Monday, 3 June 2024

दिल्ली में हुआ "सम्यक जीवन" पुस्तक का लोकार्पण

महेंद्र कुमार 


नई दिल्ली, 2 जून, सामाजिक कार्यकर्ता व वरिष्ठ पर्यावरणविद संजय स्वामी की पुस्तक "सम्यक जीवन" का दिल्ली विश्वविद्यालय के माता सुंदरी महाविद्यालय में लोकार्पण किया गया। इस मौके पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने कहा कि आज के दौर में हम सभी भाग दौड़ की जिंदगी जी रहे हैं ऐसे में यह पुस्तक हमारे जीवन को एक आदर्श दिशा देने में लाभदायक साबित हो सकती है। उन्होंने आगे बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से संजय स्वामी जी ने यह बता दिया है कि वह अपने परिवार के अलावा अन्य लोगों के जीवन का भी हिस्सा बन चुके हैं। अतुल भाई कोठारी ने आगे कहा की अपने परिवार की चिंता हम सभी करते हैं पर संजय स्वामी जी अपने मित्रों, शुभचिंतकों व अपने जानने वाले तमाम लोगों के परिवारों को जानने, समझने और उनसे जुड़ने का प्रयास करते हैं। इस पुस्तक में बहुत ही महत्वपूर्ण बातों को भी सरल शब्दों में बताया गया है।  यह पुस्तक हमें एक आदर्श जीवन जीने की कला सीखा सकती हैं। एक आदर्श जीवन जीने के लिए हमें अपने जीवन में छोटे-छोटे कार्य करने की आवश्यकता होती है। छोटे-छोटे प्रयासों से हम अपना और दूसरों का जीवन सकारात्मक बना सकते हैं। इस पुस्तक का मुख्य केंद्र पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है। इसके अलावा अतुल भाई कोठारी ने आगे कहा कि हम भारतीय अपने रास्ते से भटक गए हैं। हम अपने जीवन से भारतीय पद्धति को दूर करते जा रहे हैं। जितना हम अपनी भारतीय पद्धति से दूर होते जाएंगे उतना ही हमारे जीवन में संकट बढ़ता जाएगा। संजय स्वामी जी ने अपने जीवन में और सामाजिक कार्यों में संतुलन बनाए रखा है।  हमें इनकी इस पद्धति को अपने जीवन में भी अपनाने की जरूरत है। आज लोगों के पास पैसे, संसाधन बहुत हो गए हैं पर हमारे परिवारों में संस्कारों की कमी हो गई है। हमारे भारत का मूल आधार परिवार है अगर हमारे परिवार ही खत्म हो जाएंगे तो हमारी संस्कृति और आदर्श भी खत्म हो जाएंगे। एक समय तक हमें सामाजिक कार्य अच्छा नहीं लगता पर जीवन के एक पड़ाव पर आने पर हमें सामाजिक कार्य से जुड़ना ही पड़ता है। इसके अलावा अतुल भाई कोठारी ने कहा कि आज के समय में दुनिया के सामने सबसे बड़ा संकट पर्यावरण संरक्षण का है। इस दिशा में प्रत्येक व्यक्ति को छोटे बड़े प्रयास करने की आवश्यकता है तभी हम इस संकट से अपने आप को बचा पाएंगे। 



इसके अलावा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार भाटिया ने कहा कि संजय स्वामी जी एक आदर्श कार्यकर्ता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा आदर्श कार्यकर्ताओं को समाज के लिए तैयार करता है ऐसे कार्यकर्ताओं में संजय स्वामी जी का नाम  प्रमुखता से लिया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि संजय स्वामी जी ने अपना पूरा जीवन सामाजिक सेवा के लिए अर्पित किया है उनका यह राष्ट्रीय यज्ञ लगातार आगे बढ़ता रहे। 


इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव ने इस मौके पर कहा कि सम्यक जीवन पुस्तक में छोटी-छोटी बातों को बहुत प्रमुखता से स्थान दिया गया है। यह एक पुस्तक नहीं अपितु एक आदर्श जीवन जीने का माध्यम है। इस पुस्तक को अपने जीवन में अपना कर हम पर्यावरण को अपने साथ जोड़ पाएंगे। संजय स्वामी जी का जीवन पर्यावरण संरक्षण को समर्पित हैं इन्हें देखकर तमाम लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत व प्रेरित महसूस करते हैं। 


इस मौके पर माता सुंदरी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर हरप्रीत कौर ने कहा कि संजय स्वामी जी लंबे समय से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास से जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करवाने के संदर्भ में न्यास ने अपने महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। संजय स्वामी जी जैसे तमाम लोग जो प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर हमारे कॉलेज ने भी प्रकृति के संरक्षण को लेकर अनेक प्रयास किए है। आज का दौर चुनौती पूर्ण दौर है अगर हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग नहीं होंगे तो आने वाला भविष्य खतरे में होगा। हमें अपना भारतीय दर्शन अपना कर अपने जीवन को सौभाग्य से परिपूर्ण करना है। 


इस मौके पर "सम्यक जीवन" पुस्तक के लेखक संजय स्वामी  ने कहा कि "मेरा जीवन एबीवीपी और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को समर्पित है। अतुल भाई कोठारी जी के कारण ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति कार्य करने प्रेरणा मिली।" इसके अलावा संजय स्वामी ने आगे कहा कि हमें समझना होगा कि हमारा जीवन कैसा हो। हमारा  जीवन ऐसा होने चाहिए कि हमें देखकर अन्य लोगों को प्रेरणा मिले। इसलिए हमें निरंतर अच्छे काम करते रहना चाहिए। हमें अपने कार्यों के फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। इस पुस्तक में अनेक विद्वानों ने अपने विचार साझा किए हैं जो हम सबके जीवन को बदलने में सहायक साबित हो सकते हैं। इस कार्यक्रम की प्रस्तावना कार्तिकेय स्वामी और धन्यवाद ज्ञापन ममता नागपाल द्वारा किया गया।

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