उसने जब आदेश दिया था
मंदिर तोड़े जाने का
तबसे प्रण ले लिया था हमने
मंदिर पुनः बनाने का
मंदिर तोड़ा मारा काटा
पर दिल ना भरा जब बाबर का
गुंबद नहीं नासूर बनाया
उस दर्द को याद दिलाने का
जब तुमने गाथाएँ लिखीं
स्थान ए जनम गिराने का
तब हमने रामायण लिखा
राम की धुन को गाने का
पगड़ी त्याग के सोचा हमने
बच्चों को नहीं बताने का
अगली पीढ़ी पर खून के रस्ते
पाया इतिहास पुरानों का
दिया ना चबूतरा सीता वाला
श्रीराम को पूजा जाने का
हमने तो एकड़ पाँच दिया है
अब भी तुझे बनाने का
हत्याएँ की और मंदिर लूटे
सैकड़ों मथुरा और काशी का
तुम तीन भी वापस दे दो तो
मानें तुझको भी भारत का
(प्रो. राकेश कुमार पांडेय)
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