Saturday, 14 March 2015

विश्व पुस्तक मेला और क्षेत्रीय भाषा की पुस्तकें

जगन दीप सिंह
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के तत्वाधान में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन प्रगति मैदान नई दिल्ली में पिछले दिनों संपन्न हुआ. विश्व पुस्तक मेले में अलग-अलग शहरों  से आये प्रकाशकों में क्षेत्रीय भाषा के प्रकाशक भी पहुचे थे. इन पुस्तकों में उर्दू , पंजाबी, बंगला, मराठी, तेलगु, कन्नड़, असमिया और मैथली अलग-अलग भाषा की किताबें उपलब्ध थीं, इन क्षेत्रीय भाषा की पुस्तकों में कहानियों की किताबे भी थीं जो बच्चों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहीं. साथ ही यहां पर महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद,   इन्दिरा गाँधी आदि के जीवन पर लिखी पुस्तके  भी मौजूद थीं. गुजराती भाषा में नरेंद्र मोदी पर किताबें भी देखने को मिलीं जो गुजराती भाषा पढ़ने वाले पाठकों के लिए आकषर्ण का केंद्र था. इसी तरह कई स्टालो में कुछ खास प्रकार की पुस्तकें देखने को मिलीं जो उस भाषा के पाठक बड़े चाव से खरीद रहे थे. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के स्टाल में पंजाबी भाषा की पुस्तकें देखने को मिलीं जो दिल्ली और पंजाब से आये पाठकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र थी . जहा पंजाबी के मशहूर लेखकों की रची पुस्तके थीं. पंजाबी भाषा में शेरों-शायरी की पुस्तकें भी देखने को मिलीं जिसका पंजाबी युवक और युवतियाँ में खासा आकर्षण था. शेरों-शायरी किताबों में शिव कुमार की पुस्तक 'सोग पीडा दा परागा लाजवती' और 'नासिर काजमी' आदि पुस्तकें थी. इसके अलावा डिक्शनरी भी उपलब्ध थी. नर्सरी से लेकर पीएच.डी तक की के विद्यार्थियों के लिए क्षेत्रीय भाषा में पुस्तकें थीं.

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