नई दिल्ली, 29 अप्रैल, इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र (दिल्ली) के सहयोग से दिल्ली विश्वविद्यालय में आज ‘वैश्विक परिदृश्य में वर्तमान भारत’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी एनसीवेब (दिल्ली विश्वविद्यालय), संस्कृत एवं प्राचीन विद्या अध्ययन संस्थान (जेएनयू) और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (मेरठ) के संयुक्त तत्त्वावधान में किया गया। इस संगोष्ठी में कुल चार सत्रों में विचारा मंथन किया गया। प्रथम सत्र का शुरुआत सरस्वती माता की वंदना से किया गया, इसमें कुलानुशासक (दिल्ली विश्वविद्यालय) प्रो. रजनी अब्बी, एनसीवेब की निदेशिका प्रो. गीता भट्ट, उत्तर क्षेत्र बौद्धिक
शिक्षण प्रमुख (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) माननीय अजेय कुमार जी, इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र के प्रमुख माननीय विनोद शर्मा ‘विवेक’ जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी ने विश्व में भारत की सशक्त भूमिका के विषय में बात की। प्रो. रजनी अब्बी ने भारत की ‘बेगिंग बैग’ से मुक्ति को भारत का नया रूप बताया तो प्रो. गीता भट्ट ने भारत को ‘एल्डर ब्रदर’ बताया। माननीय अजय जी ने ‘वयम् सुपुत्रा अमृतस्य’ को उद्धृत करते हुए सनातन दृष्टि पर बात कराते हुये अपने विचार रखें । माननीय विवेक जी ने कहा सद्विचारों की शक्ति से भारत मंथन प्रेरित है।
दो समानांतर सत्रों में कुल 282 शोध-पत्र पढ़े गए। समापन-सत्र में वरिष्ठ पत्रकार व भारतीय जनसंचार महानिदेशक, प्रो. संजय द्विवेदी व भाजपा प्रवक्ता माननीय प्रेम शुक्ल जी, किरोड़ीमल कॉलेज भौतिकी विभाग के प्रो. राकेश पांडेय जी की गरिमामय उपस्थिति रही। भारत मंथन 2022 के चयनित शोध-पत्र की पुस्तक ‘भारत ज्ञान-विज्ञान परंपरा मानव दृष्टि’ का विमोचन किया गया। प्रो. संजय द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा
कि भारतीयों का रिप्लेसमेण्ट भारतीय ही होता हैं साथ ही यह भी कहा की भारत का भारत से परिचय कराना होगा। माननीय प्रेम शुक्ल जी ने कहा बाइडेन से लेकर जेलन्सिकी तक सभी भारत की सशक्त भूमिका को स्वीकार कर रहे हैं। प्रो. राकेश कुमार पाण्डेय जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र से किया गया। इस मौके पर दिल्ली विश्विद्यालय के कई प्रिंसिपल, प्रोफेसर, शोध-छात्र व छात्र उपस्थित थे।
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