पूजा सिंह
आज लोगो का यह मानना है कि हमारा देश विकास कर रहा है, पर क्या यह विकास
सिर्फ शहरों तक ही सिमित है या फिर गांव भी इस विकास में भागीदार हैं। आज
जब मेरा यात्रा के दौरान कोलमोजरा गांव अहिरान टोला ग्राम पंचायत कोनिकला
ब्लाक जबा जिला रीवा मध्य प्रदेश में जाना हुआ तो उस दौरान गांव की हकीकत
का पता चला। इस गांव की कुल जनसंख्या 7000 है, कुल वार्ड 20 हैं इस गांव में
सरकारी हैंडपंप 50 हैं, जिनमें से चालू हैंडपंपो की संख्या 40 और बंद
हैंडपंपो की संख्या 10 है। सरकारी कूप 5 हैं और सरकारी तालाब 1 है। जो अब
सूख चुका है।यहाँ पर सरकारी स्कूल 22 हैं, जिनमें से 2 स्कूल बंद पड़े हैं
और जो स्कूल खुले हुए हैं उनकी छत पूरी तरह जर्जर हैं ,स्कूल की छत से बुरी
तरह से पानी टपकता है और फर्श पूरी तरह उखड़ी हुई है।इन स्कूलों में ब्रेंच
भी नहीं है, बच्चों के बैठने के लिए जमीन पर टाट-पट्टी बिछी हुई है और कुछ
बच्चे तो घर से बोरी लेकर स्कूल आते हैं। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र 5 हैं
,जिनमें भवन ही नहीं हैं और इन आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को पोषण आहार
ही नहीं दिया जाता है। इस गांव में 10 मई 2015 को पत्थर पड़ने से अरहर की
दाल और चने की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गयी। किसानों की जमीनों पर अभी भी कोई कर्मचारी या अधिकारी कोई सर्वे तक नहीं कर सका जिस कारण किसानों की फसल नुकसान होने का उन्हें कोई मुआवज़ा नहीं मिल सका। जिस कारण उनकी स्थिति काफी ख़राब हो गयी है ।इस गांव में रोड की भी समस्या बहुत बड़ी है लेकिन उससे भी बड़ी समस्या हॉस्पिटल की है ,यहाँ की रोड ठीक ना होने के कारण इस गांव में आज तक कोई भी वाहन का आवागमन नहीं हो सका जिस कारण गांव में आज तक कोई भी वाहन नहीं आया है ।इस गांव में हॉस्पिटल नहीं है और रोड ठीक न होने के कारण इस गांव में एम्बुलेंस भी नहीं आती ,जिस कारण से अगर गांव में किसी का भी स्वास्थ ख़राब हो जाता है तो उसे गोद में लेकर सरकारी हॉस्पिटल जाना पड़ता है जो की इस गांव से 2 km दूर है लेकिन उसमें भी कोई डॉक्टर नहीं बैठता है डॉक्टर सिर्फ कागजो में ही नियुक्त है क्योंकि वहां सिर्फ कम्पाउण्डर ही बैठता है। उस हॉस्पिटल में डॉक्टर ना होने के कारण उस गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये 30 km दूर जबा जाना पड़ता है और यही नहीं इसी गांव की वृद्धा महिला रम रजिया जो की विधवा हैं उनसे बात करने पर यह भी पता चला की उन्हें आज तक विधवा पेन्शन ही नहीं मिला उन्हें इंदिरा आवास योजना के तहत घर भी नहीं मिला उन्हें राशन भी नसीब नहीं होता, यह महिला चार-चार पाँच-पाँच दिन बिना खाए रहती हैं क्योंकि इनकी स्थिती भीख मांगने लायक भी नहीं है ।गांव के लोग कभी-कभी खाना उनके घर पहुँचा देते हैं तो वो खाना खा लेती हैं और जिस दिन नहीं पहुचाते उस दिन वह बिना खाना खाये रहती हैं गांव के एक और व्यक्ति मथुरा प्रसाद यादव से बात हुई जिनकी उम्र 18 बर्ष है वह दोनो पैरों से विकलांग हैं ।इन्हें आज तक ट्रॉयल साइकिल नहीं मिली और ना ही विकलांग पेन्शन नसीब हुआ , इस तरह इस गांव में सरकार की तरफ से किसी भी योजना का लाभ इन गांव वालों को नहीं मिल रहा।
No comments:
Post a Comment