चाहे सफ़र हो या माल की ढुलाई, भारतीय रेल पूरे देश की जीवन-रेखा है. यह दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक है. अंग्रेजों ने भारत के आर्थिक शोषण और अपने साम्राज्य की मजबूती के लिए रेल का इस्तेमाल किया. आजाद भारत में रेल सेवा का निर्माण और विस्तार देश की संपर्क व्यवस्था, अर्थ व्यवस्था और सैन्य व्यवस्था को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से किया गया. भारतीय रेल सेवा के निर्माण में देश के बेशकीमती संसाधन और श्रम खपा हुआ है.
पिछले कुछ सालों से शासक वर्ग रेलवे के निजीकरण की कोशिशों में लगा है. मौजूदा भाजपा सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की आड़ में रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में बेचने की पहल करके पूरी रेलवे का निजीकरण करने की मंशा साफ़ कर दी है.
सोशलिस्ट पार्टी ने सरकार के इस संविधान-विरोधी और जन-विरोधी फैसले के खिलाफ पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है. इस अभियान के तहत पार्टी के कार्यकर्त्ता नागरिकों को रेलवे के निजीकरण के पक्ष में दिए जाने वाले समर्थकों के तर्कों की असलियत समझायेंगे.
अभियान की शुरुआत करते हुए आज 22 जून को सोशलिस्ट पार्टी दिल्ली प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक 'भारतीय रेल बचाओ' मार्च किया. पार्टी के वरिष्ठ नेता जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने मंडी हाउस से मार्च को रवाना किया. इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी सार्वजनिक क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्र सरकार के रेलवे स्टेशनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने के फैसले का विरोध करती है. उन्होंने पीड़ा जाहिर की कि लेफ्ट पार्टियों समेत संसद की किसी भी विपक्षी पार्टी ने सरकार के इस गलत फैसले के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है. न ही रेलवे के मजदूर संगठनों ने इस फैसले के विरोध में अभी तक कदम उठाया है. उन्होंने आशा जताई कि सोशलिस्ट पार्टी की इस पहल के बाद विपक्षी पार्टियाँ और रेलवे यूनियनें आगे आकर इस संविधान विरोधी फैसले का विरोध करेंगी और इसे निरस्त करवाएंगी.
सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रेम सिंह ने इस मौके पर बताया कि पार्टी की सभी राज्य इकाइयाँ अपने-अपने राज्यों में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी. पार्टी जल्दी ही रेलवे के निजीकरण के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन करेगी. उन्होंने पूछा कि अगर शिक्षा, सेना और रेलवे समेत सभी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को निजी हाथों में सौंपना है तो चुनी हुई सरकार का क्या काम रह जाता है? क्या सरकार का काम राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को निजी परिसंपत्ति में बदलना रह गया है? क्या सरकार कारपोरेट घरानों/बहुराष्ट्रीय कंपनियों की एजेंट बन कर रह गई है? उन्होंने सरकार को चेताया कि भारतीय रेल राष्ट्रीय थाती है. सोशलिस्ट पार्टी देश के नागरिकों को बताएगी कि सरकार का रेलवे स्टेशनों को बेचने का फैसला देश के साथ विश्वासघात है.
जंतर मंतर पर पर जनसभा का आयोजन हुआ जिसका सञ्चालन वरिष्ठ समाजवादी नेता श्याम गंभीर ने किया. जनसभा को पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविकिरण जैन और उपाध्यक्ष एनडी पंचोली, वरिष्ठ समाजवादी नेता विजय प्रताप, कामरेड बलदेव सिहाग, कामरेड नरेन्द्र सिंह, रविन्द्र मिश्रा, सोशलिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु गंभीर, महासचिव मंजु मोहन, सचिव फैजल खान, सोशलिस्ट पार्टी दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सैयद तहसीन अहमद, उपाध्यक्ष महेंद्र यादव और तृप्ति नेगी, महासचिव योगेश पासवान, सचिव देवेन्द्र भारती, सोशलिस्ट युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुमार, महासचिव बंदना पांडे, रंगकर्मी हिरण्य हिमकर, पत्रकार राजेश कुमार मिश्रा समेत कई लोगों ने संबोधित किया.
वक्ताओं ने रेलवे को निजी हाथों में सौंपने के फैसले को सरकार की पूंजीवाद समर्थक नीतियों का नतीजा बताया. उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी का आह्वान किया कि वह इस जन विरोधी फैसले को रोकने के लिए व्यापक आन्दोलन चलाये.
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