Tuesday, 15 April 2025

बराबरी और आत्म सम्मान डॉ अंबेडकर का स्वप्न


नई दिल्ली, 15 अप्रैल। डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज में बाबा साहेब अंबेडकर के 135 वीं जयंती के उपलक्ष में 19वीं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में युवा मोटिवेटर डॉ विकास दिव्यकीर्ति , विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति डॉ पी सी पतंजलि , प्राचार्य प्रो सदानंद प्रसाद और कॉलेज चेयरमैन प्रो पंकज त्यागी उपस्थित रहे। 

डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि बाबा साहब की जीवनी से गुजरने के बाद पता चलता है कि उनका संघर्ष कितना बड़ा था। उन्हें बचपन में पानी पीने को नहीं मिला, कक्षा के बाहर तक बैठना पड़ा। आज उन्हें सम्मान मिल रहा है यह उनके व्यक्तित्व को दिखाता है कि उन्होंने मेहनत से एक मुकाम हासिल किया और अपना जीवन समाज के वंचित वर्ग के हितो के लिए समर्पित किया। बाबा साहेब का कहना था कि जो बच्चे वंचित समाज में पैदा होते हैं उनमें साहस और जुझारूपन ज्यादा होती है क्योंकि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता है। डॉ दिव्यकीर्ति ने बताया कि बाबा साहेब ने बौद्ध धर्म को उसकी तार्किकता के कारण चुना था क्योंकि उनका मानना था कि धर्म से मुक्ति नहीं मिलती बल्कि धर्म में रहकर मुक्ति पाना मायने रखता है। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर आजीवन सामाजिक न्याय, आत्मसम्मान और बराबरी के लिए संघर्ष करते रहे जो उनका भारत के लिए स्वप्न था। जीवन संघर्ष हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।

डॉ पी सी पतंजलि ने कहा कि बाबा साहब उम्रभर समानता के लिए लड़ते रहे। उन्होंने कहा कि रोटी बेटी का बंधन तोड़ दिया जाए तो सामाजिक समानता आ जाएगी। कॉलेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रो. पंकज त्यागी ने कहा कि बाबा साहेब को संघर्ष , सिद्धांत, समानता, हौसला और दूसरे को सम्मान दिलाने के लिए याद किया जाता है। 

कार्यक्रम के आरंभ में  अतिथियों का स्वागत पौधा, शॉल और स्मृति चिन्ह  देकर किया गया। अंत में प्रो. दीपाली जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रो. बिजेन्द्र कुमार, प्रो. राजेश उपाध्याय, प्रो. जया वर्मा, प्रो. शशि रानी, प्रो. रियाजुद्दीन खान, प्रो. सुजीत कुमार, प्रो. चित्रा रानी, प्रो. ममता, प्रो. ममता यादव, प्रो. पूनम मित्तल, प्रो. तुष्टि भारद्वाज समेत भारी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

No comments:

Post a Comment