अपूर्वा सिंह
अमेज़न के प्रोडक्ट ऐशट्रे आने के बाज़ार में आने के बाद से देशभर के लोगों ने कम्पनी का जमकर विरोध किया। चाहे वो फेसबुक पर पोस्ट के माध्यम से हो चाहे ट्विटर पर ट्वीट या फिर सीधा अमेज़न पर रिपोर्ट करने से हो। हालांकि ये पहली बार नहीं था जब देशभर में लोगों द्वारा किसी अमेज़न प्रोडक्ट का विरोध किया गया हो। इससे पहले जनवरी में भी भारतीय ट्राईकलर थीम्ड डोरमैट के आने पर स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा इसकी कड़ी निंदा की गई थी जिसमें उन्होंने सभी अमेज़न ऑफिसर का वीसा रद्द करने की चेतावनी दी थी, जिसके चलते बकायदा अमेज़न ने एक माफ़ीनामा भी दिया था। सिलसिला यही खत्म नहीं होता जूते और जूते के फीते पर तिरंगा जैसा प्रिंट(ADE indian flag women's chukka canvas shoe M003), राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चक्र भी डॉग-टी-शर्ट(mahatma gandh silhouette funny dog coats) पर एवं गांधी फ्लिप फ्लॉप के नाम से एक प्रोडक्ट जिसमें गांधी जी की प्रिंटेड फ़ोटो थी। खैर एकबार फिर रिपोर्ट करने पर इन सारे प्रोडक्ट्स को अमेज़न की साइट से हटा दिया गया।
हद्द तो तब हुई जब 'अमेज़न ऐशट्रे' नामक एक प्रोडक्ट अमेज़न इंडिया की साइट पर आया हर बार की तरह पहले इसे अमेज़न इंडिया से और फिर इंटरनेशनल साइट से हटा दिया गया। बता दूं कि अमेज़न इंडिया पर 'tripolar creative ashtray' नाम से यह प्रोडक्ट बेचा जा रहा था। दोस्तों डिज़ाइन कुछ ऐसा था कि महिला को आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। इस ऐशट्रे को एक लड़की का रूप दिया गया है जो एक टब में लेटी हुई है और उसके तन पर नाममात्र के कपड़े हैं। यह लड़की अपने पैर चौड़े किये लेटी हुई है और उसकी वजाईना स्मोकर के लिए खुली हुई है। 'क्रिटिविटी' के नाम पर लोगों को बताया जा रहा है कि लड़की की योनि में सिगरेट घुसाकर बुझा सकते हैं।
विचार कीजिये, आपने ऐसा एक प्रोडक्ट ख़रीदा क्योंकि वो आपको आकर्षक लगा या फ़िर मान लीजिये की वो आपको किसी ने तोहफे में ही दिया है। पहले आप थोड़ा हिचकते है अपनी सिगरेट को बुझाने में लेकिन उसके बाद आप उसे बुझा देते है आखिरकार वह केवल ऐशट्रे ही तो है और आप किसी को असल में तो नुकसान नहीं पहुँचा रहे है? लेकिन जैसे जैसे आप अपनी एक एक सिगरेट उसके वजाईना में बुझाते है अवचेतन (subconsciously) रूप से आप इस विचारधारा में धंसते जाते हैं कि महिला का एक वस्तु के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
एक ऐसे देश में जहाँ महिलाएं शुरू से प्रताड़ित होती आयी हैं। जहां हर मिनट कोई बलात्कार होता है वहां इस तरह का प्रोडक्ट बेचना मानवता को भी शर्मसार करने जैसा है। जिस देश में निर्भया केस हुआ है जिसमें एक लड़की के प्राइवेट पार्ट में सरिया घुसाकर इंसानियत को कुचलने का काम किया गया वहां इस तरह के उत्पाद लोगों की विकृत मानसिकता को और बढ़ावा देने का काम करेगा। दुख तो इस बात का है कि एकबार फिर आवाज कुछ पलों के लिए उठी और हमेशा की तरह केवल फाइलों, पोस्ट्स और कमैंट्स में ही दबकर रह गयी। कब तक देश की बेटी, बहन, माँ को शारीरिक व मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाएगा? प्रताड़ना का शिकार कुछ महिलाओं ने तो जैसे हालातों से समझौता सा कर लिया है। प्रश्न तो यह है कि क्या केवल अमेज़न ही इसके लिए जिम्मेदार है? केवल प्रोडक्ट को साइट से हटा देना ही इस समस्या का हल है?
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