Friday, 20 September 2024

अभाविप पैनल से डूसू प्रत्याशियों की घोषणा

ऋषभ चौधरी, अध्यक्ष पद के लिए

ऋषभ चौधरी मूलतः गन्नौर, सोनीपत के निवासी हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल कॉलेज से इतिहास तथा राजनीतिक विज्ञान विषय से स्नातक पूर्ण किया है। वॉलीबाल तथा कबड्डी में ऋषभ की काफी रुचि रही है और खेल संबंधी व्यवस्थाओं को विश्वविद्यालय में दुरुस्त करने हेतु आप निरंतर प्रयासरत रहे हैं। वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग में अध्ययनरत हैं। इस वर्ष अभाविप के पैनल से डूसू के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं।


भानु प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष पद के लिए

भानु प्रताप सिंह मूलतः हरियाणा के फरीदाबाद के निवासी हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरविंद महाविद्यालय से मनोविज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक पूर्ण किया है। आपने डीयू के विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु कई प्रतियोगियों का आयोजन किया है। सन् 2017 में अरविंद महाविद्यालय में छात्रसंघ सचिव पद पर निर्वाचित हुए, वर्तमान में डीयू के विधि परिसर केंद्र के प्रथम वर्ष के छात्र हैं।


मित्रविंदा करनवाल , सचिव पद के लिए

मित्रविंदा मूलत: उत्तर प्रदेश के चांदपुर, बिजनौर की निवासी हैं। महिला संबंधी विषयों हेतु निरंतर विभिन्न कार्यों में संलग्न रहती हैं तथा सेवा कार्य में विशेष रुचि है। अकादमिक क्षेत्र से मित्रविंदा बहुत मेधावी रही हैं। उन्होंने इंटर की परीक्षा को 99 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हो जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया था।मित्रविंदा ने ऋतुमति अभियान के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय की महिलाओं को विभिन्न विषयों में जागरूक करने का कार्य किया है व लक्ष्मीबाई कॉलेज में छात्रसंघ सचिव के रूप में पिछले वर्ष निर्वाचित की गई थी। वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में इतिहास (ऑनर्स) के तृतीय वर्ष की छात्रा हैं।


अमन कपासिया, संयुक्त सचिव पद के लिए

अमन कपासिया मूलतः दिल्ली के निवासी हैं। उन्होंने दिल्ली विश्विद्यालय के PGDAV सांध्य महाविद्यालय से हिन्दी (ऑनर्स) से स्नातक पूर्ण किया है। खेल में अमन की काफी रुचि रही है और तीरंदाजी में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। अभी दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग में अध्ययनरत हैं। इस वर्ष अभाविप के पैनल से डूसू में संयुक्त-सचिव पद के उम्मीदवार हैं। अमन ने वैश्विक महामारी कोरोना काल जैसे जटिल वक्त में दिल्ली विश्वविद्यालय के 11 कॉलेजों में जो छात्र फंसे हुए थे उन्हे जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाते हुए प्रभावशाली कार्य किया था।

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