव्यापी आंदोलन ला दिया.
व्याख्यान के अंत में उन्होंने कहा कि गांधी की सोच से हमें जितना चलना था हम वहां आ गए हैं और अब हमें कुछ क्षण ठिठक कर विचार करने की जरूरत है.
इस मौके पर गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा भट्ट ने भी अपने मंतव्य रखे। अंत में गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेंद्र कुमार ने सबका धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की.

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