साक्षी त्यागी
भारत विश्व का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश है। भारत में संसद व
विधान सभा निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव कराने के लिए अथक प्रयास करती हैं।
परन्तु आज भारतीय राजनीति की दशा ऐसी है कि संसद को चुनाव के दौरान कई
प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पडता है। इसका सबसे बडा कारण राजनीति मे
बढ़ता अपराधीकरण है। इसे राजनीति मे अपराधियों की भूमिका का बढ़ना भी कहा
जा सकता है।
इस बढ़ते अपराधीकरण के कारण आज हमारे देश की राजनीति को
भ्रष्टाचार, हिंसा, सत्ता को लेकर हत्या, राजनीति मे अनुशासन हीनता आदि
जैसी समाज मे व्याप्त बीमारियों का सामना करना पड रहा है। भारतीय राजनीति
बडे ही नाजुक दौर से गुजर रही है। अपराधियों का राजनीतिक दलो मे प्रवेश
भारतीय लोकतन्त्र को कमजोर बना रहा है। इसका सीधा-सीधा प्रभाव देश की जनता
पर पड रहा है, और जनता का लोकतन्त्र पर से भरोसा उठता जा रहा है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स की विगत रिपोर्ट के
अनुसार देश मे 4807 सांसदो व 1460 विधि निर्माता अपराधी या दागी हैं। इनमे
से कई के खिलाफ संगीन अपराध जैसे- अपहरण, हत्याएँ व बलात्कार जैसे आरोप
है। तथ्यो के अनुसार हर तीसरा नेता अपराधी है। सभी बडी पार्टियाँ जैसे
कॉन्ग्रेस, बी.जे.पी, जे.डी.यू. मे कई नेता ऐसे है जो आपराधिक पृष्ठभूमि से
हैं।
राजनीति मे बढ़ती अपराधियों की संख्या का एक कारण
हमारी दोष पूर्ण निर्वाचन प्रणाली भी है। चुनाव के खर्चीले होने के कारण
एसे जनप्रतिनिधि जो असल मे चुनाव मे भाग लेने योग्य होते हैं, वे आर्थिक
रुप से कमजोर होने के कारण इस प्रक्रिया मे शामिल नही हो पाते और अपराधी
अपनी ताकत व अपने धन की बदौलत पहले तो गैरकानूनी तरीकों से चुनाव का टिकट
प्राप्त कर लेते है व बाद मे ऐसे ही तरीकों से चुनाव जीतने मे भी सफल हो
जाते हैं। और इसी के साथ उनके अपराधों को राजनीतिक रक्षा कवच मिल जाता है।
नेता सत्ता के इतने लोभी होते जा रहे है कि चुनाव जीतने
के लिए ये हर संभव तरीकों से अपने कार्यो को अंजाम देते है। फर्जी मतदान,
मतदाता केंदो पर कब्जा, मतदाताओं को डराना-धमकाना जैसे अमानवीय कार्य करते
है। अपराधी चुनाव जीतने के लिए अपराध से युक्त तरीको का प्रायोग करते है कई
बार तो ये बन्दुक की नोक पर चुनाव लड़ते है। इस प्रकार ये चुनाव जीत कर
खुले आम जनता का शोषण करते है व जनता के अधिकारों का भी हनन करते है।
ऐसे मे इन अपराधियों को सत्ता मे आने से रोकने के लिए कठोर
नियमों के बनाएँ जाने की आवश्यकता है व पुराने नियमों पर पुनः विचार किया
जाना चाहिए। जनता का इस प्रकार से शोषण करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा
देने का भी प्रावधान होना आवश्यक है।
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