Monday, 10 July 2017

गुफ्तगू बंद न हो बात से बात चले, कहती है पुस्तक मन की बात.

मीना प्रजापति 
प्रधानमंत्री के 'मन की बात' पुस्तक पर परिचर्चा इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में की गयी। कार्यक्रम में डॉ. सच्चिदाननद जोशी ने कहा कि आज के टेलीविजन, कम्प्यूटर के ज़माने में रेडियो को भुला ही दिया गया था लेकिन अब इसे फिर याद किया जा रहा है। आज के समय में रेडियो हमारे लिए सुलभ इसलिए है क्योंकि अब यह मोबाइल में भी उपलब्ध है। इसे दूरस्थ क्षेत्रो में भी सुना जा सकता है। प्रधानमंत्री की रेडियो में की गयी मन की बात को पुस्तक में उतारने एवं शीर्षक देने में काफी विचार विमर्श किया गया । जब प्रधानमंत्री से पूछा गया था कि आपके इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्या होगा तब प्रधानमंत्री ने कहा मन की बात करेंगे। इसके  सभी कार्यक्रम समाजिक थे। इसमें कोई राजनीति के विषय नहीं रखे गये।

कार्यक्रम में ब्लूक्राफ्ट सी ई ओ   अखिलेश मिश्र ने कहा कि मन की बात एक ऐसा कार्यक्रम है जो  एक साथ कई लोगों को सूचना पहुंचाता है। अगर कोई एक व्यक्ति किसी अच्छी सोच के साथ काम शुरू करता है तो उसके लिए प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने ये प्लेटफार्म शुरू किया। ये एक ऐसा प्लेटफार्म है जो हर अच्छे काम को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाता है। मन की बात में स्वच्छता, स्वास्थ और वॉलिंटियर्स सहभागिता के विषयों को ज़्यादा प्रोमोट किया है। किसी मुद्दे को लोगों तक पहुंचाने के लिए माध्यम मायने नहीं रखता बल्कि विषय रखता है।
पुस्तक के लेखक हरीश जी  कहते हैं कि मन की बात का आधार प्रेरणा देना है। इसका उद्देश्य संस्कार पैदा करना है। दिन प्रतिदिन करने वाली क्रियाओं में  अच्छा-बुरा को ध्यान में रख के  काम करना ही संस्कार है।
परिचर्चा में उपस्थित प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी जी ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने चिट्ठी लिखने की कला को फिर से जगाया है। वे आगे कहती हैं संयुक्त परिवार में ताऊ जी ने हमें बहुत कुछ सिखाया। लेकिन आज घरों में ना बड़े हैं और न ही संस्कार बचे हैं। इन सब के बीच प्रधानमंत्री जी ने इसके बारे में सोचा और रेडियो पर उसे लेकर आये। उन्होंने कहा कुछ नया सीखिए, कहीं नया घूमिए, जिज्ञासा का शमन करिये। ये तीनों सूत्र प्रधानमंत्री जी ने दिए हैं। डिप्टी एडीटर, सीनियर एंकर, रेडियो में प्रेजेंटर के रूप में कार्य कर चुके   सईद अंसारी कहते हैं  संवाद हीनता को भरने के काम मोदी जी ने किया है। एफ एम ने आकाशवाणी पर कुठाराघात किया है। उन्होंने हवामहल कार्यक्रम का ज़िक्र किया।
 कार्यक्रम में उपस्थित तीर्थदास डोगरा कहते हैं कि ड्रग एडिक्शन से दुनिया बहुत परेशान रहीं और इसके लिए हमेशा उपाय चलते रहे। गोल्डन , साउथ अमेरिका, गोल्डन क्रिसेंट ये तीनों बड़ी जगहे हैं जहां आज भी ड्रग्स भारी मात्रा में है। ड्रग आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इससे जो पैसा पनपता है वो वो आतंकवाद को बढ़ाता है।
एम्फिटेमिन, रॉक्स ,कोकीन, एल्कोहल, भांग आदि ये नशे के ड्रग हैं। इनसे हमें स्वयं सेवी बनकर लड़ना है। हर रोज 7 से 10 लोग ड्रग की वजह से मर जाते हैं। इसके लिए हम सब को साथ आकर लड़ना होगा।
सुमित अवस्थी कहते हैं जो हमारी यादें खो गई थी उन्हें मोदी जी ने उठाया। जनता के साथ जुड़ने की प्रधानमंत्री ने कोशिश की है। सैनिकों के लिये संदेश भेजे। प्रधानमंत्री जी को राजनीति की बात करने से कोई नहीं रोक पाता है। लेकिन उन्होंने मन की बात में कोई राजनीति नहीं की है।
क्लासिकल डांसर सोनल कहती हैं कि प्रधानमंत्री ने भारत का स्वाभिमान बड़ा दिया है। रेडियो का माध्यम सशक्त है। मोदी जी की आवाज़ में खनक है। मोदी जी की पहचान पिता, चाचा जैसी बन गई है। उनमें अपनत्व है।
दूसरे सत्र में संदीप मारवाह कहते हैं कि यह शख्स कितना तेजस्वी है और कितनी जल्दी बातों को समझ जाते हैं। आपके पास देश को संवारने के कोई भी आइडिया है तो उसे तुरंत दें। हमने ही स्वच्छ भारत और योग डे का दिन 21 जून हो का विचार पी एम ओ में भेजा और उसे मान लिया गया। बहुत दिनों बाद एक ऐसा प्रधानमंत्री आया है जहां लोग आसानी से पहुंच सकते हैं। रेडियो अब तक केवल स्वतन्त्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर ही प्रधानमंत्री बोलते थे लेकिन आज हर बार बोलते हैं। मन की बात एक ट्रेनिंग का हिस्सा बन गया है। कार्यक्रम में एम्स के डॉ प्रसून चटर्जी जी ने स्वास्थ्य पर बात की। कार्यक्रम का समापन राम बहादुरराय जी ने अपने आशीर्वचनो से किया।

No comments:

Post a Comment