नई दिल्ली , 27 अप्रैल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए केंद्रीय पैनल के संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत हासिल की है। एबीवीपी के उम्मीदवार वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त कर वामपंथी संगठनों को चुनौती दी है। इसके साथ ही 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों में से 24 सीटों पर विजय हासिल कर एबीवीपी ने वर्षों से कायम तथाकथित वामपंथी प्रभुत्व को ध्वस्त करते हुए 'लाल दुर्ग' में भगवा परचम फहरा दिया है। यह न केवल जेएनयू के राजनीतिक परिदृश्य में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा पर आधारित छात्र आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। वैसे तो एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त की है, इसके साथ ही अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव के पदों पर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कांटे की टक्कर दी। अंतिम चरण तक एबीवीपी के उम्मीदवार मजबूती से मुकाबले में बने रहे और वामपंथी गठबंधन के लिए गहरी चुनौती पेश करते रहे। यह परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि जेएनयू के छात्र समुदाय में राष्ट्रवादी सोच के प्रति व्यापक स्वीकृति बढ़ रही है।
वैभव मीणा मूलतः करौली, राजस्थान के निवासी हैं और एक जनजातीय किसान परिवार से आते हैं। इन्होंने अपनी स्नातक शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से प्राप्त की है तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। वर्तमान में वैभव, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के भारतीय भाषा केंद्र में हिन्दी साहित्य विषय के शोधार्थी हैं।
इस मौके पर एबीवीपी जेएनयू के इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा की जेएनयू में यह विजय न केवल अभाविप के अथक परिश्रम और राष्ट्रवादी सोच पर विद्यार्थियों के विश्वास का प्रमाण है, बल्कि यह उन सभी छात्रों की जीत है जो शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का आधार मानते हैं। जेएनयू में वर्षों से स्थापित एकपक्षीय विचारधारा के विरुद्ध यह लोकतांत्रिक क्रांति है। विद्यार्थी परिषद भविष्य में भी छात्रों के हितों और राष्ट्र पुनर्निर्माण के अपने संकल्प के साथ कार्य करती रहेगी।
वही वैभव मीणा ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ में संयुक्त सचिव के रूप में चुना जाना मेरे लिए व्यक्तिगत उपलब्धि मात्र नहीं, बल्कि उस जनजातीय चेतना और राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय है जिसे वर्षों से दबाने का प्रयास किया गया था। यह जीत उन सभी छात्रों की आशाओं का प्रतीक है जो अपनी सांस्कृतिक अस्मिता और राष्ट्र निर्माण की भावना के साथ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं संकल्प लेता हूँ कि छात्र हितों की रक्षा, अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, और विश्वविद्यालय परिसर में समरस लोकतांत्रिक मूल्यों, संवाद तथा समावेशिता को सशक्त करने हेतु पूर्ण निष्ठा और पारदर्शिता के साथ कार्य करूँगा। यह विजय एक ऐसे जेएनयू के निर्माण की ओर पहला कदम है, जहाँ हर विद्यार्थी को समान अवसर, सम्मान और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ने का वातावरण प्राप्त हो।
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