Sunday, 30 March 2025

सत्य के मार्ग पर बढ़ते कदम, वेदों की ज्योति से आलोकित संसार

कीर्ति शर्मा


150 वर्षों की गौरवशाली यात्रा! आर्य समाज, जिसने समाज सुधार, शिक्षा, नारी उत्थान, और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाया, आज अपने स्थापना दिवस पर नई ऊर्जा और उत्साह के साथ सजीव हो उठा है।

करोल बाग आर्य समाज में जैसे ही भजन, यज्ञ और वैदिक मंत्रों की गूंज उठी, संपूर्ण वातावरण श्रद्धा से भर गया। वेदों की ऋचाओं के मधुर स्वर हर भक्त के हृदय को पुलकित कर रहे थे।

भव्य हवन में अग्नि की लपटें मानो ऋषि दयानंद की तपस्या और आर्य समाज के सिद्धांतों को साक्षात जीवंत कर रही हों। विद्वानों के प्रेरणादायक प्रवचनों ने सबको सत्य, प्रेम और कर्मयोग के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इस विशेष अवसर पर आर्य समाज से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्तियों और भक्तों ने भाग लिया, जिन्होंने अपने विचार साझा किए और आर्य समाज के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।


इस अवसर पर आर्य समाज करोल बाग के प्रधान श्री कीर्ति शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, "आर्य समाज का यह 150वां स्थापना दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि वेदों के ज्ञान और ऋषि दयानंद के आदर्शों को पुनर्स्थापित करने का संकल्प है। समाज को जागरूक करने और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए हम सभी को संगठित होकर आगे बढ़ना होगा। हमें आर्य समाज के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए आधुनिक तकनीकों का भी सहारा लेना चाहिए, जिससे युवा पीढ़ी इससे जुड़ सके।"

वहीं, इस कार्यक्रम के मुख्य धर्माचार्य प्रह्लाद शास्त्री जी ने कहा, "वेदों की ज्योति ही सच्ची राह दिखाने वाली है। आर्य समाज का संदेश न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में फैला है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम सत्य, अहिंसा और धर्म के मार्ग पर अडिग रहें और आने वाली पीढ़ियों को इस पथ पर चलने के लिए प्रेरित करें। इस अवसर पर हम सभी को अपने अंदर एक आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करनी होगी, ताकि हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।"

समाज के युवा, महिलाएं, और वरिष्ठजन—सबने एक साथ आर्य समाज के मूल्यों को अपनाने और उसे और अधिक ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प लिया। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक विचारधारा की पुनर्स्थापना थी, जो हर दिल में नवचेतना और जागरूकता का संचार कर रही थी।

इस अवसर पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों ने आर्य समाज की ऐतिहासिक यात्रा, इसकी उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। कई युवा वक्ताओं ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि नई पीढ़ी भी वेदों के संदेश को अपनाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम का समापन आर्य समाज के गौरवशाली इतिहास को नमन करते हुए हुआ, जिसमें सभी सदस्यों एकजुट होकर आर्य समाज के सिद्धांतों को और अधिक प्रसारित करने का संकल्प लिया। इस ऐतिहासिक दिन पर हर व्यक्ति के चेहरे पर गर्व और उल्लास झलक रहा था।

"जहाँ सत्य का प्रकाश है, वहीं आर्य समाज है!"


No comments:

Post a Comment