Saturday, 22 November 2025

दिल्ली के विज्ञान भवन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का समापन


नई दिल्ली, 22 नवम्बर। पं. दीनदयाल उपाध्याय की 110 वीं जयंती के अवसर पर विश्व हिंदी परिषद और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 'राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक : पं. दीनदयाल उपाध्याय' विषय पर दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में दो-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के कुल आठ सत्रों में पं. दीनदयाल उपाध्याय और हिंदी भाषा पर देश के विविध राज्यों और विदेशों से आए प्रबुद्धजनों, भाषाविदों, प्रशासकों, पत्रकारों और राजनेताओं ने विषय के व्यापक पहलुओं पर अपना वक्तव्य दिया। पं. दीनदयाल उपाध्याय से संबंधित 100 से अधिक शोधार्थियों ने शोधपत्र पढ़ा। सम्मेलन में पुस्तक विमोचन, काव्यपाठ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फिल्म प्रदर्शन भी शामिल रहे। 

पं. दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानववाद', 'पं. दीनदयाल उपाध्याय : रामराज्य बनाम धर्मराज्य', 'हिंदी का वैश्विक परिदृश्य और पं. दीनदयाल उपाध्याय', 'पं. दीनदयाल उपाध्याय : प्रकृति, संस्कृति और दर्शन', और 'हिंदी पत्रकारिता और पं. दीनदयाल उपाध्याय' जैसे विषयों पर सम्मेलन के विविध सत्रों में चर्चा की गई। लद्दाख के उपराज्यपाल कवींद्र गुप्ता, पर्व राज्यसभा सदस्य एवं वरिष्ठ नेता के. सी. त्यागी, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश, राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा, निवर्तमान केंद्रीय गृहराज मंत्री अजय मिश्र टेनी, प्रो. सच्चिदानंद मिश्र, दिल्ली विश्वविद्यालय के महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो. बलराम पाणी, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के निदेशक प्रो. के. के. सिंह, वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध और सुरेश चव्हाण के. बतौर अतिथि व वक्ता शामिल रहें।  

विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हिंदी की ही शक्ति है कि विश्व के कोने - कोने से आए प्रबुद्धजनों ने राष्ट्रनिर्माता पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का विचार दुनिया भर में प्रेषित किया है। सोशल मीडिया के जरिए इस विशाल कार्यक्रम को विश्व भर में व्यापकता दी जा रही है। संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य इथोपिया दूतावास के वक्ता गेब्रु टेकले ने अतिथि देवो भव: का संदेश देते हुए भारत और इथोपिया के दो हजार वर्षों के राजनयिक संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत महान देश और मेरा दूसरा घर भी है। 

ऑस्ट्रेलिया से डॉ. मधु खन्ना एवं. डॉ. मृदुल कीर्ति, अमेरिका से डॉ. दुर्गा सिन्हा 'उदार'‌ एवं कादंबरी शंकर, जापान से डॉ. राम पूर्णिमा शर्मा और चीन से डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ने 'हिंदी का वैश्विक परिदृष्याऔ पं. दीनदयाल उपाध्याय' विषय के तहत प्रवासी भारतीयों के बीच हिंदी के विस्तार की बात रखी। सूरीनाम दूतावास से सुनैना मोहन ने कहा कि हिन्दी को वैश्विक ख्याति मिली है। रीवा एवं शहडोल संभाग के पूर्व कमिश्नर डॉ अशोक कुमार भार्गव ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंडित जी का विचार भौतिकता से कोशों दूर सतत प्रवाह का अमृत कलश है। उपाध्याय जी का चिंतन समाज कल्याण के लिए समर्पित है, उनका मानना था कि दुनिया की कोई व्यवस्था मानव कल्याण के बिना अधूरी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति, प्रकृति से प्रेम करना सिखाती है।

राजस्थान तकनीकी विश्विद्यालय,कोटा के पूर्व कुलपति प्रो. एस. के. सिंह , डीडीयू शोधपीठ के निदेशक प्रो. के. के. सिंह और प्रो. पी. के. पुरोहित ने दीनदयाल जी के विचार में प्रकृति, संस्कृति एवं दर्शन पर विस्तारपूर्वक चर्चा किया।सम्मेलन में सूरीनाम का प्रतिनिधित्व करते हुए सूरीनाम के उच्चायुक्त सुनैना मोहन ने कहा कि भारत को मूल स्वरूप में आज भी कैरेबियन देश सूरीनाम में देखा जा सकता है। आज भी भारत से सत्रहवीं शताब्दी में श्रीराम के देश बोलकर सूरीनाम ले जाए गए हमारे पूर्वजों की धरोहर भाषा, भोजन, भजन और संस्कृति को वर्तमान पीढ़ी संवारकर रखी हुई है। हम आज भी सूरीनाम में हिंदी और भोजपुरी बोलते हैं और श्रीरामचरितमानस का पाठ करते हैं।

प्रकाश हॉस्पिटल एवं इंस्टीट्यूशन , नोएडा के अध्यक्ष डॉ वी. एस. चौहान ने कहा कि हिंदी बोलने में गर्व महसूस होता है। उन्होंने कहा कि हिंदी भारत की संपर्क भाषा है। पंडित जी विराट व्यक्तित्व के धनी थे और वे मानवता के उद्धार के हिमायती थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा कि पंडित जी का कहना था कि हिंदी राजभाषा है किंतु हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसी कार्य को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। हरियाणा के राज्य सभा सांसद रेखा शर्मा ने कहा कि भाषा दिलों को जोड़ती है और हिंदी उसी को बढ़ने का काम कर रही है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय महिला आयोग आज पूर्ण रूप से हिंदी में कार्य करता है और हिंदी के उत्थान पर जोर दिया। 

पूर्व राज्य सभा सदस्य एवं वरिष्ठ नेता (जेडीयू) के. सी. त्यागी ने अपने छात्र राजनीति के दौरान को याद करते हुए कहा कि अंग्रेजी में काम न होगा, फिर से देश गुलाम न होगा। उन्होंने कहा कि हमारा जोर भाषायिक भेदता समाप्त करने पर होना चाहिए। पुरस्कार एवं सम्मान सत्र में हिंदी और दीनदयाल उपाध्याय पर कार्य करने वाले विविध जनों, शोधकर्ताओं व संस्थाओं को विश्व हिंदी परिषद द्वारा पुरस्कृत किया गया। विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मभूषण आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार, राष्ट्रीय समन्वयक श्रावण, सम्मेलन संयोजक प्रो. रामनारायण पटेल, प्रो. संध्या गर्ग, डॉ. शकुंतला सरपुरिया, प्रो. शशि रानी, डॉ. दीनदयाल, डॉ. प्रीति तोमर, डॉ. पुरुषोत्तम कुंदे, प्रो. योजना कालिया, डॉ. श्रावण कुमार सम्मेलन में उपस्थित रहें।

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