नई दिल्ली, 20 सितंबर। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय में हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार और हिन्दी विभाग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमता के दौर में मीडिया विषय पर नवागंतुक छात्रों के लिए मार्गदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष डी डी न्यूज के सीनियर कन्सल्टिंग एडिटर व एंकर अशोक श्रीवास्तव, बतौर वक्ता बीबीसी न्यूज की सीनियर ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट सुशीला सिंह और आजतक न्यूज की सहायक संपादक हिमानी दीवान शामिल रहे।
मार्गदर्शन कार्यक्रम में विषय प्रस्ताव प्रो. शशि रानी ने रखा। एपीजे अब्दुल कलाम के कथन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है, जिसका प्रयोग दुनिया को बदलने में किया जा सकता है। साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमता(एआई) के कई रुपों और कार्यों से श्रोताओँ को अवगत कराया। मीडिया के क्षेत्र में भी एआई अपना बेहतर प्रदर्शन की बात उन्होंने कही।
सीनियर ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट सुशीला सिंह ने मीडिया में इंटर्नशीप और भाषा पर अच्छी पकड़ को महत्वपूर्ण बताया और मीडिया में प्रयुक्त टेक्नोलॉजी के विकास की चर्चा की। उन्होंने एआई के द्वारा सृजित कंटेंट पर भरोसा करने के बजाय उसके डबल चेक पर जोर दिया। साथ ही, एआई की चुनौतियों को स्वीकार करने और उसमें अवसर तलाशने पर बल दिया।
आजतक न्यूज की सहायक संपादक हिमानी दीवान ने एआई के तमाम पक्षों को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मीडिय़ा संस्थान में यदि एआई का असावधानी से प्रयोग किया जाएगा तो बड़े खतरों का सामना करना पड़ सकता है। कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से इंसान की सृजनात्मकता खत्म हो रही है। इससे हमें डरने की जरुरत नहीं है बल्कि इसे सीखने की आवश्यकता है।
डीडी न्यूज एंकर अशोक श्रीवास्तव वक्तव्य में बताया कि दुनिया हर पल बदल रही है। अगर आप इन बदलावों के अनुरुप ढलने के लिए तैयार नहीं हैं तो आपके रोजगार का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। भाषा पर आपकी पकड़ जितनी मजबूत होगी, उतने ही आप मीडिया क्षेत्र में रोजगार के अवसर पा सकेंगे। आपको कंटेंट क्रिएशन पर काम करना चाहिए न कि एआई के कंटेंट की कॉपी पर भरोसा करना चाहिए। आज कंटेंट क्रिएटर के लिए अवसर की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने मार्गदर्शन कार्यक्रम में छात्रों द्वारा पूछे गये सवालों का जबाव देते हुए कहा कि हमें अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए, लेकिन हिन्दी के शब्दों को मरने नहीं देना चाहिए। जहाँ तक संभव हो सके, हिन्दी के शब्दों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है क्योंकि अपनी मातृभाषा को बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
मार्गदर्शन कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वल के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत तुलसी पौध और शॉल भेंट कर किया गया। स्वागत वक्तव्य प्रो. बिजेन्द्र कुमार द्वारा दिया गया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. चित्रा रानी द्वारा की गई। मंच संचालन राकेश कुमार द्वारा किया गया।
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