शुभम् राजवंशी
दिल्ली, 23 सितम्बर। दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म में 'संसद समिति और मीडिया' विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी। अतिथि वक्ता के रूप में जॉइंट डायरेक्टर ऑफ लोक सभा डॉ. एस. प्रभाकर ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत एक विशाल लोकतंत्र के सबसे ऊँचे शिखर पर विराजमान है। इस शिखर पर पहुँचने की गाथा भारतीय इतिहास में अपने आप मेंं एक इतिहास है। हम लोग इस इतिहास को संविधान के निर्माण के नाम से जानते है। सन् 1857 का समय भारतीय आजादी के लिए पहला और सबसे बड़ा संघर्ष था।लेकिन हमारे बीच कारतूस की कहानी ऐसी हावी हुई, जैसे 1857 के पहले भारतीयों पर अंग्रेज हावी हुए थे।भारतीय संसद की जानकारी साझा करते हुए उन्होनें उपस्थित लोगों को बताया कि भारत में संसद वैदिक समय से है। आगे उन्होने यह भी बताया की भारतीयों ने संसदीय व्यवस्था को क्यों चुना। लोक सभा और राज सभा की विस्तृत जानकारी रखते हुए कहा की एशिया मेंं भारतीय लोकतंत्र के महत्त्व को समझाया। लोकतंत्र के चार स्तंभों की उन्होंने विस्तृत चर्चा करते हुए प्रत्येक की भागीदारी को विस्तृत रूप में बताया।
संसद समिति को परिभाषित करते हुए सरकार में उसके योगदान को बताया। उसकी बनावट और सरकार के साथ ताल मेल को सरल भाषा में साझा किया। मीडिया पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, और समय-समय पर अपना काम भी करती रही है। संसद समिति और मीडिया से संबंधित सदन में उपस्थित हरेक प्रतिभागियों के सवाल का जवाब सतोष जनक रुप में प्रस्तुत किया और इतिहास से भी जोड़कर बताया। उन्होंने संसद, समिति और मीडिया के तमाम बिन्दुओं पर गहराई से अपनी बात राखी।छात्रों के लिए यह कार्यशाला बहुत ही उपयोगी एवं उदेश्यपूर्ण रही। प्रतिभागियों ने अपने प्रतिक्रिया में अतिथि के व्यवहार और सरलता की सराहना की। कार्यशाला की शुरुआत पत्रकारिता प्रथम वर्ष के छात्र मुकुल शर्मा द्वारा अतिथि के स्वागत के पश्चात हुआ। समापन अतिथि को भेट के रूप में प्रतीक चीनन्ह डॉ शिप्रा द्वारा देकर किया गया।
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