जानवी खेतान
आज पूरी दुनिया कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रही है। इस महामारी से निपटने के लिए आपसी सहयोग एवं समन्वय बनाए रखने की जरूरत है, वहीं दो बड़े राष्ट्र भारत व चीन सीमा विवाद के कारण आपस में उलझे हुए हैं। हजारों वर्षों तक तिब्बत ने एक ऐसे क्षेत्र के रूप में काम किया जिसने भारत और चीन को भौगोलिक रूप से अलग और शांत रखा। परंतु जब वर्ष 1950 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर वहां कब्जा कर लिया तब भारत और चीन आपस में सीमा साझा करने लगे और पड़ोसी देश बन गए। 20 वी सदी के मध्य तक भारत और चीन के बीच संबंध न्यूनतम थे। वर्ष 1954 में नेहरू और झोउ एनलाई ने "हिंदी चीनी भाई-भाई" के नारे के साथ पंचशील सिद्धांत पर हस्ताक्षर किए। मगर वर्ष 1959 में तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक और लौकिक प्रमुख दलाई लामा के हिमाचल में बसने की वजह से चीन ने भारत पर तिब्बत और पूरे हिमालयी क्षेत्र में विस्तारवाद और साम्राज्यवाद के प्रसार का आरोप लगा दिया। इसके बाद कई बार वर्ष 1962 व 1976 मैं द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर झटका लगा । फिर समय के साथ साथ द्विपक्षीय संबंधों में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला। वर्ष 2020 में भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ है तथा भारत-चीन सांस्कृतिक तथा पीपल-टू-पीपल संपर्क का वर्ष भी है। मगर विधि की विडंबना यह है कि इस समय दोनों देशों के बीच सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
हालिया विवाद का केंद्र अक्साई चीन में स्थित गलवान घाटी है जिसको लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने आ गई हैं। इस घटना से पूर्व उत्तरी सिक्किम के नाथू ला सेक्टर में भी भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प हुई थी। दोनों देशों के बीच संबंधों को व्यापक दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता है। यह विदित है कि भारत और चीन दोनों ने एक साथ साम्राज्यवादी शासन से मुक्ति पाई। भारत ने जहां सच्चे अर्थों में लोकतंत्र को अपनाया वही चीन ने छंद लोकतंत्र को अपना जीवन मूल्य माना। यूं तो भारत व चीन के बीच राजनैतिक, राजनयिक, आर्थिक, विज्ञान, रक्षा ऐसे कई संबंध है, जिन पर दोनों देशों के प्रमुखों ने समय-समय पर चर्चा कर, उन्हें मजबूत बनाया है। मगर अभी भी भारत चीन के बीच सीमा को लेकर, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता को लेकर, बेल्ट एंड रोड पहल संबंधी विवाद, सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर चीन द्वारा पाकिस्तान का बचाव एवं समर्थन ऐसे कई मुद्दों को लेकर समय-समय पर मनमुटाव होते रहते हैं।
भारत चीन संबंधों की इस गाथा में अनेक स्याह मोड़ आए। हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे से लेकर वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध से होते हुए दोनों देशों के संबंध आज इस दौर में है कि भारत व चीन विभिन्न मंचों पर एक दूसरे की मुखालफत करते नजर आते हैं। विश्व में चीन तथा भारत ऐसे देश है जिनकी जनसंख्या एक अरब से अधिक है तथा ये दोनों देश राष्ट्रीय कायाकल्प के ऐतिहासिक मिशन के साथ ही विकासशील देशों की सामूहिक उत्थान प्रक्रिया को गति देने में महत्त्वपूर्ण प्रेरक की भूमिका निभा सकते हैं।भारत और चीन के बीच की समस्याओं को अल्पावधि में हल किया जाना कठिन है, लेकिन मौजूदा रणनीतिक अंतर को न्यूनतम करने, मतभेदों को कम करने और यथास्थिति बनाए रखने जैसे उपायों से समय के साथ आपसी संबंधों को और बेहतर बनाया जा सकता है।
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