विश्वरत्न
एक मुनीश रायज़ादा हैं। अमेरिका के शिकागो में रहते हैं। Neonatologist यानी नवजात बच्चों के डॉक्टर हैं। लेकिन उनका एक और परिचय है। डॉक्टर रायजादा उन लोगों में से हैं जिन्होंने अन्ना आंदोलन के दौरान देश में बदलाव की उम्मीद देखकर अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। अमेरिका में प्रैक्टिस के दौरान वो अपने पास आने वाले मरीजों को अन्ना आंदोलन के बारे में बताते और उन्हें चंदा देने के लिए प्रेरित करते। 2011 से 2013 तक डॉक्टर रायजादा ने अकेले दम पर इतने पैसे जुटाए, जितने शायद ही किसी और ने दिलवाए हों। उन्होंने आम आदमी पार्टी की एनआरआई विंग की स्थापना की। देश से प्रेम करने वाले किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह डॉक्टर रायजादा को भी उम्मीद थी कि उनकी ये छोटी सी कोशिश एक दिन देश में बड़े बदलाव में मददगार होगी। लेकिन वो तब बहुत हैरान हुए जब केजरीवाल ने सत्ता के लिए उसी कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर लिया, जिससे लड़ाई के लिए आंदोलन शुरू हुआ था। बिहार चुनाव के बाद केजरीवाल ने जब लालू यादव के साथ मंच साझा किया तो रहा नहीं गया। डॉक्टर रायजादा ने अपने निजी ब्लॉग पर एक लेख लिखकर लालू यादव की आलोचना कर दी। केजरीवाल ने लालू की आलोचना को अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
कोई भी समझ सकता है कि जिस आदमी ने पिछले 3-4 साल से अपना सबकुछ एक आंदोलन को समर्पित कर रखा था उस पर क्या बीती होगी। डॉक्टर रायज़ादा भारत आए और उन्होंने अपने कुछ साथियों को लेकर चंदा बंद आंदोलन शुरू किया। जिस आदमी ने अमेरिका में रहते हुए अन्ना आंदोलन और फिर आम आदमी पार्टी को करोड़ों रुपये दिलवाए, वही दिल्ली में घूम घूमकर लोगों से अपील कर रहा था कि आम आदमी पार्टी को चंदा न दें। मुनीश रायज़ादा ने गीता ज्ञापन अभियान शुरू किया, जिसमें वो ख़ुद दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों को श्रीमद्भागवत गीता देते और अपील करते कि वो सच की लड़ाई लड़ें और केजरीवाल से चंदे का हिसाब देने को कहें। मज़ेदार बात यह थी कि मीडिया ने डॉक्टर मुनीश रायज़ादा के अभियान की कोई ख़बर नहीं दिखाई। एक बार एक अख़बार ने छोटी सी ख़बर छापी थी, तो उसके एडिटर के पास भी केजरीवाल का फ़ोन पहुँच गया था।
पिछले 5 साल में डॉक्टर रायज़ादा जब भी समय मिला देश में आकर लोगों को समझाते रहे कि अरविंद केजरीवाल किसी का सगा नहीं हो सकता। पता नहीं लोगों पर कितना असर पड़ा, लेकिन डॉक्टर रायज़ादा ने कभी हिम्मत नहीं हारी। वो सोशल मीडिया वग़ैरह के ज़रिए अपना काम करते रहे। पेशे से डॉक्टर होने के बावजूद वो किसी पत्रकार से ज़्यादा और बेहतर लिखते हैं। एक साल पहले उन्होंने बताया कि मैं केजरीवाल के धोखे पर एक फ़िल्म बनाना चाहता हूँ। वो मुझसे भी कुछ मदद चाहते थे, लेकिन मैं उनके लिए कुछ कर नहीं पाया था। दो दिन पहले उन्होंने एक वीडियो का लिंक शेयर किया जिसमें एक गाना था। बताया कि वो वेब सीरीज़ बना रहे हैं, जिसका गाना रिलीज़ किया है। कैलाश खेर के गाये इस गाने के बोल हैं "झूठ बोलके छली गई तू... बोल रे दिल्ली बोल"। इसे गाना कहना ठीक नहीं है, ये मुनीश रायज़ादा के अंदर का दर्द है... उन सारे लोगों का दर्द है, जिन्होंने अन्ना आंदोलन से कोई भी उम्मीद लगाई थी... इन्हीं उम्मीदों के मलबे पर केजरीवाल पिछले पाँच साल से सत्ता की मलाई खा और खिला रहे हैं। लेकिन ऐसे रावण का अंत ज़रूरी है। नीचे उनके गाने का वीडियो शेयर किया है। हो सके तो इसे शेयर करें ताकि लोग जान सकें और मुफ़्तख़ोरी में डूबे दिल्लीवालों को धिक्कार सकें। शायद कुछ असर पड़े।youtu.be/9EKZuY93I4k?si (यह लेखक के निजी विचार हैं)
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