करुणा नयन चतुर्वेदी
नई दिल्ली, 20 सितंबर। दिल्ली विश्वविद्यालय के लाखों विधार्थियों के महोत्सव का ऐलान हो गया है। आज से नामांकन और नाम वापसी का कार्य खत्म हो गया। अब सभी छात्र संगठन अपने अपने प्रत्याशियों के साथ मैदान में आ गए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति ज्यादातर केवल एबीवीपी और एनएसयूआई के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। इस बार के चुनाव में विधार्थी परिषद से अध्यक्ष पद के लिए ऋषभ चौधरी, उपाध्यक्ष के लिए भानुप्रताप सिंह, सचिव के लिए मित्रविंदा और संयुक्त सचिव के लिए अमन कपासिया मैदान में उतरे हैं। वहीं एनएसयूआई से रौनक खत्री अध्यक्ष, यश नंदल उपाध्यक्ष, नम्रता जेफ सचिव , लोकेश संयुक्त सचिव पद के लिए मैदान में आ गए हैं।
दोनों ही संगठनों ने अपना प्रचार-प्रसार तेज कर दिया है। लेकिन इस बार के चुनाव में एक दिलचस्प बात भी है। दरअसल ऋषिराज सिंह जोकि एबीवीपी के प्रत्याशियों के संभावित सूची में शामिल थे। उन्होंने विद्यार्थी परिषद से नाम काटने के बाद नर्दलीय नामांकन किया है। ऐसे में पूर्वांचल के विद्यार्थियों में पैठ रखने वाले ऋषिराज ने चुनावी समीकरणों को बदल दिया है। यूपी बिहार के ज्यादातर विद्यार्थी एबीवीपी के समर्थन में वोट करते आए हैं। ऐसे में ऋषिराज के नर्दलयी नामांकन कर देने से उनके सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जो वोटर पिछले साल आशीष सिंह के टिकट के बाद भी एबीवीपी के प्रति अपनी निष्ठा दिखा चुके हैं। क्या इसबार भी वह विद्यार्थी परिषद के साथ जायेंगे या फिर अपने क्षेत्र के प्रत्याशी को अपना मत देंगे यह देखे वाली बात रहेगी?
इसके अलावा जेएनयू में हमेशा परचम लहराने वाला लेफ्ट विंग डूसू चुनाव में हर बार की तरह इस बार भी लगभग सुप्त अवस्था में ही है। जैसे-जैसे चुनावी मैदान सजता जाएगा, विद्यार्थियों का रुझान भी देखने लायक होगा।
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