करुणा नयन चतुर्वेदी
नई दिल्ली, 28 फरवरी। कांस्टीट्यूशनल क्लब में जिज्ञासा संस्थान द्वारा महात्मा गांधी हिन्दू देशभक्त विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में पद्मश्री पुरस्कृत डॉ जे के बजाज रहे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार भाटिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि बहुत लम्बे अंतराल के बाद हम जिज्ञासा का ऑफलाइन कार्यक्रम कर रहे हैं। जिज्ञासा का उद्देश्य केवल ज्ञानवर्धन ही है। महात्मा गांधी के बारे यह कहा जाता है कि जितने उनके समर्थक हैं, उतने ही उनके आलोचक।
पद्मश्री डॉ जे के बजाज ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गांधी पर अनुमान लगाना कठिन है। क्योंकि वह नियमित रूप से लेखन कार्य करते थे। इसलिए उनके बारे में आसानी से जानकारियां उपलब्ध हो जाती हैं। गांधी का मानना था कि हिंदू और देशभक्त एक दूसरे के पूरक हैं। गांधी प्रत्येक व्यक्ति में परमात्मा का अंश देखते थे। इसीलिए वह व्यक्तियों को ईश्वरीय तत्व का रूप मानते थे। गांधी हिन्दू समाज के निःशास्त्रीकरण से भी बहुत आहत दिखते
हैं। इस विषय पर हिंद स्वराज में गांधी अपने विचार भी रखते हैं। गांधी का सत्याग्रह उनका एक व्यावहारिक भाव था। गांधी का कहना था कि वह व्यक्ति देशभक्त नहीं हो सकता जो अपने धर्म का नहीं होता है। कार्यक्रम में अनेक क्षेत्रों के सम्मानित बुद्धिजीवी जैसे गोविंदाचार्य जी, शशांक जी (पूर्व विदेश सचिव) तथा अनेक कॉलेजों के प्राचार्य, लेखक एवं पत्रकार आदि उपस्थित रहे।धन्यवाद ज्ञापन देवरत्न जी द्वारा किया गया I
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