Monday, 4 January 2016

साम्प्रदायिकता और गांधी


मीना
मंडी हाउस के एन डी एम सी पार्क में एन. ए. पी. एम. के समन्वयक विमल भाई ने साम्प्रदायिकता और गांधी पर अपने विचार दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ साँझा करते किया. गांधी के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने वाले विद्वान विमल भाई ने विषय पर अपने विचार रखने से पहले छात्रों से पूछा की आप गांधी जी को क्या समझते हैं? प्रश्न पर विचार जानने का प्रयास किया। इसके बाद उन्होंने विषय की भूमिका बांधते हुए कहा कि गांधी एक विचारधारा हैं। उन्होंने कभी हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया। उनके पांच धर्म (अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य और असंग्रह) थे। बाद में अस्पष्टता भी इसमें जोड़ा गया।

विमल भाई ने कहा कि भारत विविधताओ का देश हैं। प्रकृति हमें वैविध्यपूर्ण रहने की सीख देती है। यहाँ इतनी प्रकार की घास है लेकिन वो कभी लड़ती नहीं है। लेकिन दुःख की बात यह है कि जिस मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ होने का तबका मिला हुआ है वही सबसे अधिक हिंसा करता है। आज जो गाय का मुद्दा उठा हुआ है वह गाय का मुद्दा है ही नहीं वह धार्मिक आतंकवाद का मुद्दा है। 
गांधी ने कभी किसी फैसले को किसी पर थोपा नहीं पर आज स्थिति ऐसी है कि लोग सूर्य नमस्कार करने को कहते हैं, गीता पढ़ने पर जोर देते हैं। आज राष्ट्रवाद के नाम पर गोडसे को सम्मान देने की बात हो रही है। वही गोडसे जिसने एक पतले से बूढ़े इंसान गांधी को मारा लेकिन उसने अंग्रेजों के द्वारा किए जा रहे अत्याचार से लड़ने की हिम्मत तक नहीं दिखाई। उनका कान तक पकड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई थी गोडसे ने। गांधी में दृढ़शीलता थी उनमें नेतृत्व करने की क्षमता थी और यही कारण था कि गांधी की एक आवाज़ पर पूरा देश उपवास रखने को तैयार हो जाता था। अंग्रेजों को हिन्दुस्तानियों की ये एकता रास नहीं आई तब उन्होंने हिन्दू - मुस्लिम के बीच फूंट डालने की कोशिश की, लेकिन गांधी ने ऐसा न हो इसके लिए भरसक प्रयास किए। विमल भाई ने छात्र-छात्राओं को गांधी जी का मन्त्र याद दिलाया और उसका पालन करने को भी कहा। चर्चा का अंत छात्रों के प्रश्नों के साथ हुआ।

No comments:

Post a Comment