Saturday 26 November 2016

छात्रा सारा कुमारी की कहानी


बिपिन बिहारी दुबे
पत्रकारिता का वर्तमान दौर ऐसा है कि समय दर समय यह आम लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। अगर आम लोगों की खबरें मुख्य धारा में आती भी है तो वह TRP के लालच में मसालेदार बना दी जाती है। जिसका उस आम नागरिक के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव से कोई सरोकार नहीं होता। सोशल मीडिया को पत्रकारिता के आधुनिक विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन यह भी अफवाहों का बाजार गरम करने के लिए ज्यादा उपयोग में लिया जाने लगा है। ऐसे में पत्रकारिता के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इसे आम नागरिक तक ले जाना ही सबसे आवश्यक कदम लगता है। जिससे नागरिक पत्रकारिता का विकास हो सके और हर आम और ख़ास कह सके अपनी कहानी, अपने समाज की कहानी जो बिना किसी मसाला में लपेटे देश के हर कोने तक पहुँच सके। तो आइये शुरुआत करते हैं इस पहली कहानी से...  

सारा कुमारी


मेरा नाम सारा कुमारी है। मैं सलदरी गाँव की रहने वाली हूं। जो उदयपुर राजस्थान के झाड़ोल तहसील का एक छोटा सा गाँव है। मैंने पहली से पांचवी तक की पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय सलदरी से की और छठी कक्षा से मैं उच्च प्राथमिक विद्यालय पालावाड़ा में पढ़ रही हूं। अभी मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूँ। मैं अंग्रेजी पढ़ना चाहती हूँ। लेकिन मुझे अंग्रेजी पढ़ना नहीं आता है। मैं पढ़ लिखकर अपने माता-पिता, घर, गाँव, अध्यापक और विद्यालय का नाम रौशन करना चाहती हूँ। मैं टीचर बनना चाहती हूँ।




मेरा घर पहाड़ पर है। जहाँ से पैदल चल कर मुझे स्कूल आना पड़ता है। मैं एक गरीब परिवार से हूँ। मैं जब भी अपने घर वालों से कोई पेन या फीस के पैसे मांगती हूँ वो मुझे नहीं देते हैं। मेरे पिताजी दसवीं तक पढ़े हैं। लेकिन नशा करके वो बिगड़ गए। माताजी अनपढ़ है। मेरा भाई दसवीं तक पढ़ा है। वो आगे भी पढ़ना चाहता था लेकिन पिताजी नशा में आकर उसे परेशान करते थे। वो अब काम पर चला गया। मेरी तीन बहन है। सबसे बड़ी बहन सीमा उसने शादी कर ली। दूसरी निर्मला नौवीं में पढ़ती है। सबसे छोटी मनसा वो पढ़ने में बहुत कमजोर है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि पढ़ाई कभी न छोडूँ।



मेरा गाँव विद्यालय से बहुत दूर है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि मेरे गाँव से विद्यालय तक सी-सी सड़क बन जाए। जिससे नन्हे-बड़े सभी विद्यालय आना पसंद करे। मुझे भरोसा और आशा है कि भगवान अगर चाहेंगे तो मैं टीचर जरुर बनूँगी। मुझे कहानी लिखने, कविता बनाने में मजा आता है।

धन्यवाद
सारा कुमारी
कक्षा 8
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पालावाड़ा.
झाड़ौल, उदयपुर, (राजस्थान)

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