करूणा नयन चतुर्वेदी
नई दिल्ली, 11 सितंबर, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज के भूगोल अध्ययन विभाग द्वारा भूगोल विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात भूगोलवेत्ता प्रो. अनु कपूर उपस्थित रहीं। कॉलेज प्राचार्य प्रो सदा नंद प्रसाद भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद मुख्य अतिथि का स्वागत पादप देकर किया गया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की शुरूआत करते हुए भूगोल विभाग की समन्वयक डॉ तूलिका सनाढ्य ने कहा कि हमारे वेदों में पंचमहाभूत-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का वर्णन है जो कि भूगोल के अभिन्न अंग है। उन्होंने अपने वक्तव्य में एक उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चे के जन्म लेने के बाद से ही उसके ऊपर भौगोलिक कारकों का असर पड़ना शुरू हो जाता है। इसलिए भूगोल का क्षेत्र सीमित न होकर बहुत व्यापक है।
मुख्य अतिथि प्रो अनु ने अपने उद्बोधन में कहा कि उनका जीवन पढ़ने-पढ़ाने में ही बीता है। उन्होंने अपने दौर की परेशानियों से भी अवगत कराते हुए कहा कि कैसे उनके पास आज के दौर की तरह इंटरनेट, चैटजीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपलब्ध नहीं थे। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है। आपके हाथों में ही सारी दुनिया है । "Geography of Geographers" विषय पर बोलते हुए उन्होंने भूगोल में विविध सम्भावनाओं पर बल दियाI जैसे: आपदा प्रबंधन से लेकर नीति निर्माण में भी किस प्रकार भूगोलवेत्ता की ज़रूरत पड़ती है, कैसे हम कैसे उन्होंने बधिर जनों के लिए मैप बनाया! विद्यार्थीयों के कैरियर संबंधी प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में हम सभी आपदाओं के बीच में जी रहे हैं। इसलिए आप जीआईएस और रिमोट सेंसिंग में करियर बना सकते हैं। मैप्स ऑफ़ इंडिया जैसे ऑनलाइन स्रोत छात्रों को इंटर्नशिप प्रदान करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में जनसंख्या वृद्धि ज्यादा तेज़ी से हो रही है। इसलिए जनसांख्यिकी भूगोल का भी आने वाले दिनों में विस्तार होगा।
कार्यक्रम के अंत में प्रो कपूर ने भूगोल विभाग को दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा विमोचित अपनी क़िताब "ऑरा: यूनिवर्सिटी ऑफ़ दिल्ली @100" भेंट कियाI कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. ताराशंकर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ मोनिका अहलावत ने किया।
कार्यक्रम में भूगोल विभाग की समन्वयक डॉ तूलिका सनाढ्य, प्रो रामाश्रय प्रसाद, प्रो जितेंदर सरोहा, डॉ रियाज़ुद्दीन खान, डॉ बरुण, डॉ विपिन, डॉ वारूणी पाठक, डॉ स्मृति उपाध्याय, डॉ सतीश सैनी, ऋतु राज पेगू, अंजली भाटी, और सैकड़ों की तादाद में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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