नई दिल्ली, 2 जुलाई। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एएसएन सीनियर सेकेण्डरी स्कूल म्यूरविहार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर न्यास के राष्ट्रीय सचिव माननीय अतुल भाई कोठारी जी ने कहा कि न्यास को प्रारंभ हुए 19 वर्ष हुआ हैं। हमने न्यास को संस्थान के स्वरूप में नहीं रखा, समाज की जरूरत के हिसाब से इसका कार्य प्रारंभ किया। 12 न्यायलयों में न्यास ने याचिका दायर की और उनका निर्णय शिक्षा बचाओ आंदोलन के पक्ष में आया। स्वतंत्र भारत का जब शिक्षा का इतिहास लिखा जाएगा तो शिक्षा बचाओ आंदोलन को याद किया जाएगा। आगे उन्होंने सेक्स एडुकेशन के माध्यम से भारत मे कंडोम के व्यापार को विस्तार देने की योजना पर भी बात की जिसका बहुत मजबूती से न्यास ने विरोध किया और सरकार को वापस लेना पड़ा। आगे उन्होने कहा की शिक्षा में भारतीयकरण के लिए कार्य करना आवश्यक था। सेक्स एडुकेशन की जगह न्यास ने चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व के समग्र विकास की वकालत की।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास समस्या नहीं समाधान की बात करता है। चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व का समग्र विकास के बहुत सकारात्मक परिणाम रहे हैं। न्यास बहुत बड़ा कार्यक्रम नहीं करता लेकिन बिना देखे बिना समझे आप समझ नहीं पाएंगे कि न्यास क्या कार्य करता है। आत्मनिर्भर भारत तबतक नहीं होगा जब तक छात्र आत्मनिर्भर नहीं हो जाता जिसके लिए न्यास कार्य करता है। आज न्यास के कौशल विकास के मॉडल को सरकार समझने आती है। शिक्षा से ही समाज परिवर्तन सम्भव है जिस हेतु न्यास कार्य कर रहा है। आगे उन्होनें शिक्षा में नए विकल्प की चर्चा की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा में नए विकल्पों को 70 प्रतिशत ग्रहण किया है।
आगे उन्होने शिक्षा के माध्यम को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में शिक्षा नहीं बल्कि जैसा नागरिक समाज हो उस भाषा मे शिक्षा होनी चाहिए। शिक्षा में भारतीयता ही भारतीय परंपरा है। न्यास का कार्य है कि पहले काम करें फिर बात करें। भाषणों का आदर्श नहीं चलेगा व्यवहार का आदर्श चलेगा। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर जोर देना है, न्यास ने कहा है कि जबतक शिक्षा नीति का क्रियान्वयन सम्पूर्णता से नहीं होगा। मातृ भाषा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज अंग्रेजी के माध्यम से हम अपने बच्चों को जूठन खिला रहे हैं। देश और दुनिया में भौतिक विकास बहुत हो रहा है पर मूल विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता है। मनुष्य का व्यक्तित्व उसके चरित्र से होता है, इस दृष्टि से शिक्षा का महत्व है। उन्होने कहा कि न्यास ने जो काम किया है वह छोटा काम है हमें इस देश की शिक्षा को बदलना है। शिक्षा में परिवर्तन यही न्यास का लक्ष्य है इसमे हर एक गिलहरी प्रयास करें।
नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन होना अति आवश्यक है, न्यास का केंद्र बिंदु यही रहेगा जब तक पूर्ण रूप से क्रियान्वयन नहीं हो जाता । 2011 में न्यास ने भारतीय भाषाओं पर काम शुरू किया। भाषा के मुद्दे पर हाथ डालना,आग में घी डालने जैसा है, अब कई संस्थानों में भारतीय भाषाओं पर कार्य शुरू हो गया है बदलाव प्रारंभ हो गया है। जब तक देश का छात्र आत्मनिर्भर नही होगा तब तक देश आत्मनिर्भर नही होगा, इसलिए आत्मनिर्भरता पर भी कार्य हो रहा है, स्किल डेवलपमेंट जैसे कार्य स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर किये जा रहे हैं, जनजातीय क्षेत्रों में भी शिक्षण कार्य शुरू हो गये हैं । झाबुआ में कौशल विकास का कार्य प्रारंभ हुआ है, शिक्षा परिवर्तन का प्रत्यक्ष मॉडल खड़ा करना ही न्यास का उद्देश्य है, अगले तीन वर्षों में, शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन लाने का कार्य न्यास कर रहा है। 2015 में न्यास ने शिक्षा नीति पर कार्य किया, आपका ज्ञान यदि समृद्ध है तो दुनिया आपके पास आएगी, भाषा चाहे कोई भी हो। जैसा नागरिक समाज चाहिए वैसी ही शिक्षा होनी चाहिए। न्यास ने दुनिया के सामने भाषणों का नही व्यवहार का आदर्श प्रस्तुत किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रान्त के संघचालक, श्री कुलभूषण आहूजा जी ने कहा शिक्षा बचाओ आंदोलन से न्यास का कार्य शुरू हुआ और आज शिक्षा और संस्कृति को बचाने का कार्य कर रहा है। न्यास जनमानस तक तभी पहुंचेगा जब अधिक से अधिक शिक्षाविद और छात्र जुड़ेंगे। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पर्यावरण शिक्षा के राष्ट्रीय सचिव माननीय संजय भाई स्वामी जी ने न्यास के स्थापना से लेकर अभी तक कि यात्रा के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि शिक्षा बचाओ आंदोलन से यात्रा शुरू हुई और आज हम यहां पहुचे हैं की न्यायधीश को कहना पड़ता है कि वादी को न्याय उनकी भाषा मे मिले। ए एस एन सीनियर सेकेण्डरी स्कूल के संस्थापक श्री लूथरा जी ने शिक्षा बचाओ से लेकर भारतीय संस्कृति बचाओ की बात की और कहा कि अब जागने का समय है। उन्होने न्यू एडुकेशन पॉलिसी को इम्प्लीमेंट करने की बात की। उन्होंने ने कहा की कठिन से कठिन कार्य योगी आदित्यनाथ जी कर रहे हैं। उन्होने कहा आजादी के बाद आज मोदी जी हैं जो देश को बचाने के लिए, वोकेशनल शिक्षा तथा वैल्यू बेस्ड शिक्षा देने पर जोर देते हैं।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास दिल्ली प्रान्त की संयोजिका श्रीमती उपासना अग्रवाल जी ने स्वागत वक्तव्य देते हुए न्यास की यात्रा के विषय में विस्तार से बताया। इस मौके पर छत्तीसगढ़ से आये प्रो संजय अग्रवाल की पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। इस मौके पर दिल्ली व देश से कुलपति व शिक्षाविद उपस्थित थे।
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