Tuesday, 16 April 2024

बाबा साहेबभीमराव अम्बेडकर केवल दलितों के नेता नहीं, बल्कि वैश्विक नेता हैं : डॉ फलवारिया

करूणा नयन चतुर्वेदी 

 नई दिल्ली, 16 अप्रैल। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज में बाबा साहेब आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में 18 वां अम्बेडकर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। व्याख्यान का विषय राष्ट्र निर्माण में बाबा साहेब आंबेडकर का योगदान था। 

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन किया गया। मुख्य अतिथि व वक्ताओं का स्वागत प्रो अरविंद कुमार यादव ने मोमेंटो व अंगवस्त्र देकर किया। 

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आर एन दुबे ने इस मौके पर कहा कि महिलाओं को मातृत्व अवकाश देने की संकल्पना भी डॉ भीमराव अंबेडकर कि ही देन है। उनके के एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) पर उनके दूरगामी सोच को दिखाती है। मुख्य वक्ता जगदीश यादव ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अम्बेडकर जी देशभक्ति की मिसाल हैं। उनके अनुसार देशभक्ति सर्वोपरि है। उनके के ही योगदान से हमें देश की सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ है। 

विशिष्ट अतिथि डॉ राजकुमार फलवारिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि बाबा साहेब का जीवन अपने आप में विराट दर्शन का विषय है। अम्बेडकर  की वज़ह से ही मजदूरों को 14 घंटे के बदले 8 घंटे मजदूरी का प्रावधान ब्रिटिश सरकार ने लागू किया था। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का ही विचार था कि जिस देश का अपना बैंक न हो उसका आर्थिक विकास नहीं हो सकता। 

विशिष्ट वक्ता प्रो पंकज त्यागी ने बाबा साहेब के पंच-प्रण को उल्लेखित करते हुआ कहा कि शिक्षित बनो, सही कार्य करो, सभी का आदर करो, हमेशा कानून का पालन करो और अपने कार्यक्षेत्र में तब तक लगे रहो जब तक तुम्हें सफलता प्राप्त नहीं हो जाए।

मंच संचालन का कार्य प्रो संगीता शर्मा ने किया। अतिथियों व श्रोताओं का आभार डॉ रविंद्र सिंह ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ। 

कार्यक्रम में प्रो बिजेंदर कुमार, प्रो विनीत कुमार, डॉ तारशंकर, प्रो राजवीर वत्स, प्रो चित्रा , प्रो जया वर्मा आदि शिक्षक और सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। 

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