नई दिल्ली, यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से इंडियन डिजिटल विश्वविद्यालय के निर्माण की योजना बनाई गई है। यह जल्द ही आपके समक्ष शिक्षक का कार्य यह नहीं कि वह यह सोचे कि कैसे अच्छा पढ़ाए बल्कि यह सोचे कि विद्यार्थी कैसे अच्छा सीख पाएं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। वेदों का उल्लेख करते हुए उन्होंने एक चौथाई शिक्षा को ज्ञान के पारस्परिक आदान प्रदान, एक चौथाई शिक्षा को अनुभवों और एक चौथाई शिक्षा को परिश्रम द्वारा प्राप्त करने की आवश्यकता है। प्रेम, करुणा, समभाव, सहभागिता आदि मानवीय गुणों को वैश्विक स्तर पर पहुँचने में भारत की महती भूमिका है। उन्होंने कहा कि एनईपी, 2020 को क्रियान्वित करने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारी करने की आवश्यकता है। इसके लिए सर्वप्रथम 15 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, जो पुरानी परंपरा से शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं।
सत्र में उपस्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित ने अपने उद्बोधन में भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के महत्व पर विचार रखे। भारत में उमापति, सीतापति, रमापति कहकर देवताओं को सम्बोधित करने की परंपरा रही है। उन्होंने कहा भारत कि शिक्षा का डिकोलोनाईजेशन करने की आवश्यकता है। भारत लोकतंत्र का जनक है। विश्व के समक्ष भारत एक प्रतिमान है। इस सत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों के
कुलपतियों एवं शिक्षकों ने शिक्षा संबंधी अपनी समस्याओं को रखा और मंचासीन विद्वान वक्ताओं ने उनका समाधान भी बताया। सत्र के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री माननीय श्री मोहन यादव जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत विभिन्नताओं का देश है, हमें विभिन्नताओं के मध्य से रास्ता निकालते हुए एनईपी को क्रियान्वित करना है। यह चुनौतीपूर्ण कार्य है और शिक्षाविद ही इन चुनौतियों का हल निकालने में सक्षम हैं। इग्नू के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव जी ने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए ऑनलाइन एफडीपी करने के लिये कहा। सभी पाठ्यक्रम निःशुल्क ऑनलाइन इग्नू के स्वयं पोर्टल द्वारा चलाये जा रहे हैं, जिसे विद्यार्थी, शिक्षक सभी कर सकते हैं। प्रो. नागेश्वर राव जी ने डिजिटल लर्निंग को अति उपयोगी एवं एनईपी के लिए सहायक बताया। हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने परिसंवाद में गांव की ओर ध्यान देने पर बल दिया, प्रत्येक विश्वविद्यालय पांच गांवों को अपनाएँ और उनका विकास करें।
कुलपतियों एवं शिक्षकों ने शिक्षा संबंधी अपनी समस्याओं को रखा और मंचासीन विद्वान वक्ताओं ने उनका समाधान भी बताया। सत्र के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री माननीय श्री मोहन यादव जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत विभिन्नताओं का देश है, हमें विभिन्नताओं के मध्य से रास्ता निकालते हुए एनईपी को क्रियान्वित करना है। यह चुनौतीपूर्ण कार्य है और शिक्षाविद ही इन चुनौतियों का हल निकालने में सक्षम हैं। इग्नू के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव जी ने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए ऑनलाइन एफडीपी करने के लिये कहा। सभी पाठ्यक्रम निःशुल्क ऑनलाइन इग्नू के स्वयं पोर्टल द्वारा चलाये जा रहे हैं, जिसे विद्यार्थी, शिक्षक सभी कर सकते हैं। प्रो. नागेश्वर राव जी ने डिजिटल लर्निंग को अति उपयोगी एवं एनईपी के लिए सहायक बताया। हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने परिसंवाद में गांव की ओर ध्यान देने पर बल दिया, प्रत्येक विश्वविद्यालय पांच गांवों को अपनाएँ और उनका विकास करें।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को आत्मनिर्भर भारत का आधार बताया। उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमारे छात्रों और युवकों तथा गांवों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। उनके अनुसार गांधी जी की नई तालीम स्वरूप नई शिक्षा नीति है। छात्रों के लिए व्यवसायिक शिक्षा, कौशल विकास, स्किल - डेवलपमेंट, स्वास्थ्य शिक्षा आदि का समावेश किया जाए।
तकनीकी शिक्षा के निदेशकों व प्राध्यापकों को सम्बोधित करते हुए माननीय मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने ज्ञानोत्सव की बधाई देते हुए कहा कि मॉडर्न इंडिया की हिस्ट्री में पहली बार एक इतना डीप रूटेड एंड रि-इमेजिनेशन भारत को देखने मिला हैं और इसका कारण एजुकेशन हैंI एनईपी 2020 सबसे गहरा रिफार्म हैं फॉर एजुकेशन इन भारत। शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जिससे कोई भी देश शक्तिशाली हो जाता है। नई शिक्षा नीति 2020 स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा रेफ़ोर्म है। इसमें पहली बार विद्यार्थियों के लिए समानांतर कोर्स की व्यवस्था की गई है। 18 नवंबर को तकनीकी शिक्षा व उच्च शिक्षा के छात्रों का भी समानांतर सत्र आयोजित किया गया था जिसमें एआईसीटीई के डॉ राजीव कुमार, डॉ अनुपम शुक्ल, प्रो नवीन सेठ, डॉ अखिलेश गुप्ता, डॉ उन्नत पंडित, डॉ एम.पी. पुनिया, डॉ दीपक श्रीवास्तव उपस्थित थे।
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