आयशा खान- आपको इस किताब को लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?
मिथिला बगाइ- मेरी किताब 'नाईन लाइव्स इन अ मेट्रो- लाइफ इन द सिटी आॅफ फ्राइट' लिखने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद था, यह बताना कि शहर मे रहने वाले लोग सिर्फ पैसों के पीछे भागने वाले नहीं है, हमारे पास भी दिल है, हम भी भावनाएँ रखते हैं । शहर वालों को हमेशा गलत नज़रिए से देखा जाता है कि वह सिर्फ खुद के बारे में सोचते हैं मगर यह पूरा सत्य नहीं है। शहर में भी हर तबके के लोग रहते हैं, नीचे तबके के, ऊँचे तबके के और मध्यस्तरीय लोग। यह सब मेहनत और इंसानियत को साथ लेकर आगे बढ़ते हैं ।
इससे मुझे यह प्रेरणा मिली कि मैं एेसे लोगों पर रिसर्च करूं जिन्होंने ऐसा कुछ किया । इस पुस्तक को लिखने में एक वर्ष लगा है, यह बुक लगभग सत्य घटनाओं पर आधारित है। बस जहाँ मुझे लगा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था वहाँ क्लाईमैक्स बदल दिया है।
आयशा खान- जैसा कि आपने कहा कि इस किताब की कहानियाँ सत्य घटनाओं पर आधारित है, तो यह कितनी वास्तविक है और कितनी काल्पनिक ?
मिथिला बगाइ- वास्तविकता यह है कि हम लोग जल्दी में रहते हैं, हम जल्दी निर्णय ले लेते हैं पर यह भी सत्य है कि हम भावनाओं और आदर्शों को लेकर आगे बढ़े हैं और जहाँ मुझे लगा कुछ गलत है, वहाँ मैने कुछ बदलाव किए हैं जो मेरी समझ से बेहतर हैं । यह मेरा संदेश है कि अगर आप ऐसा करो तो ज़्यादा असरदार होगा ।
आयशा खान-आपका इस किताब को लिखने के पीछे क्या उद्देश्य है ?
मिथिला बगाइ- मेरे सिर्फ दो मकसद हैं, एक तो यह मिथक तोड़ना कि शहर वाले इतने खुदगर्ज हैं. कभी किसी का नहीं सोचते और दूसरा यह कि जहाँ भी मानवता, भावना या प्रेम की कमी है, इसका मतलब यह नहीं कि आदमी बुरा हे़ै, बस उसका वक्त बुरा है और हमें इतनी समझ बढ़ानी है कि सबको यह समझ आ जाए कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है।
आयशा खान- आपने अपनी पहली किताब ही इस मुद्दे पर क्यों लिखी ? प्रेम कथा या कुछ और क्यों नहीं ?
मिथिला बगाइ- मैं आपको बताती हूँ, मैं दिल्ली विश्व विद्यालय में राजनीति शास्त्र की टीचर हूँ, मैं जहाँ तक देख रही हूँ, आजकल हर कोई प्यार-मुहब्बत, लड़ाई-झगड़ा धोखाधड़ी पर ही लिख रहा है, पर इसके अलावा भी ज़िंदगी है। आपने बहुत ही उम्दा सवाल किया कि यही क्यों ! मैंने भी इस किताब की कहानियों में प्यार की ही बातें की हैं, मगर मेरा नज़रिया अलग है । मेरे अनुसार सिर्फ लड़़का-लड़की के बीच ही प्यार नहीं होता । जैसे मेरी एक कहानी में दिखाया गया है, बाप बेटे का प्यार ! मेरे लिए 'प्यार' की परिभाषा बहुत बड़ी है, इंसान का अपनों से प्यार, पर्यावरण से प्यार, आदर्शों से प्यार भी प्यार है।
आयशा खान- यह आपकी पहली किताब है आगे का क्या सोचा है?
मिथिला बगाइ- हाँ यह मेरी पहली किताब है और इसका पार्ट टू भी अगले साल तक आ जाएगी। इस किताब को बहुत अच्छा फीडबैक मिल रहा है, अमैज़ौन पर इसे १ रैंक भी मिला है । हाॅल ही में मुझे सर्वश्रेष्ठ लेखिका का पुरुस्कार भी मिला है ।
आयशा खान- उम्मीद है आगे भी आप ऐसे ही लिखती रहेंगी।
मिथिला बगाइ- बिलकुल !
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