Saturday, 4 May 2024

नैरेटिव गढ़ते वामपंथियों को जबाब देती ऋषिराज की पुस्तक

करुणानयन चतुर्वेदी  


लोकतंत्र की व्याख्या भारत के संविधान में निहित है। उसका सम्मान व समर्थन हम सभी करते हैं। लेकिन अपनी चुनावी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विपक्षी राजनीतिक दल मोदी सरकार को संविधान विरोधी और संविधान को ही समाप्त कर देने तक की संज्ञा प्रदान कर चुका है। परन्तु प्रश्न उठता है कि क्या ऐसा वास्तव में होगा ? इन्हीं सवालो को समझने के लिए ऋषि राज सिंह और प्रिंस शुक्ल द्वारा संपादित पुस्तक 'कांस्टीट्यूशनल जर्नी एन ओवरव्यू फ्रॉम 2014-2024' पढ़नी चाहिए। जिसकी प्रस्तावना वरिष्ठ पत्रकार व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष माननीय श्री रामबहादुर राय जी ने लिखी है। 


दरअसल यह पुस्तक उन तमाम पहलुओं पर प्रकाश डालती दिखाई देती है, जिसको लेकर विपक्ष मोदी जी के ऊपर हमलावर रहा है। क़िताब के पहले अध्याय का 'वी द पीपुल ऑफ भारत' शीर्षक यह दिखाता है कि आज के समय में भारत औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ एक समृद्ध राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर हो चला है। कश्मीर का मुद्दा हो  या संवैधानिक सुधार की बात हो मोदी सरकार इन सभी विषयों पर कैसे सकारात्मक होकर अभी तक के अपने कार्यकाल में चलें है, उसको काफ़ी बढ़िया से इसमें उल्लेखित किया गया है। मोदी सरकार के अब तक के शासनकाल में हुए संविधान संशोधन कैसे भारतीयों के हित में रहें हैं, इसपर भी प्रकाश डाला गया है। भारत को श्रेष्ठ भारत बनाने में मोदी सरकार ने नारी सशक्तिकरण पर कैसे बल दिया; इसे भी इस पुस्तक में देखने को मिल जाएगा। यह क़िताब जब लोकार्पित होकर पाठकों के हाथ में आएगी तो उसमें वामपंथियों व वामवादी संगठनो के निजी स्वार्थ के लिए गढ़े गए नैरेटिव व दुष्प्रचार  को तोड़ेगी। वहीं अपने पाठकों को तार्किक रूप से और विवेकशील बनाएगी। जो भी एजेंडा मोदी सरकार के विरूद्ध अभी तक चलाए गए हैं, दरअसल वह भारत को आंतरिक रूप से कमज़ोर करने के लिए ही चलाए जा रहें हैं। इन विषयों पर पुस्तक विस्तार के बात करती है। पुस्तक महत्वपूर्ण विमर्शों को जन्म देती है वही विपक्ष के कुतर्को को काटती हैं। भाई ऋषि राज सिंह और प्रिंस शुक्ल दोनों बधाई के पात्र हैं। 


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