नई दिल्ली 28 नवंबर, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने के लिए जनजाति ज्ञान को भारतीय परंपरा से जोड़ने और जनजाति समाज से संबंधित ज्ञान को बढ़ावा देने और विकसित करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बोल रही थे। इस मौके पर आयोग के अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में जनजाति क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने आगे कहा कि भारत के दस करोड़ से अधिक जनजातीय सदस्यों तक विकास के लाभों को पहुंचाने की हमारे सामने चुनौती है। लेकिन ऐसा करते हुए इस जनजातियों की सांस्कृतिक अस्मिता और पहचान को बनाए रखने की भी जरूरत है।
इस देश की प्रगति तभी संभव है जब हमारे देश के युवा इसके गौरवशाली इतिहास को समझें। ऐसे में जनजाति वीरों के योगदान पर आधारित पुस्तक का प्रकाशन गौरव का विषय है। राष्ट्रपति ने यह भी उम्मीद जताई कि इस पुस्तक के माध्यम से जनजाति समुदाय द्वारा आजादी के लिए किए गए बलिदानों की कहानी दुनिया के सामने लाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) जनजातियों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। इस संस्था की ओर से पिछले तीन माह से देश
भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 'जनजाति नायकों का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान ' पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। ये कार्यक्रम देश भर के 104 विश्वविद्यालयों में सफलतापूर्वक संपन्न हुए। इन कार्यक्रमों में 50 हजार जनजाति छात्र, करीब 1500 जनजाति प्राध्यापक शामिल हुए।
इन कार्यक्रमों के अलावा, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले जनजाति क्रांतिकारियों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी। इन सभी गतिविधियों के लिए सहयोगी संस्था के रूप में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम कार्य कर रहा था। इन सभी कार्यक्रमों का आज राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदीताई मुर्मू की उपस्थिति में
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में समापन हुआ। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रोफेसरों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहभाग लिया।
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