चिराग झा
दिल्ली 27 दिसंबर। गांधीजी की पाठशाला की शिक्षिका 'द वायर' की कंसल्टिंग एडिटर
रोहिणी सिंह का स्वागत करते हुए दिल्ली स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म की
छात्रा अंकिता ने बताया कि आज के वक्त में रोहिणी सिंह जी उन कुछ पत्रकारों में से
एक है जो अपने निडर और निर्भीक पत्रकारिता के लिए जानी जाती हैं। साथ ही
पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़े सपने लेकर आने वाली लड़कियों के लिए भी रोहिणी
सिंह जी प्रेरणा दायक हैं।
कार्यक्रम के विषय पर आते हुए रोहिणी सिंह जी ने खोजी पत्रकारिता की चुनौतियों
के बारे में बताया। उन्होंने विशेष तौर पर कहा कि सूत्रों के हवाले से मिले हर खबर
की जांच करना पत्रकार का दायित्व है और बिना जांच पड़ताल के किसी खबर को प्रकाशित
करना बिल्कुल ग़लत है। उन्होंने यह भी बताया कि एक बड़े पत्रकार के लिए अपने
सूत्रों के पहचान को गुप्त रखना ज़रूरी है और साथ ही एक से ज्यादा सूत्र होना भी
कितना आवश्यक है।
इसके बाद उन्होंने अपने लंबे अनुभव में जो घोटाले सामने लाकर खोजी पत्रकारिता
मै मिसाल कायम की है उस पर चर्चा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह साल 2011 में
इकोनोमिक टाइम्स के लिए काम करते उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा घोटाला सामने लाया और फिर
2017 में द वायर के लिए काम करते जय शाह घोटाला सामने लाया।
इसके बाद रोहिणी सिंह जी ने खोजी पत्रकारिता में सरकारी तंत्रों के दबाव का भी
जिक्र किया और बताया कि किस तरह जब उन्होंने जय शाह घोटाले की खबर प्रकाशित की तो
उसके बाद उन्हें कितना सरकार का दबाव झेलना पड़ा। उन्होने यह भी बताया कि जब 2011 में
उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा घोटाले की खबर छापी थी तब उस वक्त की यूपीए सरकार से उतना दबाव
नहीं पड़ा था जितना अभी एनडीए की सरकार द्वारा बनाया जा रहा है।
अंत में रोहिणी सिंह जी ने वर्तमान सरकार पर तंज कसा और कहा कि सरकारी तंत्रों के दबाव के वजह से ही भारत की पत्रकारिता में 2014 के बाद बहुत बदलाव देखने को मिला है जिसका प्रमाण है कि टीवी चैनलों पर बैठे पत्रकार केवल सरकार की चाटुकारिता करते हैं और उन चैनल के एडिटर महज एक “इवेंट मैनेजर” बन कर रह गए है। उन्होंने बताया कि भावी पत्रकारों के लिए आने वाले वक्त में खोजी पत्रकारिता करने के लिए बहुत चुनौतियां आएंगी जिनका सामना पूरे दम के साथ करना होगा कार्यक्रम की समाप्ति दिल्ली स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म के छात्र सुधांशु ने धन्यवाद ज्ञापन कर किया।
No comments:
Post a Comment