Monday, 15 April 2024

युवाओं को अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होने की जरूरत : डॉ चतुर्वेदी

करूणा नयन चतुर्वेदी 

नई दिल्ली, 15 अप्रैल।  दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग एवं संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान ( केंद्र सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में 'युवाओं को संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के प्रति सशक्त बनाने' विषय पर  कार्यशाला का आयोजन किया गया। 


आईपीसीएस की निदेशक डॉ सीमा कौल सिंह ने संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान के कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के सभी आयामों पर छात्र छात्राओं को जागरूक किया। 


मुख्य वक्ता के रूप में लोकसभा की संयुक्त निदेशक डॉ बबिता परसाईं ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही संवैधानिक मूल्यों का समावेश रहा है। प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी सभा और समिति का उल्लेख मिलता है। ऐसे में हमें अपने पुराने ग्रंथों से सीख लेते हुए संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। 


पूर्व राज्यसभा संयुक्त सचिव डॉ प्रदीप चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मौलिक अधिकारों के बिना मौलिक कर्तव्यों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ये दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू के समान हैं। उन्होंने कहा कि जितना हम अपने अधिकारों पर बल देते हैं। उतना ही हमें कर्त्तव्यों का भी निर्वाहन करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने अतिथि वक्ताओं से सवाल-जवाब किया।


कार्यक्रम के संयोजक प्रो राजेश उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो अरविंद कुमार ने आभार ज्ञापन किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई। इस मौके पर प्रो बिजेंदर, प्रो राकेश यादव, डॉ सुचित, प्रो चित्रा तथा डॉ नरेंद्र ठाकुरआदि शिक्षकों के साथ सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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