नई दिल्ली, 30 अप्रैल। राज आर्य सभा, दिल्ली के तत्वावधान में एक भावनात्मक और जागरूकता-प्रधान श्रद्धांजलि और संकल्प सभा का आयोजन किया गया। इस विशेष सभा का उद्देश्य न केवल पहलगाम में हुए निर्दोष हिंदुओं के नरसंहार पर शोक प्रकट करना था, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुनः जाग्रत करना भी था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आर्य नेता आर्य रवि देव गुप्त जी ने की, जबकि संयोजन का दायित्व कीर्ति शर्मा जी ने कुशलता से निभाया। मुख्य वक्ता लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) धर्मवीर कालरा (PVSM, AVSM) ने अपने गहन और विचारोत्तेजक वक्तव्य में कहा कि यह घटना आतंकवाद की नृशंसता का ज्वलंत प्रमाण है, और यह समय है जब राष्ट्र को एकजुटता, आत्मरक्षा और राष्ट्रीय चेतना की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने भारत की सेना के अद्वितीय साहस और बलिदान की भी सराहना की।
आचार्य योगेश भारद्वाज जी ने इस घटना को सांस्कृतिक संदर्भ में रखते हुए कहा कि यह केवल एक नरसंहार नहीं, अपितु भारत की सहिष्णु सांस्कृतिक परंपरा पर हमला है। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा को पराजित नहीं किया जा सकता — यह सत्य, तप और त्याग की ज्वाला से सदा प्रकाशित रहेगी। कार्यक्रम के प्रारंभिक उद्बोधन में संयोजक कीर्ति शर्मा जी ने कहा की यह केवल श्रद्धांजलि सभा नहीं, राष्ट्र चेतना का संग्राम है। यहाँ हर शब्द, हर विचार, हर भाव एक दीपक है शहीदों की स्मृति में, और एक मशाल है भविष्य को आलोकित करने के लिए। हमें संगठित रहकर सतत जागरूकता और आत्मरक्षा के मार्ग पर चलना होगा।
सभा का समापन राज आर्य सभा के मंत्री राकेश आर्य द्वारा भावपूर्ण धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा:
"सच्ची श्रद्धांजलि केवल आँसू नहीं, बल्कि संकल्प होती है — हम ना भूलेंगे, ना माफ करेंगे, ना थकेंगे। हम भारत माता के सपनों के लिए जिएंगे और लड़ेंगे।"
इस कार्यक्रम में सैकड़ों राष्ट्रनिष्ठ व्यक्तियों की भागीदारी रही। वक्ताओं के ओजस्वी विचारों और सहभागियों की राष्ट्रभक्ति ने इस आयोजन को एक जन-जागरण अभियान का रूप दे दिया।
राज आर्य सभा ने इस अवसर पर यह भी संकल्प लिया कि वह भविष्य में ऐसे जागरूकता अभियानों और राष्ट्ररक्षा विषयक आयोजनों को निरंतर गति प्रदान करता रहेगा।
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