करूणा नयन चतुर्वेदी दिल्ली
नई दिल्ली, 13 मई। जिज्ञासा फाउंडेशन के स्थापना दिवस पर विशेष व्याख्यान का आयोजन नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया। व्याख्यान का विषय राम मंदिर से राम राज्य की ओर था। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद के श्री आलोक कुमार जी ने कहा कि रामराज्य का वर्णन मुख्य रूप से समाज का वर्णन है। उनके शासन में सभी लोग सुखी से जीविकोपार्जन करते थे। समाज में कोई वैमनस्य नहीं था। आज पूरे विश्व में वैश्विक स्तर पर अशांति है। लेकिन जब आप रामराज्य की ओर देखेंगे तो पाएंगे की कैसे प्रभु श्री राम ने रावण से युद्ध को टालने के लिए अंगद को उसके दरबार में शान्ति दूत बनाकर भेजा था। आज के समय लोग जातीय विभेद की बहुत बात करते हैं। परंतु उस समय रावण से युद्ध करने के लिए श्री राम ने अपने समुदाय को छोड़कर वानर, रिक्ष आदि से मदद मांगी थी। इन्हीं सब चीज़ों पर आज के भारत को काम करने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एन जी टी के भूतपूर्व अध्यक्ष जस्टिस आदर्श गोयल ने इस विषय पर कहा कि हमारी संस्कृति में शुरू से त्याग और समर्पण की भावना रही है। किसी भी देश का इतिहास उठाकर आप देखेंगे, तो कहीं भी राजा ने अपने से राज्यगद्दी का स्वतः परित्याग नहीं किया है। लेकिन रामराज्य में ही ऐसा होता है की राम स्वयं राज्य को त्यागते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में रामराज्य को साकार करने के लिए चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का प्रस्तावना संबोधन राजकुमार भाटिया ने दिया। कार्यक्रम का संचालन कीर्ति मिश्रा ने किया। देव रत्न शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य बलबीर पुंज, डॉ सुभाष गौतम , महेंद्र कौशिक आदि के साथ भारी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहें।
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