Monday, 2 May 2022

आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान-2022


गांधी शांति प्रतिष्ठान में आज आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान-2022 के अवसर पर "तंत्र बने सेवक, जनता हो स्वामी" विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में रघुपति राघव राजा राम तथा जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे तोबे एकला चलो रे, तथा वैष्णव जन तो तेने कहिय जे आदि गीतों से की गई, दर्शाकों ने मंत्रमुग्ध होकर गीतों का आनंद उठाया। कार्यक्रम का संचालन अभय प्रताप मिश्र ने किया। साथ ही कार्यक्रम की  अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री राम बहादुर राय ने की। सर्वप्रथम पद्मश्री श्री राम बहादुर राय ने स्मृतिचिन्ह व शाल ओढा कर वरिष्ठ पत्रकार तथा मुख्य वक्ता पद्मश्री श्री विजय दत्त श्रीधर का स्वागत किया।

पत्रकार श्री संत समीर ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विजय दत्त श्रीधर ने अपने वक्तव्य के दौरान यह कहा कि कृपलानी जी एकला चलो वाले सिद्धांत के व्यक्ति थे, उन्होंने गांधी जी के एक उद्धरण का जिक्र करते हुए कहा की सबसे पहले हम इस गरीब का चेहरा याद करें , जनता के पैसे से क्या हम सही कार्य कर रहे हैं उसके साथ न्याय कर रहे हैं, जो प्रशासनिक व्यवस्था में हमारे यहां जो परिवर्तन होना चाहिए था वह नहीं हो पाया। व्यक्ति को क्या चाहिए रोटी कपड़ा और मकान, गांधी लाठी और लंगोटी में ही हमेशा रहे इसलिए उनकी पूजा होती है, जो सवाल नहीं उठाते वह गुलाम हैं। जनता को आंदोलन, सही मुद्दों को लेकर करना चाहिए, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया गांधी के बाद एक बड़े चिंतक थे।

भारतीय राजनीति में आज मानव सुपर ह्यूमन बनना चाहते हैं, यह एक अजीब तरह की बात है नेताओं की, संसद के नेताओं का क्या वेतन होना चाहिए, राजनीति आज एक पेशा हो गया है, इस पर कोई चर्चा नहीं होती यह एक बड़ी विडंबना है। किसी भी राष्ट्र के लिए निकम्मे राजनीतिज्ञों की फौज बहुत घातक सिद्ध होती है, विजय दत्त श्रीधर ने कुछ इस तरह के विषयों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में मीडिया का जिक्र करते हुए  कहा कि एक और सरदार पटेल हमारे बीच पैदा हो जाते तो देश का कल्याण होता। कार्यक्रम का समापन 

डॉ. अशोक ने अपने अध्यक्षीय भाषण के साथ किया। विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने इस बात कि ओर भी इशारा किया कि कैसे आज तंत्र स्वामी बन गया और जनता सेवक हो गई है यह एक बड़ी विडंबना है।

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