पूजा कुमारी सिंह
हेमाशा की तरह इस बार विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान में बच्चों के लिए नई-नई पुस्तक उपलब्ध थी जैसे- जैविक सम्पदा तो कही मनोरंजन के लिए ड्राइंग बुक्स वही विकल्प के रूप मे उनके पास बहुत सारी महंगी पुस्तक भी थी. इस बार मेले मे किताबों के साथ खेल सामग्रियां भी खूब बिक रही थी. कही पर क्यूब जिन पर ऐ फॉर एप्पल, बी फॉर बोल छपा हुआ था तो कही पर कैरम बोर्ड पर अंग्रेजी इनके अलावा इस बार मेले में एक नई बात देखने को मिला कुछ ऐसे उपन्यास थे जो बच्चों ने खुद ही लिखे थे वह भी काफी बेहतरीन तरीके से ऐसा ही एक उपन्यास हमे हॉल नंबर 1 ऐ मे देखने को मिला जो की अंग्रेजी की नॉन फ्रिक्शन उपन्यास था यह उपन्यास तीन भाषाओं में उपलब्ध है हिंदी, इंग्लिश और मराठी इस उपन्यास का नाम द सावर्ड ऑफ़ डार्कनेस था इस उपन्यास के लेखक का नाम स्वर्णिम है.
हैरानी की बात यह है की यह बैंगलोर में रहने वाला 14 साल का बच्चा है जिसकी क्वालिफिकेशन अभी सिर्फ 9 वीं क्लास तक है और इसने इतनी कम उम्र में यह उपन्यास लिखा जिसमें एक्शन, एडवेंचर, सस्पेंस, और थ्रिल्स ऑफ़ मैजिक हर वो चीज इस उपन्यास में है जो की इस उपन्यास की एक बहुत बड़ी खासियत है और लोगो में पढ़ने की रूचि पैदा कर रही है. लोगो ने इस बुक को काफी सराहा भी है विश्व पुस्तक मेले के लास्ट डे सबसे ज्यादा भीड़ इसी बुक स्टाल पर देखी गई लोगो का कहना यह था की हमे हर साल पुस्तक मेला आना चाहिए पुस्तक प्रेमी हर दिन इधर उधर पुस्तक को ढूंढते रहते है पर पुस्तक मेला आना मिस कर देते है जहाँ हर तरह की बुक उपलब्ध होती है बच्चों को भी पुस्तक मेला जरूर आना चाहिए क्योकि यहाँ कोर्स से रिलेटेड बुक मिल जाती है और आईएस के एग्जाम और भी कई तरह के एक्जाम की बुक मिल जाती है और जो लोग कुछ हटकर पुस्तक पढ़ना चाहते है तो उनके लिए यहाँ कुछ अलग तरह की किताबें जैसे मै मृत्यु सिखाता हूँ जैसी पुस्तके भी उपलब्ध हैं.
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