विश्व पुस्तक मेला, बुधवार को हुए लेख़क मंच पर सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली लेखिका चित्रा मुदगल का उपन्यास "पोस्टबॉक्स नंबर 212 नाला सोपारा" का एक अंश चित्रा मुदगल जी के द्वारा पढ़ा गया। उस पर विशेष टिप्पड़ी के लिये वहा पर प्रसिद्ध कहानीकार अ्ल्पना मिश्र और साथ में गीता श्री भी मौजूद रही। यहाँ पर इस प्रोग्राम का संचालन गीता श्री ने शुरू करते हुए चित्रा मुदगल जी से उनके प्रकाशित होने वाले उपन्यास का एक अंश पढ़ा। उपन्यास में कथानक का दृश्य जो की एक बेटे के प्रति माँ के प्रेम और करुणा का बहुत ही अदभुत और सरहनीय शब्दों में प्रस्तुत किया है। जहाँ पर दिल्ली में हो रहे मेघ और अपने अंदर हो रहे मेघ की उस करुणामयी दुःख को शब्दों को उन सींखचो से निकालते हुए उस मेघ में अपने मेघ को समेटने के लिये आतुर हो रहा है। इस उपन्यास में रोचकता का भी कहीं अभाव नही दिख रहा क्योंकि जिस प्रकार वह अपने पुराने दिनों के चलचित्र में खोया है ।वह उसे उस मेघ से बाहर नही आने दे रही। इस तरह से "बा" से दूर दिकरा अपने बिताए हुए दिनों में डूबा जा रहा था ।जब आज दिकरा पत्र लिख रहा था तो उसे ये भी समझ में नही आ रहा था की वह क्या लिखे वह बहुत कुछ सोच भी रहा था की आखिर वह लिखे क्या क्योंकि अब तो उसे वो घर भी नही पता जहाँ बा रहती है। उसे तो बस वही नालासोपारा का पोस्टऑफिस जिसका नम्बर 212 था ।बस वही याद था। उसे ये भी नही पता था की ये चिट्टी बा तक पहुचेगी भी नही। ये उपन्यास चिठ्ठी रुपी शैली में लिखी गयी है।जो की पहली बार ऐसा कुछ दिखा । इनकी एक और रचना ' आदि अनादि' और 'आंव' काफी लोकप्रिय रही
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