श्री नरेंद्र मोदीजी,
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नई दिल्ली
नमस्ते !
आज मध्यप्रदेश के अखबार में यह खबर छपी है कि सरदार सरोवर बांध के 17 मी. ऊँचे गेट्स लगाने के मामले में आपके दिल्ली स्थित कार्यालय में अंतर राज्यीय बैठक आयोजित की गई। खबर में यह भी कहा गया है कि म0प्र0 के मुख्य सचिव बैठक में यह बात रखने गये थे कि 121.92 मीटर तक बांध तो बन ही गया है और उस उंचाई तक प्रभावित परिवारों का पुनर्वास भी पूरा हो ही चुका है। बस सवाल है, गुजरात से कुछ 350 करोड़ रू का पुनर्वास का खर्च वसूल करने का। महाराष्ट्र शासन की ओर से क्या कहा गया? और आपके ही गुजरात राज्य ने अपने ही आदिवासियेां के पुनर्वास संबंधी क्या दावे किये? कौन जाने।
आपने केवल राज्य शासनकर्ताओं की सुनी है जो विस्थापित हजारों की तादाद में संगठित होकर पिछले 30 सालों से अपना हक लेते हुए और अधिकारों के अनुसार पुनर्वास बाकी है, यह स्पष्ट रूप से, आंकड़ों के साथ बताते हुए संघर्षरत हैं, क्या उनकी बात सुननी जरूरीनहीं थी? एक साधी जनतांत्रिक प्रक्रिया भी चलाना आपने जरूरी नहीं समझा और पूर्णतः गलत नहीं, झूठे या अधूरे दावे सुनकर क्या आप मान गये कि कानूनन पुनर्वास पूरा हो चुका है? कृपया बताइये।
क्या आपको यह जानकारी दी गयी कि 122 मीटर की ऊँचाई पर डूब क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश के 192 प्रभावित गाँवों में से जो 177गाँव आते है, उनमें आज भी कम से कम 40,000 परिवार बसे हुये हैं ? 17 मीटर के गेट्स खुले रखेँ तो भी इन परिवारेां में से, बारिश औरऊपरी बांधों से पानी छोडने पर कितनी खेती, कितने घर, शालाऐं, दुकानें, धर्मशालाएँ, मंदिर, मस्जिद डूबेंगे, यह देखना और भुगतना भी होगा। आपके एक सचिव यहीं जिलाधीश थे, वे जानते है हकीकत।
क्या आप यह भी जानते है कि म0प्र0 शासन और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने अवैज्ञानिक और गैरकानूनी तरीके से बैकवॉटरलेव्हल कम करके करीबन 16,000 परिवारेां को अधूरे लाभ देने के बाद ‘डूब क्षेत्र से बाहर’ बताया है? पहले भी, 4374 परिवारों को अचानक अपात्र कर दिया गया था? इन 20,000 परिवारों को और कुल 50,000 परिवार (139 मी तक के) जो डूब-क्षेत्र में बसे है का पुनर्वास बाकी है,ऐसे सभी को क्या आप डुबाने का निर्णय ले सकते हैं?
मोदीजी, आप गुजरात की सोच रहे हैं तो भी कानून और कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन खुले आम कर सकते हैं क्या? करना चाहेंगेक्या? अगर गुजरात में पानी की समस्या है तो आज उपलब्ध पानी (सरदार सरोवर के अधूरे जलाशय से) आप क्यों नही उठाते? केवल 20-25प्रतिशत ही पानी क्यों उठा रहे है? उसमें से कोकाकोला, कार इन्डस्ट्रीज को लाखों लीटर पानी प्रतिदिन क्यों दे रहे हैं? पुनर्वास पूरा हुए बिना हजारों परिवारों को, आदिवासियेां सहित जमीन देना बाकी होते हुए, जमीन ढूँढना अभी भी बाकी होते हुए, इन गांवों को क्या आप डुबा सकते हैं? क्या आज खड़े हुये लाखों-लाख पेडों को भी जलसमाधी दे सकते हैं? इतनी निर्दयता क्या ‘विकास’ के नाम पर भी माफ की जा सकती है?गुजरात के कुछ 1000 परिवारों को आप ‘अपात्र’ कर सकते है? बांध की लाभ-हानि और विफलताओं पर क्या आपने कभी सुना, पढ़ा या सोचाहै?
प्रधानमंत्रीजी, जिस आधार पर आप तीन राज्यों से बहने वाली नर्मदा पर सरदार सरोवर बांध बना रहे है, नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले के अनुसार बिना पुनर्वास किसी की संपत्ति आप नहीं डुबा सकते। क्या आपको इस फैसले का उल्लंघन मंजूर है?
देखिये, म0प्र0 शासन भी अपनी चाल खेल रही है। यहां के नर्मदा प्राधिकरण के अधिकारी और दलालों ने मिलकर पुनर्वास के लिए गुजरात सरकार की दी हुई सहायता राशि (1000-1500 करोड़ रू) भ्रष्टाचार में गवाई और खुद की चांदी बना ली। इस कारण करीबन2000 फर्जी रजिस्ट्रियाँ बनीं, उतने ही परिवारों को जमीन, पुनर्वास नहीं मिल पाया। पुनर्वास स्थलों की हालात ऐसी है कि लोग आबाद नहीं,बरबाद हो जाएँगे। और तो और, झा आयेाग की रिपेार्ट सार्वजनिक न करते हुए, शासन के इरादे यही है कि उनके अधिकारी और दलाल बचाएजाएँ। प्रधानमंत्री जी, क्या आपको इस तरह से भ्रष्टाचारियेां को बचाना और भ्रष्टाचार से विस्थापितों को ही लूटना मंजूर है? अगर नहीं तो मध्यप्रदेश शासन से झा आयेाग की रिपोर्ट तत्काल खुलवाई जाए... आप भी उस रिपोर्ट को देखकर और महाराष्ट्र, गुजरात के पुनर्वास की हमारी हकीकत और कागजात देखने के बाद ही तय करें और बताएँ कि पुनर्वास पूरा हुआ है क्या? 122 मीटर के नीचे के प्रभावित तथा 139मीटर तक के बांध प्रभावित सभी पुनर्वासित हो चुके है क्या? ऐसी स्थिति में आप गेट बंद करना चाहेंगे क्या? सरदार सरोवर का निर्माण पूरा हुआ कहकर महोत्सव मनायेंगे क्या?
आप यह भी जानते होगे कि म.प्र. सरकार को न विस्थापितों की परवाह है, न ही सरदार सरोवर की एकमात्र सफलता, उससे बनने वाले बिजली के लाभों की। यह राज्य तो आज ही दो लिंक (पाईपलाइन) परियोजना से प्रतिदिन 172 करोड लीटर पानी उठा रहा हैं और अन्य ऐसे ही योजनाओं से म.प्र. के कोरपोरेट्स को पानी देने जा रहा है, तो नीचे सरदार सरोवर और नहरें भी क्या खाली नहीं रह जायेंगी? आज ही सूखी पड रही हैं नर्मदा!
मोदीजी, क्या आप हम और तीनो राज्यों के प्रतिनिधियों की बहस आमने सामने करायेंगे? थोड़ी सत्याग्रही भूमिका लें तो यह जरूर संभव होगा । खुला, पारदर्शी संवाद और घाटी में आपका दो दिन का दौरा ही सच क्या, झूठ क्या, बताएगा ! नहीं तो आपके मन की बात मनमानी होगी! बस इतना ही।
जवाब की अपेक्षा में, विनम्र,
मेधा पाटकर
7 मई, 2016
नर्मदा किनारे से
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